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हेल्थ बीमा के नियमों में बड़ा बदलाव, नहीं चलेगी कंपनियों की मनमानी, अब चंद घंटों में मिलेगा कैशलेस इलाज!

हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. अब चंद घंटों में पीड़ित लोगों को कैशलेस इलाज मिलेगा. बीमा नियामक ने 1 और 3 घंटे का नया रूल लागू किया है, जो कैशलेस इलाज में लोगों के लिए यूजफुल साबित होगा. आइए जानते हैं नए नियम कैसे काम करेंगे.

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Ajay Bhartia
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Health Insurance

हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों में बदलाव( Photo Credit : Social Media)

Health Insurance Rule Change: हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. अब कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी. अब चंद घंटों में पीड़ित लोगों को कैशलेस इलाज (Cashless Treatment) मिलेगा. बीमा नियामक इरडा (IRDAI) ने बीमाधारकों को राहत देने के लिए बड़ा फैसला लिया है. इरडा का ये फैसला बीमाधारकों को मजबूत बनाने और इंश्योरेंस कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगाने की दिशा में काफी अहम है. बीमा नियामक ने 1 और 3 घंटे का नया रूल लागू किया है, जो कैशलेस इलाज में लोगों के लिए यूजफुल साबित होगा. आइए जानते हैं नए नियम कैसे काम करेंगे.

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जल्द शुरू हो सकेगा कैशलेस इलाज

इरदा ने हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस भुगतान के नियमों में (Cashless Payment Rule) बदलाव किया है, जिसके बाद बीमाधारकों को कई फायदे होंगे. इसमें सबसे बड़ा फायदा तो ये होगा कि मरीज को इलाज के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. उसका ट्रीटमेंट समय पर शुरू हो पाएगा. दरअसल, कई मामलों में देखा गया है कि हॉस्पिटल में इलाज की शुरुआत में हॉस्पिटल के कहने पर तुरंत पैसे जुटाने की जरूरत पड़ती है. ऐसे में उनको तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन नए रूल्स के आने से अब ये प्रोब्लम नहीं आएगी. नए नियमों के तहत बीमा कंपनियों के कैशलेस इलाज के लिए 1 घंटे अप्रूवल में देने से बीमाधारक को अस्पताल में जल्द इलाज मिलना शुरू हो सकेगा.

3 घंटे के भीतर होगा क्लेम सेटल

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इंश्योरेंस कंपनियों के साथ दूसरी जिस समस्या से पॉलिसी धारकों को दो चार होना पड़ता था, वो है क्लेम सेटलमेंट. अब तक कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस के तहत इलाज कराने के बावजूद लोगों को क्लेम सेटलमेंट के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती थी. अब ऐसा नहीं होगा. नए नियमों के मुताबिक, अब हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को हॉस्पिटल से जैसे ही मरीज के डिस्चार्ज की रिक्वेस्ट मिलेगी. उसके महज 3 घंटे के भीतर ही इंश्योरेंस कंपनियों को अपना अप्रूवल देना जरूरी होगा. यह बीमा धारकों के लिए बड़ी राहत हैं,  क्योंकि अब मरीज के डिस्चार्ज होने की रिक्वेस्ट के 3 घंटे में ही क्लेम सेटल या बिल सेटलमेंट हो जाएगा.

तुरंत देना होगा अप्रूवल

अगर किसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है, तो अब तक इस स्थिति में कैशलेस इलाज को लेकर अस्पताल एक रिक्वेस्ट जेनरेट करके संबंधिक बीमा कंपनी को भेजते हैं. इसके बाद हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की ओर से अप्रूवल दिया जाता है. इसमें कभी-कभी लंबा समय लग जाता है. लेकिन, इरडा ने इस दिक्कत को भी दूर किया है. उसने नए नियमों में बदलाव करते हुए क्लेयर किया है कि इंश्योरेंस कंपनियों को ऐसी रिक्वेस्ट पर सिर्फ एक घंटे के भीतर ही फैसला करना होगा और इस रिक्वेस्ट पर अपना अप्रूवल या डिसअप्रूवल देना होगा.

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पेपर वर्क का झंझट खत्म

नए नियम के मुताबिक, अब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी हॉल्डर को तमाम तरीके के पेपर वर्क के झंझट से निजात मिलेगी. इंश्योरेंस कंपनियों को इराडा ने निर्देश दिया है कि ग्राहकों को ऑनबोर्ड करने से लेकर पॉलिसी के रीन्युअल व अन्य सभी तरह की सर्विसेज के लिए End-2-End टेक्नीकल सॉल्युशंस मिलना चाहिए. क्लेम सेटलमेंट के लिए अब बीमाधारकों को किसी भी तरह का कोई डॉक्युमेंट सबमिट नहीं कराना होगा, बल्कि बीमा कंपनियां इन्हें संबंधित अस्पताल से खुद ही कलेक्ट करेंगी.

शेयर करनी होगी हर एक डिटेल

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अब हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां को ग्राहकों से पॉलिसी की हर एक डिटेल शेयर करनी होगी. कंपनियां पॉलिसी स जुड़ी कोई भी बात ग्राहकों से छिपा नहीं सकते हैं. इरडा के नए सर्कुलर के अनुसार, इंश्योरेंस कंपनियों को ग्राहकों को एक कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट देनी होगी. इसमें बिल्कुल आसान भाषा में उसे दी गई पॉलिसी के बारे में सभी जानकारी, जैसे ये कैशलेस है, बीमा राशि कितनी है, कवरेज की डिटेल, क्लेम के दौरान होने वाले डिडक्शन समेत बीमा कवरेज के अलावा भी संबंधित सभी जानकारियां शामिल होंगी.

Source : News Nation Bureau

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