Gujarat Assembly Elections: बीजेपी, कांग्रेस का इन 27 सीटों पर ही क्यों है अधिक फोकस

पिछले चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा पर निर्णायक बढ़त हासिल की थी. उसने 15 सीटों पर विजय पताका फहराई थी, जबकि भाजपा 9 पर विजयी रही.

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Nihar Saxena
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पीएम मोदी ने भी पहली रैली आदिवासी बाहुल्य सीट पर की.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Elections 2022) में पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (AAP) के अलावा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस (Congress) पार्टी के शीर्ष नेताओं ने पहले चरण के मतदान का दिन करीब आते-आते प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. यह अलग बात है कि बीजेपी और कांग्रेस राज्य की 182 में से 27 सीटों पर खासतौर पर फोकस कर रही हैं. 182 विधानसभा सीटों में से 13 अनुसूचित जाति (SC) और 27 अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं, जिन्हें आदिवासी भी कहा जाता है. 13 अन्य सीटें ऐसी हैं जो जहां आदिवासियों के वोट चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में हैं. ऐसे में आदिवासियों को रिझाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पुरजोर कोशिश कर रही हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव (Gujarat Elections) में भाजपा ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं.

आदिवासी सीटों पर कांग्रेस की पिछली निर्णायक बढ़त को लगा है झटका
पिछले चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा पर निर्णायक बढ़त हासिल की थी. उसने 15 सीटों पर विजय पताका फहराई थी, जबकि भाजपा 9 पर विजयी रही. कांग्रेस की सहयोगी भारतीय ट्राइबल पार्टी को 2 सीटें मिली थीं, जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार विजेता रहा था. इन आंकड़ों को अगर शब्दों में कहें तो अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों में से केवल एक-तिहाई सीटों पर ही भाजपा को जीत मिली. हालांकि पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस को उसके तीन आदिवासी विधायकों क्रमशः अश्विन कोतवाल, जीतू चौधरी और मंगल गावित के भाजपा में शामिल होने से झटका लगा है. इस दौरान कांग्रेस के एक अन्य विधायक अनिल जोशियारा और पंचमहल के निर्दलीय विधायक का निधन भी हो चुका है. 

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बीजेपी के लिए इस बार भी राह आसान नहीं
भाजपा के सामने भी चिंता कम नहीं हैं. तापी और नर्मदा नदियों के किनारे स्थित दक्षिण गुजरात के आदिवासी केंद्र की पार-तापी-नर्मदा नदी-जोड़ परियोजना का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस विधायक अनंत पटेल के अगुवाई में पार्टी क्षेत्र में पांच बड़े विरोध प्रदर्शन आयोजित कर चुकी है. इनके दबाव में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को आंदोलनकारियों को आश्वस्त करना पड़ा है कि परियोजना पर काम बंद कराने के लिए वह केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे. यहां के अलावा कांग्रेस ने उत्तर, मध्य और दक्षिण गुजरात में फैली आदिवासी बाहुल्य सीटों पर भी पूरी ताकत झोंक रखी है. दोनों ही पार्टियां आदिवासियों के लिए किए गए काम और नजदीकी संबंधों की दुहाई देकर मतदाताओं को लुभा रही हैं. इससे साफ जाहिर है कि बीजेपी और कांग्रेस के लिए आदिवासी वोट खासा महत्व रखते हैं. 

