BAPS Hindu Mandir, Abu Dhabi: खाड़ी के देश संयुक्त अरब अमीरात में पहली बार बीएपीएस हिंदू मंदिर का निर्माण किया गया है. अबू धाबी में बनाए गए इस मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार (14 फरवरी) को करेंगे. ये मंदिर सांस्कृतिक सद्भाव, वास्तुकला उत्कृष्टता और आध्यात्मिक महत्व की एक बड़ी उपलब्धि है. ये मंदिर सहिष्णुता और विविधता के प्रति संयुक्त अरब अमीरात की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. उद्घाटन में समारोह में लाखों लोगों के आने की उम्मीद की जा रही है. आज हम आपको अबू धाबी के 'अक्षरधाम' मंदिर के बारे में कुछ विशेष जानकारियां देने जा रहे हैं.
1997 में रखा गया था मंदिर के निर्माण का विचार
अबू धाबी में बनाए गए पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का विचार पहली बार 1997 में रखा गया था. जब बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के धर्म गुरु और प्रमुख स्वामी महाराज ने 1997 में संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा की. इस दौरान उन्होंने अबू धाबी में एक हिंदू मंदिर के निर्माण का विचार रखा. इस मंदिर के निर्माण का उद्देश्य "देशों, संस्कृतियों और धर्मों" के बीच एकता को बढ़ावा देना था.
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इस मंदिर से वे सद्भावना का संदेश देना चाहते थे. इस विचार के करीब 18 साल पर संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने इस मंदिर के लिए जमीन का आवंटन किया. अगस्त 2015 में मंदिर के लिए भूमि आवंटित करने के की घोषणा की गई. बता दें कि अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के संबंधों के प्रगाढ़ बनाने के लिए सौगात के रूप में ये जमीन दी थी.
20 अप्रैल 2019 को किया गया मंदिर का शिलान्यास
इसके बाद 10 फरवरी, 2018 को प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में बीएपीएस प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति भवन में शेख मोहम्मद से मुलाकात की. जिसमें मंदिर परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें प्रधान मंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि मंदिर एक "पवित्र स्थान" के रूप में काम करेगा. जहां मानवता और सद्भाव के साथ लोग एकजुट होंगे. इसके बाद 20 अप्रैल 2019 को अबू धाबी में मंदिर का शिलान्यास किया गया. इस शिलान्यास कार्यक्रम में महंत स्वामी महाराज और भारत और संयुक्त अरब अमीरात के गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया.
कितना बड़ा है अबू धाबू का हिंदू मंदिर
अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर को 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है. इस मंदिर की ऊंचाई 32.92 मीटर यानी 108 फीट है. मदिर की लंबाई 79.86 मीटर यानी 262 फीट है. जबकि मंदिर की चौड़ाई 54.86 मीटर यानी 180 फीट है. इस मंदिर का डिजायन आरएसपी आर्किटेक्ट्स प्लानर्स एंड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड और कैपिटल इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स द्वारा तैयार किया गया है. मंदिर का निर्माण शिल्प शास्त्र के प्राचीन हिंदू ग्रंथों के आधार पर किया गया है. ये मंदिर पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनने जा रही. इस मंदिर में एक साथ 10,000 लोगों पूजा-पाठ कर सकेंगे.
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मंदिर के अंदर बनाए गए हैं सात मंदिर
संयुक्त अरब अमीरात में बनाए गए पहले हिंदू मंदिर के अंदर मंदिर बनाए गए हैं. जो सात अमीरात का प्रतीक है, मंदिर में सात शिखर बनाए गए हैं. मंदिर का निर्माण सात मंदिर के साथ बनाया गया है. जो रामायण, महाभारत, भागवतम और शिव पुराण की कहानियों का वर्णन करता है. इन मंदिरों में शिखर वेंकटेश्वर, स्वामीनारायण, जगन्नाथ और अयप्पा जैसे देवताओं विराजमान होंगे. मंदिर का 'डोम ऑफ हार्मनी' पांच प्राकृतिक तत्वों का सुंदर प्रतिनिधित्व करता है- इनमें पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष शामिल हैं. विशेष रूप से मंदिर परिसर में घोड़ों और ऊंटों की विस्तृत नक्काशी की गई है. जो संयुक्त अरब अमीरात का प्रतीक है, प्रत्येक नक्काशी को विशिष्ट रूप से तैयार किया गया है.
