हिंदी दिवस 2022: राजनीति के दलदल में फंसी हिंदी, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री का विरोधी सुर

जद (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखकर अपनी सरकार से करदाताओं के पैसे पर 'हिंदी दिवस' नहीं मनाने का आग्रह किया है.

author-image
Pradeep Singh
एडिट
New Update
hindi

हिंदी दिवस 2022( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. लगभग 61.5 करोड़ लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है. 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है. भाषा के महत्व को सम्मान देने के लिए यह दिन समर्पित है. भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में भी इस दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा कहा जाता है. हिंदी को राजभाषा बनाने की भी कोशिश हुई थी. लेकिन राजनीतिक कारणों से शुरू से लेकर अबतक हिंदी का विरोध किया जाता रहा है. 

14 सितंबर के दो दिन पहले यानि 12 सितंबर को हिंदी को लेकर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जद (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखकर अपनी सरकार से करदाताओं के पैसे पर 'हिंदी दिवस' नहीं मनाने का आग्रह किया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जबरन हिंदी दिवस मनाना कर्नाटक के लोगों के साथ "अन्याय" होगा. कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे ने भी केंद्र पर यह कहते हुए हमला किया कि "वे हम पर हिंदी नहीं थोप सकते."

यह विवाद हिंदी को 'थोपने' पर नए सिरे से बहस के बीच आया है और क्या इसे देश में एक आम एकीकृत भाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए. इसी साल हिंदी भाषा को लेकर दो बड़े विवाद हुए, पहला अजय देवगन और किच्चा सुदीप के बीच ट्विटर पर विवाद और दूसरा अमित शाह का यह बयान कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

अजय देवगन बनाम किच्चा सुदीप

हिंदी को 'राष्ट्र भाषा' के रूप में दर्जा देने पर ट्विटर पर बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और कन्नड़ अभिनेता किच्चा सुदीप के बीच एक बहस शुरू हुई थी. कन्नड़ अभिनेता सुदीप ने कहा था, "आपने कहा था कि कन्नड़ में एक अखिल भारतीय फिल्म बनाई गई थी. मैं एक छोटा सा सुधार करना चाहता हूं. हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही. वे (बॉलीवुड) आज अखिल भारतीय फिल्में कर रहे हैं. वे तेलुगु और तमिल में डबिंग करके (सफलता पाने के लिए) संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. आज हम ऐसी फिल्में बना रहे हैं जो हर जगह जा रही हैं."

इसके जवाब में अजय देवगन ने हिंदी में ट्वीट किया: "किच्चा सुदीप मेरे भाई, अगर आपके अनुसार हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है, तो आप अपनी मातृभाषा में बनी फिल्मों को हिंदी में डब करके रिलीज क्यों करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमारी राष्ट्रभाषा है और हमेशा रहेगी. जन गण मन."

उस दौरान ट्विटर पर कई लोगों ने बताया कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है. सुदीप ने तब स्पष्ट किया कि उन्होंने जिस संदर्भ में बात की थी वह "बिल्कुल अलग" था, और कहा कि वह देश की हर भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं.

तब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सुदीप के समर्थन में आए थे और कहा था कि भाषाई विविधता होनी चाहिए. बोम्मई ने कहा था कि, “सुदीप ने जो कुछ भी कहा है वह सही है. भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के बाद वहां की भाषाओं को महत्व मिला. वही सर्वोच्च है. वही सुदीप ने कहा है, जो सही है. सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए." 

अमित शाह के बयान पर हुआ था विवाद

इस साल अप्रैल में, अमित शाह के इस बयान के बाद इस मुद्दे पर विवाद खड़ा हो गया कि हिंदी को अंग्रेजी की जगह ऐसी भाषा बनानी चाहिए जो देश में विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों को एक साथ लाती है. शाह ने सभी सातों पूर्वोत्तर राज्यों में दसवीं कक्षा तक हिंदी की अनिवार्य शिक्षा की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि कैबिनेट का 70 प्रतिशत एजेंडा हिंदी में तैयार किया गया है.

