बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर राजद और कुछ अन्य दलों के साथ सरकार बनाने को विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर नए राजनीतिक गठबंधन का संकेत बता रहे हैं. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के पतन के बाद विपक्ष बिहार की घटना को आशा की किरण के रूप में देख रहा है. वर्तमान राजनीतिक समय में इस नया राजनीतिक इंजीनियरिंग माना जा रहा है. नीतीश कुमार के राजद के साथ सरकार बनाने से विपक्ष खासा उत्तसाहित है. आने वाले समय में यह गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर क्या राजनीतिक संकेत देगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या राजद, जेडीयू, कांग्रेस और वामदलों का यह गठबंधन बचा हुआ कार्यकाल पूरा करेगा, या राजनीतिक, वैचारिक और जमीनी सच्चाइयों के मद्देनजर विरोधाभासों के चलते पुरानी वाली स्थिति का शिकार होगा.
सुशील मोदी और गिरिराज सिंह ने नीतीश पर साधा निशाना
राजनीति का तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों के बीच अभी स्वागत का दौर चल रहा है. इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जद (यू) पर हमला करते हुए कहा कि, "राजद बिहार में वास्तविक सत्ता हासिल करेगी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में अपने अंतिम कार्यकाल की सेवा कर रहे हैं."
गिरिराज सिंह ने दावा किया कि नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपना आखिरी कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और उन्हें फिर कभी कुर्सी नहीं मिलेगी. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की पुरानी टिप्पणी जिसमें उन्होंने कुमार को "सांप" बताया था, का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि अब वही सांप लालू प्रसाद यादव के घर में प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाने के लिए घुस गया है.
भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि नई सरकार 2025 में अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले गिर जाएगी. सुशील मोदी, जो कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को पांच दशकों से जानते हैं, ने यह भी कहा कि जद (यू) सुप्रीमो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोगों का अपमान किया है. बिहार के जिन्होंने एनडीए को वोट दिया था.
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कुमार “राजद को छोड़ देंगे और राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बीमारी का फायदा उठाकर इसे विभाजित करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने जद (यू) के आरसीपी सिंह के माध्यम से रची गई "साजिश" के दावों का खंडन किया, जिसमें दावा किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नीतीश कुमार से सहमति प्राप्त करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री को कैबिनेट में शामिल किया गया था.
क्या नीतीश कुमार बनना चाहते थे उप राष्ट्रपति
“हम देखना चाहेंगे कि बिहार की नई सरकार (राजद नेता) तेजस्वी के साथ वास्तविक मुख्यमंत्री के रूप में कैसे काम करती है; यह अगले चुनावों से पहले गिर जाएगा." सुशील मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार उप राष्ट्रपति बनना चाहते थे और पार्टी द्वारा उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहने के बाद उन्होंने भाजपा को छोड़ दिया.
जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने पूर्व डिप्टी सीएम के आरोप का खंडन किया. उन्होंने सुशील मोदी को अपनी ही पार्टी द्वारा सड़क किनारे छोड़े गए नेता के रूप में की. कई विपक्षी नेताओं ने दूसरी बार महागठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए कुमार के आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की सराहना की.
बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने कहा "भाजपा मुक्त बिहार"
वहीं भगवा खेमे पर निशाना साधते हुए बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने चुटकी लेते हुए कहा कि "भाजपा मुक्त बिहार" नया संदेश है जो लोगों को भेजा गया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बिहार में कोई "ऑपरेशन लोटस" नहीं था.
"कोई नकदी नहीं पकड़ी गई. ईडी की छापेमारी नहीं असम का सीएम नहीं कोई रिसॉर्ट यात्रा नहीं. सभी विशिष्ट बिहार शैली, सभ्य और कम लागत में किए गए. सीएम को सबसे बड़ी पार्टी और अन्य का समर्थन है. महाराष्ट्र में भाजपा ने दलबदल किया. बिहार में, भाजपा को खारिज कर दिया गया."
विपक्षी नेताओं ने बताया समय की जरूरत
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भाजपा पर अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को धीरे-धीरे खत्म करने का आरोप लगाया.महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती शहर में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने दावा किया कि भाजपा शिवसेना को कमजोर करने और पार्टी में विभाजन पैदा करने की योजना बना रही है. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया गया और उसकी जगह एकनाथ शिंदे और भाजपा के नेतृत्व वाले शिवसेना अलग गुट की सरकार ने ले ली.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि बिहार में महागठबंधन ने देश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत किया है. बिहार में महागठबंधन की वापसी देश की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों की एकता में एक सामयिक प्रयास है. तृणमूल कांग्रेस के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार 2024 के संसदीय चुनाव में देश में "मोदी राज" को समाप्त करने के लिए ममता बनर्जी और अन्य के साथ विपक्षी खेमे की "अग्रिम पंक्ति" में खड़े हैं.
जेडीयू-राजद गठबंधन का भविष्य
बिहार में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ने के बाद भाजपा पर अपना अपमान करने और अपनी पार्टी तोड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार और भाजपा के बीच पहली बार मनमुटाव और अलगाव हुआ है. इसके पहले भी नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर अलग राह अख्तियार कर चुके हैं. लेकिन वह फिर एनडीए में वापस लौट कर आए. इसी तरह नीतीश कुमार औऱ राजद का गठबंधन भी नया नहीं है. इससे पहले जब वह राजद के साथ मिलकर सरकार बनाये थे, तब भी दोनों दलों में सबकुछ ठीक नहीं था.
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दूसरी बात, जेडीयू और राजद के जनाधार और समर्थक में बड़ा अंतर हैं. राजद का समर्थक वर्ग जहां पूरे बिहार में है, और दबंग है. वहीं नीतीश कुमार के जनाधार औऱ समर्थकों में दिनोंदिन कमी आ रही है. ऐसे में नीतीश कुमार पर राजद का दबाव रहेगा, अब सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार पिछली बार की तरह इस बार भी कोई न कोई आरोप लगाकर गठबंघन तोड़ देंगे, या भाजपा का डर दिखा बिहार में अपनी राजनीति करते रहेंगे.
HIGHLIGHTS
- शरद पवार ने भाजपा पर अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को खत्म करने का आरोप लगाया
- स्टालिन ने कहा कि बिहार में महागठबंधन ने लोकतांत्रिक ताकतों को मजबूत किया
- नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में अपने अंतिम कार्यकाल की सेवा कर रहे हैं