गुजरात में शारदीय नवरात्रि (Navaratri) का हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के साथ सामूहिक गरबा (Garba) के कार्यक्रम के जरिये भक्तगण अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. गरबे का इंतजार मौज-मस्ती के शौकीनों को भी रहता है. महीनों पहले से बड़े और लोकप्रिय गरबा पंडालों के पास या प्रवेश कार्ड लोग बुक करा लेते हैं. इस कड़ी में इस साल भी 26 सितंबर से 5 अक्टूबर के मध्य पड़ रही नवरात्रि के दौरान होने वाले गरबा के पासों की बुकिंग शुरू हो चुकी है. हालांकि इस साल गरबा के पास पर 18 फीसदी जीएसटी (GST) भी वसूला जा रहा है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. जीएसटी से सिर्फ उन आयोजकों को छूट मिल रही है, जिनके गरबा पास की कीमत 500 रुपये से कम है. गरबा पास पर वसूले जा रहे जीएसटी के विरोध में कांग्रेस (Congress) ने तो वडोदरा में कलेक्टर ऑफिस के सामने गरबा भी किया. यही नहीं, कांग्रेसी सांसद जयराम नरेश (Jairam Naresh) ने तो इसे 'गरबा संपत टैक्स' की संज्ञा तक दे डाली.
गरबा है क्या और क्यों सरकार इसे करती है प्रोत्साहित
नवरात्रि एक गुजराती शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातों का त्योहार. इसे हालांकि राष्ट्रव्यापी स्तर पर मनाया जाता है, लेकिन खास पोशाकों में गरबा नृत्य के कारण इसे गुजरात की एक पहचान के तौर पर देखा जाने लगा है. गरबा नृत्य के जरिये मां अंबे की पूजा की जाती है. इस त्योहार में मिट्टी के छेद नुमा एक लैंप की भी पूजा की जाती है, जिसे मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. परंपरागत तौर पर गरबे की शुरुआत मां के स्त्रीत्व, देवत्व और प्रजनन क्षमता रूपी गुणों को नमन करने के साथ होती है. गरबे में महिलाएं और पुरुष एक गोल घेरे में कदम-ताल मिला लयबद्ध तालियों की गड़गड़ाहट के साथ नृत्य करते हैं. सोशल मीडिया और मोबाइल इंटरनेट के दौर से काफी पहले गरबे का आयोजन युवा जोड़ों के मिलने के लिए पहली डेटिंग साइट बन कर उभरा था गरबे का आयोजन. गुजरात में गरबे के आयोजन के आकर्षण में दुनिया भर से पर्यटक खिंचे चले आते हैं. इस कारण भी सरकार गरबे को प्रमोट करती है. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में 2003 से राज्य सरकार वाइब्रेंट नवरात्रि का आयोजन कर रही है, जिसके तहत अहमदाबाद में राज्य सरकार की ओर से आयोजित गरबा कार्यक्रम होता है. गरबा शाम को शुरू होता है और देर रात चलता है. इस कारण यह राज्य में महिला सुरक्षा के पहलू को भी सामने लाता है. मोदी सरकार ने इसे 'विश्व के सबसे लंबे नृत्य त्योहार' के रूप में प्रचारित किया.