पीएम मोदी ने बीजेपी के प्रचार अभियान की शुरुआत आदिवासी सीट से की
भाजपा आदिवासी वोटों को कितना महत्व दे रही है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 नवंबर को वलसाड की एसटी आरक्षित सीट कपराडा से अपनी चुनावी रैली की शुरुआत की थी. रैली में पीएम मोदी ने गुजरात भाजपा का आभार व्यक्त किया कि चुनाव आयोग द्वारा 3 नवंबर को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद उनका पहला प्रचार कार्यक्रम आदिवासी सीट पर रखा गया था. पीएम मोदी ने कहा, 'मैं इससे खुश हूं. मेरे लिए 'ए' का मतलब आदिवासी है. मेरी एबीसीडी आदिवासी के लिए ए से शुरू होती है. मैं सौभाग्यशाली हूं कि इस चुनाव की अपनी पहली रैली की शुरुआत आदिवासी भाई-बहनों से आशीर्वाद लेकर कर रहा हूं.' केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा, 'उमरग्राम से अंबाजी तक पूरी आदिवासी बेल्ट में कई विज्ञान कॉलेज, व्यावसायिक शिक्षा कॉलेज, पांच मेडिकल कॉलेज, आईटीआई, गोविंद गुरु और भगवान बिरसा मुंडा विश्वविद्यालय, अस्पताल, बहु-विशिष्ट अस्पताल और पशु चिकित्सालय खोले गए हैं. आदिवासी क्षेत्र में इतना बड़ा बदलाव लाया गया है.' इसके पहले पीएम मोदी ने कहा कि पहले छह घंटे बिजली मिलती थी. अब 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होती है. लड़के और लड़कियां अधिक समय तक अध्ययन कर सकते हैं. पानी की कमी की समस्या भी दूर हुई है. घरों में नल से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. यही नहीं, पीएम ने कहा कि गुजरात प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है. गुजरात के लोग पूरी दुनिया में नाम कमा रहे थे. उन्होंने कहा, 'नफरत फैलाने वाले, गुजरात को बदनाम करने वाले, गुजरात को छोटा करने वालों को लोग स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि गुजराती लोगों ने राज्य को वह बनाया जो आज है. उन्होंने गुजरात के निर्माण के लिए दिन-रात मेहनत की है. गुजरात के लोग और आदिवासी राज्य को कोई नुकसान नहीं होने देंगे. गुजरात आदिवासियों के नेतृत्व में प्रगति कर रहा है.'

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मोदी के बाद अमित शाह भी संभाल रहे कमान
पिछले हफ्ते भी पीएम मोदी ने सौराष्ट्र में दो दिनों में आठ रैलियों को संबोधित किया, जिसमें कई जनजातीय सीटें शामिल थीं. 23 नवंबर को वह आदिवासी जिले दाहोद में थे. उन्होंने दोहराया कि बीजेपी ने पहली बार किसी आदिवासी द्रौपदी मुर्मू को देश का राष्ट्रपति नियुक्त किया. साथ ही उन्होंने सवाल पूछा कि कांग्रेस ने ऐसा क्यों नहीं किया? अब उन्हें पेट में दर्द हो रहा है. दाहोद के लोगों के साथ अपने जुड़ाव को निजी स्पर्श देते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'यह पीएम दाहोद की सभी गलियों और उपमार्गों के नाम जानता है. मेरे दाहोद के साथ व्यक्तिगत संबंध हैं.' पीएम मोदी के बाद कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाली, जिन्होंने नवसारी जिले के उनाई से गुजरात गौरव यात्रा के चौथे और पांचवें खंड को झंडी दिखाकर रवाना किया. यात्रा के चौथे खंड को बिरसा मुंडा आदिवासी यात्रा कहा गया, जो राज्य के 14 आदिवासी जिलों से होते हुए 31 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरी. यात्रा का समापन उत्तरी गुजरात के मंदिरों के शहर अंबाजी में हुआ. एक अन्य यात्रा, जो उनाई से भी शुरू हुई, 35 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने के बाद खेड़ा जिले के फगवेल में संपन्न हुई. गौरतलब है कि केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में लोगों को संबोधित करते हुए अमित शाह ने भी आदिवासी लोगों के कल्याण के प्रति भाजपा सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की थी. अमित शाह ने भी केंद्र सरकार के आदिवासी कल्याण के लिए उठाए गए कदमों का लेखा-जोखा रखा. उन्होंने दोहराया कि यह भाजपा सरकार थी जिसने केंद्र में एक अलग आदिवासी मंत्रालय शुरू किया था. अन्य उपलब्धियों पर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने वन बंधु कल्याण योजना शुरू की, जो राज्य में आदिवासी परिवारों को बड़े पैमाने पर लाभान्वित कर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने राज्य में 11 लाख हेक्टेयर आदिवासी भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान की.

कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार आक्रामक नहीं
हालांकि कांग्रेस इस बार गुजरात चुनाव को लेकर पिछली बार जितनी आक्रामक नहीं है, लेकिन वह भी आदिवासी मुद्दों पर मुखर है. गौरतलब है कि राहुल गांधी ने 10 मई को दाहोद में आदिवासी सत्याग्रह रैली को संबोधित किया था, जहां उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, 'आपने गुजरात को इसके बुनियादी ढांचे और सड़कों को बनाया, लेकिन आपको क्या मिला? आपको कुछ नहीं मिला. आपको शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार या कुछ और नहीं मिला. इसलिए हमने यह आंदोलन शुरू किया है. हम गुजरात में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना चाहते हैं. भाजपा सरकार आपको ये नहीं देगी. आप सभी को लड़ना होगा और उन्हें सत्ता से बाहर करना होगा.' पीएम मोदी की तरह राहुल ने भी आदिवासी वोटरों को अहमियत दी. राहुल गाधी तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू हुई 3,500 किलोमीटर की भारत जोड़ों यात्रा को अधिक तरजीह दे रहे हैं. संभवतः इसी वजह से उन्होंने हिमाचल प्रदेश में एक दिन भी प्रचार नहीं किया. हिमाचल में 12 नवंबर को 68 सीटों पर मतदान हुआ था. हालांकि गुजरात चुनाव में आदिवासी सीटों का महत्व समझते हुए वह 21 नवंबर को दूसरी बार यात्रा छोड़ सौराष्ट्र के सूरत और राजकोट में मौजूद थे. 26 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में औपचारिक रूप से कार्यभार संभालने के लिए वह पहली बार यात्रा छोड़ दिल्ली में मौजूद रहे थे. 

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फिर भी राहुल गांधी ने रैली कर बीजेपी पर साधा था निशाना
सूरत में राहुल गांधी ने एसटी मतदाताओं को लुभाने के लिए आदिवासी मुद्दों पर विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि देश आदिवासियों का है, जिन्हें अधिकार, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा मिलनी चाहिए. वायनाड सांसद ने कहा कि उनकी दादी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी ने आदिवासी शब्द का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा,  'आदिवासी का अर्थ है वे जो यहां सबसे पहले रहते थे, लेकिन यह देश आपसे छीन लिया गया.'  भाजपा पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा, 'भाजपा नेता आपको आदिवासी नहीं वनवासी कहते हैं. वे यह नहीं कहते कि आप भारत के पहले स्वामी हैं बल्कि वे कहते हैं कि आप वन में निवास करते हैं. वे नहीं चाहते कि आप शहरों में रहें और आपके बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर, पायलट बनें और अंग्रेजी बोलें. इसके अलावा वे आपसे जंगल छीनने लगते हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो सारे जंगल उनके दो-तीन उद्योगपति मित्रों के पास होंगे और आपके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं होगी. यही नहीं, आपको शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और रोजगार नहीं मिलेगा.' यही नहीं,  पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यूपीए सरकार आदिवासियों की सुरक्षा के लिए पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पीईएसए) और वन अधिकार अधिनियम लाई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने इन्हें लागू नहीं होने दिया. जाहिर है कांग्रेस भी आदिवासी समेत एससी सीटों का महत्व समझ रही है, तभी राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा बीच में छोड़ इन सीटों पर प्रचार के लिए आ रहे हैं. 

HIGHLIGHTS

  • आदिवासी सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में जंग है काफी तीखी
  • पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी किए गए कार्यों को गिना रही है
  • वहीं कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में बीजेपी को कमतर कर रही
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