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Haryana Chunav से जुड़ी बड़े काम की खबर, ये जातियां कर सकती हैं बड़ा खेला, तो इस पार्टी की पक्की है मौज!

Haryana Chunav में कुछ जातियां बड़ा खेला कर सकती हैं. ये जातियां जिस पार्टी की ओर झुक जाएंगी, उसी की चुनाव में मौज हो जाएंगी. बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग है.

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Ajay Bhartia
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Haryana Chunav से जुड़ी बड़े काम की खबर, ये जातियां सकती हैं बड़ा खेला, तो इस पार्टी की पक्की है मौज!

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Haryana Chunav: हरियाणा चुनाव से जुड़ी बड़े काम की खबर सामने आई है. वोटिंग के दिन दलित-OBC जातियां बड़ा खेला कर सकती हैं. दावा किया जा रहा है कि ये जातियां चुनाव का पूरा रूख ही बदलकर रख देंगी. कहा जा रहा है कि दलित-ओबीसी वोटर हरियाणा चुनाव में गेमचेंजर साबित होंगी और जिस पार्टी को इनका वोट मिलेगा, उसकी मौज होना एकदम पक्का है. आइए जानते हैं कि चुनाव में दलित-ओबीसी वोटर्स कैसे गेमचेंजर साबित होंगे. बता दें कि हरियाणा में कल यानी शनिवार को 90 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे.  

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किस वोट देंगे दलित-OBC? 

एक रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा की निवासी और खाटी (OBC) जाति से आने वाली मंजू देवी से जब पूछा गया कि वो अपना वोट किसे देंगी. जवाब में, मंजू देवी कहती हैं कि, ‘हमें क्या पता है. कोई हमारे लिए कभी कुछ नहीं करता है. हमारे लिए कोई नौकरी या रोजगार के अवसर नहीं हैं. हम दूसरों के खेतों में काम करते हैं. मेरा बेटा 24 वर्षीय है और पढ़ा लिखा भी अच्छा है, लेकिन भी उसको कोई नौकरी नहीं मिल पा रही है. उनको किसी राजनीतिक पार्टी से कोई उम्मीद नहीं है.’ बता दें कि हरियाणा (Elections in Haryana) में 40.9 लाख अनुसूचित जातियां हैं, जो राज्य की आबादी का 19.4 फीसदी है.

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'BJP को दिया है हमेशा वोट'

वहीं, रोहतक में अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाली सफाईकर्मी प्रेमिला वोटिंग को लेकर अपना रूख जाहिर करती है. वह कहती है कि हम अपने घरों में किराएदारों की तरह रह रहे हैं. हम सभी सुविधाओं के लिए पैसा भरते हैं, लेकिन सरकार से कुछ नहीं मिल रहा है. मुझे वोट देने का मन नहीं है, न तो मोदी और न ही राहुल गांधी को हमारी बेहतरी की परवाह है.’ इस तरह प्रेमिला चुनावों के लिए बहुत कम उत्साह दिखाती हैं. इसके बावजूद वह स्वाकार करती हैं कि उसने हमेशा बीजेपी को वोट दिया है. 

पुरुषों का निर्भर महिलाओं का वोट

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एक 42 वर्षीय विधवा महिला बताती हैं कि, ‘मेरे देवर ही मुझे बताते हैं कि किसे वोट देना है.’ वह प्रदेश की उन महिलाओं की तरह ही हैं, जिनको उनके घर के मर्द ही बताते हैं कि उनको किसे वोट देना है. सिरसा के शहीदांवाली गांव के रहने वाले सूरज प्रकाश भी वोटिंग को लेकर अपने दिल की बात कहते हैं. सूरज प्रकाश कहते हैं कि, ‘हम बदलाव चाहते हैं. हमारे विधायक (गोपाल कांडा) ने हमारे लिए कुछ नहीं किया है. हम पानी से जुड़ी समस्याओं का काफी समय से सामना कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में कोई विकास नहीं हुआ है. खेती से जुड़े मुद्दे हमें परेशान करते रहते हैं.’ सूरज प्रकाश ओबीसी समुदाय से आते हैं. 

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कांग्रेस की ओर जाटों का झुकाव

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हरियाणा के दलित और ओबीसी वोटरों की ये बातें चुनाव को लेकर उनकी मनोदशा को दर्शाता है. इन वोटर्स को ये भी लग सकता है कि उनके वोट मायने नहीं रखते है, लेकिन उनकी पसंद काफी अहमियत रखती है. जाट मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की ओर है, जबकि पंजाबी और सैनी (ओबीसी) समुदाय बड़े पैमाने पर बीजेपी के पक्ष में दिखते हैं. इन सबके बीच वो मतदाता जो निचली जातियों, दलित और अन्य हाशिए पर पड़े ओबीसी से आते हैं राज्य की अलग सरकार तय करने में शक्ति संतुलन बनाए रख सकते हैं.

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BJP को सैनी समुदाय के वोट!

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एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्रदेश में अधिकांश यादव वोट बीजेपी को मिलेंगे. पिछले 10 वर्षों से ओबीसी समुदाय का झुकाव बीजेपी की ओर बना हुआ है. मौजूदा मुख्यमंत्री सैनी समुदाय से हैं, ऐसे में बीजेपी को सैनी समुदाय से अच्छे वोट मिलने की उम्मीद है. हालांकि ओबीसी वोटर्स के तकरीबन 40 फीसदी वोट कांग्रेस की ओर जा सकते हैं. हांलाकि, कुछ ओबीसी वोटर्स बीजेपी से खफा भी दिखे. भिवानी के रहने वाले और ओबीसी से आने वाले एक युवक ने कहा कि, ‘हम यादव हैं. हम नारायणी सेना हैं, लेकिन हमारे लिए कोई रेजिमेंट नहीं है.’

कांग्रेस को मिल सकता है फायदा

सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि, 'क्या इस देश में केवल जाट ही किसान हैं. हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो प्रतिभाशाली लोगों को आगे लाए और पक्षपात रहित होकर काम करें.’ 30 वर्षीय युवक का ये बयान उनके पक्षपातपूर्ण मुद्दा जाट विरोधी भावना को दर्शाता है, क्योंकि पिछली सरकारों की छवि सरकारी नौकरियों में जाट समुदाय को तरजीह देने की रही है. वहीं एक अन्य युवक ने कहा कि, ‘लोकसभा चुनावों में दलित और जाट वोट कांग्रेस के साथ जुड़ गए. विधानसभा में भी यही चलन है.साथ ही उसने बताया कि हरियाणा में ‘36 बिरादरी की कांग्रेस सरकार’ जैसे नारे की गूंज है. साथ ही ‘संविधान बचाओ’ और एंटी इंकम्बेंसी जैसे मुद्दे कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.

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