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गरबा पास पर जीएसटी का विवाद है क्या
2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू किए जाने के बाद पहली बार गरबा कार्यक्रम के आयोजनकर्ता प्रवेश पास पर जीएसटी वसूल रहे हैं. वडोदरा में गुजरात के सबसे बड़े गरबा आयोजक द यूनाइटेड वे ऑफ बड़ौदा (यूडब्ल्यूबी) ने पिछले हफ्ते गरबा पास की बुकिंग शुरू की. बुकिंग के दौरान लोगों ने पाया कि इस साल रजिस्ट्रेशन फीस में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. पास पर प्रवेश शुल्क की कीमत के साथ लिखा हुआ है कीमतों में 18 फीसदी जीएसटी शामिल. इस साल पुरुषों को 4,838 रुपये और महिलाओं को 1,298 रुपए देने पड़ रहे हैं. जीएसटी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि गरबा आयोजक केंद्र सरकार के 2017 और 2018 में जारी किए नोटिफिकेशन का अनुपालन करने में विफल रहे हैं. इसमें गरबा में पास की कीमत में जीएसटी वसूलने की बात की गई थी. वडोदरा को गरबा का केंद्र करार दिया जाता है. हालांकि कोरोना महामारी के चलते 2020 और 2021 में बड़े पैमाने पर गरबा का आयोजन नहीं किया गया. गरबा पास पर जीएसटी वसूलने ने विपक्ष को एक मुद्दा थमा दिया है, जो धार्मिक आयोजन पर भारी टैक्स थोपे जाने का विरोध कर रहा है. इसके अलावा बीजेपी के नेता भी आयोजकों से लगातार आग्रह कर रहे हैं कि गरबा पासों को जीएसटी से मुक्त रखा जाए. यूडब्ल्यूबी के ट्रस्टी और ट्रेजरार मिनेश पटेल के मुताबिक 2019 में इंस्पेक्शन के दौरान जीएसटी विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पास या प्रवेश कार्ड एक कीमत वसूलने के बाद दिए जा रहे हैं. ऐसे में इन पर जीएसटी वसूलना लाजिमी है. हालांकि हमें इस बारे में सीधे तौर पर कोई नोटिस नहीं मिला, लेकिन उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसी पेमेंट के बाद जारी किए जाने वाले पास या प्रवेश कार्ड पर जीएसटी देय होगा. इस कारण इस साल हमें जीएसटी की दर के साथ गरबा पास या प्रवेश कार्ड जारी करने पड़ रहे हैं.
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मनोरंजन और व्यावसायिक कार्यक्रमों के लिए क्या हैं जीएसटी नियम
गुजरात के जीएसटी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जीएसटी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस कड़ी में गरबा पर भी जीएसटी कोई नया कर नहीं है. जीएसटी लागू होने से पहले अगर 500 रुपये से अधिक कीमत का गरबा पास या प्रवेशकार्ड था, तो उस पर15 फीसदी सर्विस टैक्स लिया जाता था. अब भी 500 रुपये से अधिक कीमत होने पर ही 18 फीसदी जीएसटी वसूलने का प्रावधान है. इस तरह देखें तो जीएसटी से पहले की व्यवस्था के तहत अब भी कर वसूला जा रहा है. यूडब्ल्यूबी के मुताबिक गरबा को कभी भी मनोरंजन कार्यक्रम नहीं माना गया, जिस पर जीएसटी नियम लागू होते हैं. हालांकि गरबे का आयोजनस्थल पर लगने वाले फूड स्टॉल्स और अन्य सेवाओं पर जीएसटी लिया जाता था. यूडब्ल्यूबी एक गैर सरकार संगठन है, जो गरबा पासों या प्रवेश कार्ड से होने वाली आय को दान बतौर देखता है. हमारे लिए गरबा व्यावसायिक गतिविधि नहीं है, बल्कि मां दुर्गा को समर्पित रीति हैं. ऐसे में 18 फीसदी जीएसटी बेहद भारी कर स्लैब है. हालांकि जीएसटी अधिकारी इसे दान नहीं मानते. उनका कहना है कि गरबा पास या प्रवेश कार्ड के साथ इनवॉयस दी जाती है और इनवॉयस जारी होते ही पास या कार्ड जीएसटी की श्रेणी में आ जाते हैं. जहां कहीं भी कोई भी चीज बेची जाती है, वह जीएसटी की श्रेणी में आ जाती है. ऐसे में आयोजनकर्ता धार्मिक आयोजन के लिए दान की आड़ नहीं ले सकते. अगर वह जीएसटी से बचना चाहते हैं, तो उन्हें मुफ्त गरबा पास या कार्ड देने होंगे.
HIGHLIGHTS
- गुजरात में इस बार गरबा पास या प्रवेश कार्ड जीएसटी के दायरे में आए
- 500 रुपये से अधिक कीमत वाले पासों या कार्ड पर 18 फीसदी जीएसटी
- कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल गरबा पर जीएसटी का कर रहे विरोध