हालिया इतिहास में पाकिस्तान मानसून के कारण आई विनाशकारी बाढ़ की सबसे बुरी विभीषिका झेल रहा है. इस साल मानसूनी बरसात के कारण आई बाढ़ ने 2010 की 'सुपरफ्लड' को कहीं पीछे छोड़ दिया है. सरकार का अनुमान है कि इस साल बाढ़ (Floods) की विभीषिका ने 20 लाख लोगों का प्रभावित किया है. दो हजार से अधिक लोग मारे गए हैं. पाकिस्तान (Pakistan) के जलवायु मंत्री शैरी रहमान के ट्वीट में दिए गए आंकड़ों से भयंकर बाढ़ की जमीनी हकीकत को समझा जा सकता है. शैरी रहमान (Sherry Rehman) ने नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के हवाले से ट्वीट में कहा है कि पाकिस्तान की आबादी का 15 फीसदी 3 करोड़ 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. 27 अगस्त तक 1041 लोग मारे जा चुके थे. डॉन अखबार के मुताबिक आधे से ज्यादा पाकिस्तान बाढ़ के पानी में डूब चुका है. बाढ़ के पानी ने दसियों लाख लोगों को बेघर कर दिया है. मानसून की असामान्य बारिश का यह आठवां चक्र है और पानी का जलस्तर कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. बाढ़ की इस विभीषिका के लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को जिम्मेदार माना जा रहा है.
इस साल मानसून की बारिश कहर ढा रही
यूं तो हर साल मानसून के दौरान जून-अगस्त में पाकिस्तान बारिश के पानी से संघर्ष करता दिखता है, लेकिन 2022 इस कड़ी में बद् से बद्तर साबित हो रहा है. आमतौर पर मानसूनी बारिश की शुरुआत जुलाई के महीने में होती थी, लेकिन इस साल जून में ही भारी बारिश शुरू हो गई, जिससे प्रलंयकरकारी बाढ़ आ गई. जून के अंत से जुलाई के मध्य तक 300 लोग बाढ़ की चपेट में आने से मारे जा चुके थे. पाकिस्तान मौसम विभाग के मुताबिक एक जुलाई से 30 सितंबर के तीन महीने में पाकिस्तान में सामान्य बारिश का स्तर औसतन 140.9 मिमी रहता था. 2021 के रूप में बीते साल में मानसून की इन्हीं महीनों में 11 फीसदी कम यानी 125 मिमी बारिश हुई. इस साल 1 जुलाई से 26 अगस्त तक 354.6 मिमी बारिश हुई, जो इस अवधि के 113.7 मिमी की दर से 211 फीसदी अधिक है.
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सिंध-बलूचिस्तान में बद्तर हालात
मौसम विभाग के मुताबिक 1 से 26 अगस्त पाकिस्तान में समग्र तौर पर 176.8 मिमी बारिश हुई, जो इस अवधि में होने वाली 50.4 मिमी से 251 फीसदी से कहीं अधिक है. अगस्त में पाकिस्तान के दक्षिण में स्थित सिंध की सबसे दयनीय स्थिति रही, जहां 26 अगस्त तक 442.5 मिमी बारिश हो चुकी थी. यह दर इसी अवधि के दौरान सामान्य 50 मिमी की तुलना में 784 फीसदी ज्यादा है. दूसरा बड़ा प्रभावित इलाका है बलूचिस्तान, जहां 1 से 26 अगस्त के बीच 129.7 मिमी बारिश हुई. सामान्यतः इस दौरान यहां 20.9 मिमी बरसात होती थी. यानी इस साल इसी अवधि में बलूचिस्तान में 522 फीसदी अधिक बारिश हुई. इसी अवधि में गिलगित बाल्टिस्तान में महज 12.4 मिमी बारिश होती थी, जबकि इस साल 225 फीसदी अधिक यानी 40.1 मिमी बरसात झेल चुका है.
Madyan bridge,KP. Communications ministry informs us that it was built 5 metres above the level of the bridge that went down in the 2010 superflood. Now the water is inundating the bridge. They thought they were building back better by raising it much higher. #PakistanFloods pic.twitter.com/MqQMQsebUE
— SenatorSherryRehman (@sherryrehman) August 27, 2022
शहरों की डिजाइन भी भारी बारिश के अनुकूल नहीं
इस भारी बारिश से आई बाढ़ पर शैरी रहमान ने ट्वीट में लिखा, 'हमारे शहरों की डिजाइन बगैर रुके भारी बारिश के लिहाज से नहीं है.' शैरी रहमान ने खैबर पख्तूनख्वा के मदयान पुल के ऊपर से बहते बारिश के पानी का वीडिया साझा किया है. उन्होंने इस वीडियो के साथ बताया कि 2010 की 'सुपरफ्लड' की विभीषिका झेलने के बाद इस पुल को 5 मीटर की अतिरिक्त ऊंचाई दी गई थी, लेकिन इस साल यह भी बाढ़ के पानी में डूब गया. उन्होंने इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ' पाकिस्तान इस साल मानसून के आठवें चक्र की बारिश झेल रहा है. आमतौर पर देश में तीन से चार चक्र की मानसूनी बारिश होती थी. पाकिस्तान फिलवक्त अप्रत्याशित मानसूनी बारिश का कहर झेल रहा है. मौसम विभाग के डेटा बताते हैं कि सितंबर माह में एक और चक्र की बारिश होनी है.'
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इस तबाही के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार
दुनिया के हर हिस्से में जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम अति ढा रहा है. यूरोप इसी कारण वर्तमान में बीते 500 साल के इतिहास में सबसे भयंकर सूखा झेल रहा है. इसके पहले गर्मी के मौसम में रिकार्ड तापमान ने लोगों को झुलसाने का काम किया था. रही सही कसर भीषण गर्मी की एक वजह से लगी जंगलों की आग ने पूरी कर दी. चीन और अमेरिका के कुछ हिस्सों में सूखे की भयंकर स्थिति है. इसी आधार पर शैरी रहमान ने भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान जलवायु तबाही झेल रहा है. उन्होंने अपनी बात विस्तार से बताते हुए लिखा, 'पाकिस्तान एक दशक का सबसे गंभीर विनाश झेल रहा है, जिसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मानना सही है. जलवायु परिवर्तन की वजह से ही गर्मी में जबर्दस्त लू , जंगलों में आग, फ्लैश फ्लड्स, ग्लेशियरों के पिघलना और अब मानसून में विनाशकारी बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर है.'
जलवायु परिवर्तन के प्रति पाकिस्तान अधिक संवेदनशील
गौरतलब है कि पाकिस्तान को बीते कई सालों से उन देशों की सूची में ऊपर के पायदानों पर रखा जा रहा है, जहां जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं. ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स का यह आकलन है, जो मौसम की अति की वजह से होने वाले जान-माल के नुकसान के आंकड़े रखता है. इस साल मानसून की अति भारी बारिश से 10 हजार से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं. यही नहीं, मौसम आधारित तबाही से 1998 से 2018 के बीच पाकिस्तान को 4 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. पाकिस्तान के अलावा ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स में बांग्लादेश, म्यांमार और फिलिपींस शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- जलवायु परिवर्तन के लिहाज से पाकिस्तान बेहद संवेदनशील देशों में शुमार
- पाकिस्तान में जुलाई से सितंबर के तीन महीनों में 211 फीसदी अधिक बारिश
- आधे से ज्यादा पाकिस्तान बाढ़ के पानी में डूबा, 15 फीसद आबादी हुई प्रभावित