China ने यदि जीरो कोविड पॉलिसी खत्म की, तो कितने लोग मर सकते हैं? आंकड़ा जान चौंक जाएंगे

दबाव में आई चीन सरकार अब तेजी से कोरोना प्रतिबंधों में ढील दे रही है. चीन में कोरोना टीकाकरण की कम दर और हर्ड इम्यूनिटी का नहीं होना कुछ ऐसी कमियां हैं, जो विशेषज्ञों की पेशानी पर बल डाल रही हैं.

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Nihar Saxena
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विरोध-प्रदर्शन के बाद दबाव में आई सरकार दे रही प्रतिबंधों में ढील.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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1989 में तियानमेन चौक (Tiananmen Square) पर लोकतंत्र समर्थकों के व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बाद चीन (China) ने हालिया दौर में विगत दिनों शी जिनपिंग (Xi Jinping) सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी (Zero-Covid policy) के खिलाफ ऐतिहासिक विरोध-प्रदर्शन देखे हैं. शिनजियांग प्रांत के उरुमकी जिले में अपार्टमेंट अग्निकांड से सख्त कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ आम लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. उरुमकी से शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला शिनजियांग, बीजिंग, शंघाई, वुहान समेत कई बड़े-छोटे शहरों में फैला. यहां तक चीन की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज तक में छात्रों ने शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ दीवारों पर आक्रामक नारे लिखे. इन विरोध प्रदर्शनों के बाद दवाब में आई सरकार अब कोरोना प्रतिबंधों में ढील दे रही है. शनिवार को बीजिंग में सामूहिक कोरोना टेस्ट तो शेनझेन में यात्रा के लिए कोरोना टेस्ट परिणाम की जरूरत खत्म कर दी गई. इस तरह की ढील कई शहरों में दी गई है. यह अलग बात है कि चीन में कोरोना मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में विशेषज्ञ कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कोरोना मौतों का आंकड़ा भीषण दर पर बढ़ने की आशंका जता रहे हैं. 

जिनपिंग सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक विरोध-प्रदर्शन
कोरोना महामारी के लगभग तीन सालों में चीन कोरोना संक्रमण पर रोक लगाने के लिए सख्त जीरो कोविड पॉलिसी अपनाने वाला अकेला देश रहा है. कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आते ही संबंधित इलाके में सख्त कोरोना लॉकडाउन और सामूहिक वायरस परीक्षण अभियान छेड़ दिया जाता है. शी जिनपिंग सरकार का कहना रहा है कि लोगों की जान बचाने और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को आकस्मिक दवाब से बचाने के लिए प्रतिबंधात्मक उपाय अपनाना जरूरी हैं. हालांकि इन्होंने आम लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. लॉकडाउन की वजह से वे अपने-अपने घरों में कैद हो जाते है. आर्थिक गतिविधियां बंद हो जाती हैं, जिसका असर लोगों समेत चीन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है. ऐसे में आम लोगों का गुस्सा जीरो कोविड पॉलिसी और सख्त प्रतिबंधों के खिलाफ विगत दिनों सड़कों पर आ गया. शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ यह ऐतिहासिक विरोध-प्रदर्शन थे. दबाव में आई चीन सरकार अब तेजी से कोरोना प्रतिबंधों में ढील दे रही है. चीन में कोरोना टीकाकरण की कम दर और हर्ड इम्यूनिटी का नहीं होना कुछ ऐसी कमियां हैं, जो विशेषज्ञों की पेशानी पर बल डाल रही हैं. उनका मानना है जीरो कोविड पॉलिसी के खत्म होने से कोरोना मौतों के आंकड़ों में तेज उछाल आएगा. उन्होंने इसके लिए बकायदा विश्लेषण कर अनुमान भी प्रस्तुत किए गए हैं.

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20 लाख से अधिक कोरोना मौतों का अनुमान
दक्षिण-पश्चिमी गुआंग्ची में रोग नियंत्रण केंद्र के प्रमुख झोउ जियातोंग का पिछले महीने शंघाई जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में एक पेपर प्रकाशित हुआ था. उन्होंने इसमें कहा था कि अगर हांगकांग की तर्ज पर कोविड प्रतिबंधों में ढील दी जाती है, तो मेनलैंड चाइना में 20 लाख से अधिक कोरोना मौतें हो सकती हैं. यही नहीं, उन्होंने यह पूर्वानुमान भी जाहिर किया कि ऐसे में कोरोना संक्रमण के मामले 23 करोड़ 30 लाख से भी अधिक का आंकड़ा पार कर सकते हैं.

15 लाख मौतें इंटेसिव केयर में देखभाल नहीं होने से होंगी
नेचर मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार मई में चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि अगर चीन समुचित टीकाकरण और प्रभावी उपचार तक पहुंच बगैर सुरक्षा उपायों जैसे अपनी सख्त जीरो कोविड पॉलिसी छोड़ देता है, तो 15 लाख से अधिक कोविड मौतों की आशंका बलवती हो जाती है. उन्होंने दुनिया भर से वेरिएंट की गंभीरता पर एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर एक अनुमान यह भी लगाया कि ऐसी स्थिति में इंटेसिव केयर में संक्रमित की देखभाल की मांग 15 गुना बढ़ जाएगी. इस कारण 15 लाख मौतें हो सकती हैं. शोधकर्ताओं के प्रमुख विज्ञानी चीन के फुडन विश्वविद्यालय से जुड़े थे, जिनका कहना था कि अगर कोरोना टीकाकरण पर ध्यान दिया जाए, तो मृत्यु दर में तेजी से कमी लाई जा सकती है.

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21 लाख मौतें होंगी इस वजह से
ब्रिटिश वैज्ञानिक सूचना और विश्लेषण कंपनी एयरफिनिटी ने सोमवार को कहा कि अगर चीन कम टीकाकरण और बूस्टर दरों के साथ-साथ हाइब्रिड प्रतिरक्षा की कमी के बावजूद अपनी शून्य-कोविड नीति को हटाता है, तो 13 लाख से 21 लाख लोगों की मौत हो सकती है. कंपनी के मुताबिक उसने फरवरी में हांगकांग के बीए.1 वेरिएंट की कोरोना लहर के आधार पर अपना यह अनुमान प्रस्तुत किया. गौरतलब है कि हांगकांग ने दो साल के कड़े प्रतिबंधों में ढील दी थी और कोरोना संक्रमण की नई सूनामी ने उसे घेर लिया था. हांगकांग के आधार पर ही विशेषज्ञ चीन को लेकर नई आशंकाएं सामने ला रहे हैं.

HIGHLIGHTS

  • कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना प्रतिबंधों में ढील से विशेषज्ञ चिंतित
  • चीन आम लोगों के विरोध के बाद कोरोना लॉकडाउन-नियमों में दे रहा ढील
  • जीरो कोविड पॉलिसी के खात्मे पर कोरोना मौतों में तेज वृद्धि के दिए संकेत
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