हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों (Himachal Pradesh Assembly Elections 2022) के इतिहास में 2017 में सबसे अधिक लगभग 76 फीसदी मतदान प्रतिशत रहा था. बीते चुनाव में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 68 सीटों में से 44 पर जीत का परचम फहराया था. इसके साथ ही बीजेपी को 49 फीसदी मतदाताओं ने अपना वोट डाला था. मतदान के दिन घरों से बड़ी संख्या में वोटरों के निकलने से बीजेपी को तगड़ी जीत मिली थी और कांग्रेस (Congress) महज 21 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. हालांकि कांग्रेस का वोट शेयर (Vote Share) बीजेपी के वोट शेयर से महज 7 फीसदी ही कम रहा था. परिणामों ने फिर साफ कर दिया था कि मतदान प्रतिशत में वृद्धि का मतलब सत्ता विरोधी लहर होता है. इस लिहाज से 2022 विधानसभा चुनावों में 65.92 फीसदी मतदान हुआ है. कम मतदान प्रतिशत ने जीत की अटकलों समेत हार-जीत के अंतर की अटकलों को और तेज कर दिया है. हालांकि प्रश्न उठता है कि इस बात में कितना दम है कि इस पहाड़ी राज्य में अधिक मतदान प्रतिशत हमेशा सत्ता विरोधी लहर का संकेत होता है.
सात विस चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ा और सत्तारूढ़ पार्टी हारी
अगर हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि अब तक के 13 विधानसभा चुनावों में से 7 में मतदान प्रतिशत अधिक रहा. इनमें से पांच विधानसभा चुनावों के परिणाम में सत्तारूढ़ पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. 2017 के विधानसभा चुनावों में 68 में से 56 सीटों पर मतदान प्रतिशत औसत से अधिक रहा. इनमें से 36 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के खाते में जीत आई. दूसरे शब्दों में कहें तो अधिक मतदान प्रतिशत वाली सीटों पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत 82 फीसदी रहा. शेष 12 सीटों पर जहां मतदान प्रतिशत कम था, उन पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत 67 ही रहा.
2012 के विधानसभा चुनाव में 43 सीटों पर मतदान प्रतिशत औसत से अधिक रहा था. उस वक्त सत्तारूढ़ पार्टी को चुनौती दे रही कांग्रेस ने 51 फीसद जीत के प्रतिशत के साथ 43 सीटों पर कब्जा किया था. हालांकि औसत मतदान प्रतिशत से कम विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी की जीत का प्रतिशत अधिक रहा. इससे पता चलता है कि मतदाताओं के बड़ी संख्या में मतदान के लिए घरों से बाहर निकलने और चुनावी परिणामों का आपस में गहरा रिश्ता होता है. अधिक मतदाताओं का अपने मताधिकार का प्रयोग करना उनके उत्साह के साथ-साथ बढ़ती जागरूकता भी दर्शाता है.
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2022 में 65.92 फीसदी मतदान
ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव में 65.92 मतदान प्रतिशत ने हार-जीत के अंतर के साथ अटकलों को और तेज कर दिया है. कांग्रेस ने 'हिमाचल का संकल्प कांग्रेस ही विकल्प' तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने 'राज नहीं रिवाज बदलेंगे' के ध्येय वाक्य के साथ पूरा प्रचार अभियान चलाया. गौरतलब है कि 1985 से देवभूमि ने किसी भी पार्टी को लगातार दूसरी बार सरकार चलाने की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है. ऐसे में जब चुनाव पूर्व सर्वेक्षण बीजेपी की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी कर रहे हैं, तो भी यह लाख टके का सवाल है कि क्या उत्तराखंड की तर्ज पर बीजेपी यहां भी रिवाज बदल सकेगी. हालांकि असल तस्वीर तो 8 दिसंबर को मतगणना के बाद ही साफ हो सकेगी. तब तक 55 लाख मतदाताओं समेत राजनीतिक पार्टियों की सांसें हलक में लटकी रहेंगी.