मंदिर में मिलेगी फूड कोर्ट और किताबों की दुकान
अबू धाबी के हिंदू मंदिर के अंदर आपको कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी. मंदिर के अंदर धार्मिक महत्व के अलावा यहां आपको कई और चीजें देखने को मिलेंगी. जिसमें पर्यटकों के लिए एक केंद्र, पूजा-पाठ के लिए स्थान, प्रदर्शनियां, पढ़ने के लिए स्थान, बच्चों के लिए खेलने की सुविधाएं, विषयगत उद्यान, पानी की सुविधाएं, एक फूड कोर्ट और एक किताबें और उपहार की दुकान भी बनाई गई है. ये मंदिर अपनी उन्नत सेंसर तकनीक के लिए जाना जाता है.
मंदिर की नींव में 100 सेंसर और पूरे क्षेत्र में 350 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं. जो भूकंप की गतिविधि, तापमान में उतार-चढ़ाव और दबाव परिवर्तन पर जरूरी डेटा प्रदान करेंगे. मंदिर के अंदर लकड़ी और फूस से बना फूड कोर्ट बनाया गया है. परिसर के भीतर एक प्रतीकात्मक झरना तीन पवित्र नदियों - गंगा, यमुना और सरस्वती के उद्गम को भी दर्शाता है. वास्तुकला की भव्यता और पर्यावरणीय चेतना का यह अनूठा मिश्रण अबू धाबी हिंदू मंदिर को सांस्कृतिक एकता के रूप में डिजाइन किया गया है.
राजस्थान और इटली के गुलाबी पत्थर और संगमरमर से बना है मंदिर
अबू धाबी के मंदिर का निर्माण राजस्थान और इटली के गुलाबी बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से किया गया है. पत्थर को भारत में 1,500 से अधिक कुशल कारीगरों द्वारा हाथ से तराशा गया है. जिन्होंने हिंदू संस्कृति और विरासत के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए जटिल पैटर्न, रूपांकनों और मूर्तियां बनाईं हैं. नक्काशी करने के बाद इन पत्थरों को अबू धाबी भेज दिया गया था, जहां आधुनिक तकनीक और तरीकों का उपयोग करके इंजीनियरों और श्रमिकों ने मंदिर का रूप दिया. इस मंदिर को बनाने में 700-900 करोड़ रुपये का खर्च आया है. जिसे दान के पैसे से बनाया गया है.
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कौन-कौन होगा मंदिर के उद्घाटन में शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 फरवरी 2024 को अबू धाबी के भव्य मंदिर का उद्घाटन करेंगे. मंदिर के उद्घाटन में शेख मोहम्मद, महंत स्वामी महाराज के अलावा भारत और संयुक्त अरब अमीरात के अन्य प्रतिष्ठित अतिथि और अधिकारी शामिल होंगे. समारोह में अनुष्ठान, प्रार्थना, मंत्रोच्चार और संगीत के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रदर्शन का भी आयोजन होगा. इसके साथ ही मंदिर में संबोधन भी होगा. यह समारोह मंदिर के उद्घाटन का जश्न मनाने के लिए धार्मिक और सामुदायिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की शुरुआत का प्रतीक होगा.
उद्घाटन के बाद 18 फरवरी, 2024 मंदिर के कपाट आम जनता के लिए खोल दिए जाएंगे. वहीं संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले लोग मंदिर की वेबसाइट और ऐप पर पंजीकरण कराने के बाद 1 मार्च, 2024 से मंदिर में दर्शन कर सकेंगे. इसकी वजह ये है कि उद्घाटन के बाद भारी संख्या में विदेशी श्रद्धालु अबू धाबू के मंदिर में दर्शन के लिए आ सकते हैं. ऐसे में यहां भारी भीड़ हो सकती है.
Source : News Nation Bureau