गृहमंत्री के इस बयान पर एमके स्टालिन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. उन्होंने कहा,  “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों से अंग्रेजी के बजाय हिंदी का उपयोग करने के लिए कहा, यह एक ऐसा कार्य है जो भारत की एकता को चोट पहुंचाएगा. भाजपा भारत की विविधता को खत्म करने के अपने काम में लगी हुई है. क्या अमित शाह को लगता है कि केवल हिंदी भाषी राज्य ही काफी हैं और अन्य भारतीय राज्यों की जरूरत नहीं है?"  

सीएम स्टालिन ने कहा, “एक भाषा एकता में मदद नहीं करेगी. और एकरूपता एकता को जन्म नहीं देती. आप (भाजपा) वही गलती कर रहे हैं. आप कभी सफल नहीं होंगे. ” 

म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान ने भी इस मुद्दे पर जोरदार तरीके से अपनी राय रखी थी. इससे पहले 2019 में भी शाह ने 'हिंदी दिवस' के मौके पर प्रस्ताव दिया था कि हिंदी को भारतीय पहचान का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.

“भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है लेकिन एक ऐसी भाषा का होना बहुत जरूरी है जो दुनिया में भारत की पहचान बने."  शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर एक ट्वीट में कहा था कि अगर आज एक भाषा देश को एकजुट कर सकती है, तो वह व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिंदी भाषा है.

पीएम मोदी बोले-भाषा विविधता देश का गौरव

अमित शाह के बयानों पर विवाद के कुछ हफ्ते बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाषा विविधता देश का गौरव है और कहा कि इस पर विवाद पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा था, “पिछले कुछ दिनों में, हमने देखा है कि भाषाओं के आधार पर विवाद भड़काने की कोशिश की जा रही है. भाजपा हर क्षेत्रीय भाषा में भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब देखती है और उन्हें पूजा के लायक मानती है."

क्या हिंदी राष्ट्र भाषा है?

संविधान किसी भी भाषा को "राष्ट्र भाषा" के रूप में निर्दिष्ट नहीं करता है. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार, असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मैथिली, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू सहित 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं.

हालांकि, राजभाषा अधिनियम, 1963, केंद्र और राज्य अधिनियमों और अन्य उद्देश्यों के लिए संसद में व्यवहार सहित केंद्र सरकार के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी और हिंदी को निर्दिष्ट करता है.  

हिंदी को लेकर क्या विरोध नया है?

हिंदी को लेकर इस तरह का विवाद कोई नया नहीं है. हिन्दी भाषा और उसके 'थोपने' को लेकर बार-बार विवाद होता रहता है. फूड डिलीवरी ऐप Zomato उस समय विवादों में आ गया था जब एक कंज्यूमर केयर एक्जीक्यूटिव ने तमिलनाडु के एक ग्राहक को बताया था कि हिंदी राष्ट्रभाषा है. डिलीवरी ऐप को जल्द ही माफी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

इसी तरह, दिल्ली के एक अस्पताल ने एक सर्कुलर जारी किया था, जो बहस का मुद्दा बन गया था, जिसमें कर्मचारियों को मलयालम में बातचीत करने से रोक दिया गया था क्योंकि मरीज भाषा से परिचित नहीं थे. विवाद बढ़ने पर सर्कुलर को वापस ले लिया गया और आलोचना का सामना करना पड़ा. इस मुद्दे पर प्रारंभिक बहस को स्वतंत्रता पूर्व के रूप में देखा जाता है जब 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मद्रास प्रेसीडेंसी में हिंदी सिखाने का प्रयास किया था. तब हिंदी थोपने के खिलाफ विरोध तीन साल तक चला था.

यह भी पढ़ें: मदरसों का सर्वे: यूपी में शुरू-उत्तराखंड में आहट, इसमें क्या-क्या होगा

दिसम्बर 1946 में जब पहली बार संविधान सभा की बैठक हुई, तो बहुत बहस और चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि सदन की कार्यवाही हिंदुस्तानी और अंग्रेजी में आयोजित की जाएगी.

HIGHLIGHTS

  • हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है
  • लगभग 61.5 करोड़ लोगों द्वारा यह भाषा बोली जाती है
  • 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है
amit shah JDS leader HD Kumaraswamy Hindi Diwas 2022 Hindi Diwas controversy over Hindi Worlds 3rd Most Spoken Language Karnataka Chief Minister Basavaraj Bommai Congress leader Priyank Kharge
Advertisment
Advertisment
Advertisment