1985 से बीजेपी-कांग्रेस के बीच अदला-बदली सरकार
1985 में कांग्रेस को 68 विधानसभा सीटों में से 58 पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को महज 7 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. उस चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली कांग्रेस दूसरी बार सत्ता में वापसी करने असफल रही और बीजेपी ने 1990 के विधानसभा चुनाव में 46 सीटों पर जीत के साथ राज्य में सरकार बनाई. बीजेपी के शांता कुमार ने वीरभद्र सिंह की जगह मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली. हालांकि उनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इसके बाद 1993 में संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की. वीरभद्र सिंह राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. 1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 31-31 सीटों पर जीत मिली, लेकिन हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी के साथ बीजेपी ने सरकार बनाई. बीजेपी ने प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री बनाया. 2003 में अदला-बदली पार्टी की सरकार की परंपरा कायम रही और 43 सीट जीत कर कांग्रेस ने फिर वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई. 2007 के चुनाव में बीजेपी ने 41 सीटों पर कब्जा कर फिर सत्ता में वापसी की. 2012 में कांग्रेस ने 41 सीटें जीत कर फिर से सरकार बनाई. अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो-तिहाई बहुमत यानी 44 सीटों के साथ फिर सरकार में वापसी की.
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2022 के चुनाव में क्या-क्या रहे हैं चुनावी वादे
कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का भरोसा है. वह महंगाई और बेरोजगारी जैसे मसलों समेत अपने दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह के बल पर चुनावी वैतरणी पार करने के भरोसे है. कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए पांच बड़े वादे किए हैं, जिन्हें बीजेपी 'आप स्टाइल रेवड़ी राजनीति' की संज्ञा दे रही है. कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, एक लाख सरकारी नौकरियों का वादा कर नौकरीपेशा मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरियों में कार्यरत मतदाताओं की बड़ी संख्या है. इसके अलावा कुल मतदाताओं में 48 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली महिलाओं को लुभाने के लिए कांग्रेस ने 18 से 60 के वय की सभी महिलाओं को हर महीने डेढ़ हजार रुपए देने का भी वादा किया है. आप की तर्ज पर कांग्रेस ने हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली का भी वादा किया है.
दूसरी तरफ बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण समेत और भी कई लोक-लुभावन घोषणाएं की हैं. बीजेपी ने महिलाओं के लिए अलग से चुनावी घोषणापत्र भी जारी किया है. मुफ्त अनाज, रसोई गैस कनेक्शन और शौचालय ने बीजेपी को हर चुनाव में फायदा पहुंचाया है. इसके अलावा बीजेपी ने सरकार समेत 8 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का भी वादा किया है. कक्षा 6 से 12 की छात्राओं को साइकिल और उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही छात्राओं को स्कूटी देने का भी भारी-भरकम वादा है. यही नहीं, चुनाव जीतने पर बीजेपी ने राज्य में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोलने की भी बात कही है. सबसे बड़ी बात बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भी बड़ा भरोसा है, जिन्होंने राज्य में कई रैलियों को संबोधित किया है.
आप बिगाड़ेगी खेल
दशकों से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ही चुनकर सत्ता में आती रही हैं. हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी के भी मैदान में ताल ठोंकने से त्रिकोणीय चुनाव की बिसात बिछी है. हालांकि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया है कि आप हिमाचल प्रदेश की सभी 68 सीटों पर जमानत भी नहीं बचा सकेगी. यह अलग बात है कि पंजाब में चुनावी जीत से उत्साहित आप पार्टी हिमाचल समेत गुजरात में मैदान पर है. आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल इस पहाड़ी राज्य के कई चुनावी दौरा कर लोकलुभावन वादे कर चुके हैं. आप ने 3 हजार रुपए का बेरोजगारी भत्ता, 6 लाख सरकारी नौकरियां, पंचायतों को 10 लाख की ग्रांट, वृद्धों को मुफ्त तीर्थयात्रा और कृषि उत्पादों को बेहतर मूल्य समेत और भी कई वादे किए हैं.
HIGHLIGHTS
- 2017 के विधानसभा चुनावों में हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा लगभग 76 फीसदी वोट पड़े
- 90 के दशक से हिमाचल प्रदेश में कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना सकी
- सभी राजनीतिक पार्टियों ने किए हैं राज्य के मतदाताओं से बड़े-बड़े लोकलुभावन चुनावी वादे
Source : News Nation Bureau