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क्यों तूल पकड़ता जा रहा हिंदू-मुस्लिम मुद्दा, योगी-मोहन के बाद अब हिमंता ने दिखाए तेवर, क्या है असली वजह?

बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री योगी, मोहन, और सरमा हिंदुत्व की सियासत करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अब ये नेता हिंदु-मुसलमान के मुद्दे पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिख रहे हैं. आखिर क्या वजह?

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Ajay Bhartia
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Hindu-Muslim

क्यों तूल पकड़ता जा रहा हिंदू-मुस्लिम मुद्दा?

Hindu-Muslim Politics: बीते कुछ समय से देश की सियासत में हिंदू-मुस्लिम मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के चीफ मिनिस्टर मोहन यादव के बाद असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने अपने तेवर दिखाए हैं. सीएम सरमा ने आज यानी शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले 2 घंटे की जुमे की नमाज का ब्रेक खत्म कर दिया है. बीजेपी के ये तीनों मुख्यमंत्री हिंदुत्व की सियासत करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अब ये नेता हिंदु-मुसलमान के मुद्दे पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिख रहे हैं. आखिर इसके पीछे की असली वजह क्या है. 

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‘बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जब कट्टरपंथियों ने वहां हिंदुओं पर अत्याचार किया गया तो इसका असर देश की राजनीति में भी दिखा. 26 अगस्त को जब देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है, तब सीएम योगी और सीएम मोहन यादव हिंदुओं को सावधान कर रहे थे. सीएम योगी (Yogi Adityanatha News) ने बांग्लादेश में चली रही अशांति का हवाला देते हुए हिंदुओं को एकजुट रहने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘बंटेंगे तो कटेंगे. एक रहेंगे तो नेक रहेंगे. सुरक्षित रहेंगे. बांग्लादेश में जो हो रहा है, वैसी गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए.’

‘राम-कृष्ण की जय कहना ही होगा’

उस दिन मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव भी मुसलमानों का बिना नाम लिए चेतावनी देते हुए नजर आए. जन्माष्टमी के मौके पर उन्होंने अशोकनगर में बड़ा बयान दिया था. सीएम मोहन यादव (Mohan Yadan News) ने कहा कि 'सावधान! जो यहां का खाता है और कहीं और की बजाता है. ये यहां नहीं चलेगा. भारत के अंदर रहना होता तो राम-कृष्ण की जय कहना होगा.’ इस तरह से असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी मोर्चा खोले हुए हैं, वो लगातार अपने प्रदेश में ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिनका कहीं न कहीं मुसलमानों से जुड़ाव रहा है.

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‘असम को नहीं बनने देंगे मियां भूमि’

असम विधानसभा में एक अहम बिल भी पास हुआ है, जिसके तहत मुस्लिम मैरिज एक्ट को रद्द कर दिया गया है. इसके बाद अब निकाह का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं कर पाएंगे. इनके अलावा सीएम सरमा लैंड जिहाद और लव जिहाद के खिलाफ भी सख्त कानून बना चुके हैं. इतना ही असम की बदली हुई डेमोग्राफी को लेकर भी सीएम सरमा ने बड़े ही आक्रामक तरीके से आवाज बुलंद की है. बता दें कि बीते कुछ सालों में असम में मुसलमानों की आबादी बहुत तेजी से बड़ी है. इसको लेकर सीएम सरमा ने साफ कह चुके हैं कि, ‘वो असम को मियां भूमि नहीं बनने देंगे.’ उनका ये बयान सीधे-सीधे तौर से बांग्लादेशी मुसलमानों को अल्टीमेटम है.

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क्यों बदली असम की डेमोग्राफी?

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बीते कुछ दशकों में असम की डेमोग्राफी बड़ी तेजी से बदली है, इसके पीछे की वजह वो बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं जो असम में रह रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साल 1951 में असम में हिंदुओं की जनसंख्या 87 फीसदी थी जबकि मुसलमान 12 फीसदी थे, लेकिन 2021 में असम में हिंदुओं की आबादी घटकर 59 फीसदी रह गई है. वहीं असम में मुसलमानों की आबादी में जबरदस्त इजाफा हुआ है और उनकी आबादी बढ़कर 40 फीसदी हो गई है. सीएम सरमा कई बार इस बढ़ते असंतुलन को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. हालांकि, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि हिमंता सस्ती राजनीति के लिए ये सब करते हैं.

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क्या है असली वजह?

सीएम योगी का हिंदू-मुस्लिम मुद्दे को लेकर इतना आक्रामक होने की वजह बाग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और 10 विधानसभी सीटों पर होने वाले उपचुनाव हो सकते हैं. उनको ये लग सकता है कि वो जिनता जोर से इस मुद्दे को उठाएंगे हिंदुओं के उतने ही अधिक वोट उनको मिलेंगे. वहीं सीएम मोहन यादव और सीएम सरमा दोनों ही हिंदुत्व की सियासत करने के लिए जाने जाते हैं. इन नेताओं के फोकस में पश्चिम बंगाल भी है, जो इस समय एक ट्रेनी डॉक्टर से रेप और मर्डर के बाद से सुलग रहा है.

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