इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) में भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों को उत्तर कर्नाटक (North Karnataka) के धारवाड़, बेलगावी, हावेरी समेत अन्य जिलों की कई विधानसभा सीटों पर बागी उम्मीदवारों (Rebel Candidates) से कांटे का मुकाबला करना पड़ रहा है. भाजपा को कर्नाटक में इतने बड़े पैमाने पर बागियों या बगावत का सामना पहली बार करना पड़ रहा है. 2023 के विधानसभा चुनाव (Karnataka Elections 2023) में टिकट कटने से नाराज उत्तर कर्नाटक यानी कित्तूर कर्नाटक के कई बीजेपी नेताओं ने विद्रोह का परचम फहरा दिया है. केसरिया पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में उत्तरी कर्नाटक में 30 सीटों पर जीत हासिल की थी और इस बार वह अपनी सीटें 35-40 तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कर्नाटक बीजेपी ईकाई ने पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की कई बड़ी रैलियां भी आयोजित की. यह अलग बात है कि बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशियों की पहली और दूसरी सूची जारी होते ही भगवा पार्टी के समीकरणों को बदल कर रख दिया. कुछ मौजूदा विधायकों सहित कई प्रमुख नेताओं ने टिकट कटने के बाद बागी रुख अपना लिया और निर्दलीय या कांग्रेस-जेडीएस पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इस तरह इन सीटों पर बीजेपी को अपनों से ही कड़ा मुकाबला मिल रहा है.
इन सीटों पर बागी दिखा रहे कड़े तेवर
कुंडागोल, धारवाड़ ग्रामीण और हुबली-धारवाड़ पूर्व (एससी) में भाजपा उम्मीदवारों को अपने बागी उम्मीदवारों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है. हुबली-धारवाड़ पूर्व (एससी) में भाजपा छोड़ने वाले पूर्व विधायक वीरभद्रप्पा हलहरवी अब जद (एस) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इसी तरह इस बार बीजेपी के टिकट से चूके पूर्व विधायक एसआई चिक्कंगौदर कुंडागोल में कांग्रेस के टिकट पर या निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी तवनप्पा अष्टगी ने भी पार्टी छोड़ दी है और धारवाड़ ग्रामीण सीट से निर्दलीय प्रत्याशी बतौर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि मौजूदा विधायक सीएम निंबनार को भी इस बार टिकट नहीं दिया गया और हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए नागराज चब्बी को टिकट मिला. हालांकि छब्बी निंबनार को भरोसे में लेने में कामयाब रहे.
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कहीं-कहीं तो दो-दो बागी पैदा कर रहे मुश्किल
गडग में शिरहट्टी (एससी) से निवर्तमान विधायक रमन्ना लमानी को टिकट नहीं दिया गया. उनसे जद (एस) के टिकट पर या एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की उम्मीद की जा रही है. वह अपने समर्थकों से अपने अगले कदम को लेकर सलाह-मशविरा कर रहे हैं. हावेरी जिले में भाजपा उम्मीदवार को रानीबेन्नूर में बागी उम्मीदवार और पूर्व मंत्री आर शंकर से बड़ी चुनौती मिल रही है. शंकर 2018 के चुनाव में केपीजेपी के टिकट पर जीतकर भाजपा में शामिल हुए थे. फिर से टिकट से वंचित करने पर उन्होंने 17 अप्रैल को निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल करने का फैसला किया है, जबकि भाजपा के टिकट के इच्छुक एक और संतोष कुमार पाटिल भी रानीबेन्नूर निर्वाचन क्षेत्र से एक बागी के रूप में चुनाव लड़ेंगे.
हावेरी (एससी), बेलगावी समेत कई सीटों पर विद्रोही लहर बीजेपी की नाव कर रही अस्थिर
हावेरी एससी खंड में भी भाजपा के समक्ष अब एक बागी उम्मीदवार है. मौजूदा विधायक नेहरू ओलेकर को टिकट से वंचित करने के बाद उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को हराने के लिए जद (एस) के टिकट पर या निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया. ओलेकर ने बीजेपी से इस्तीफा देते हुए सीएम बीआर बोम्मई पर जमकर निशाना साधा. बेलागवी जिले में चार से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में बागी उम्मीदवारों से निपटना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. टिकट न मिलने से निराश लक्ष्मण सावदी कांग्रेस में शामिल हो गए और उसके टिकट पर भाजपा के उम्मीदवार महेश कुमाथल्ली के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. सावदत्ती, रामदुर्ग, बेलगावी उत्तर, कित्तूर और हुक्केरी में भी भाजपा उम्मीदवारों को बागी उम्मीदवारों का सामना करना पड़ सकता है. बसवाना बागवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर सोमंगौड़ा (अप्पुगौड़ा) पाटिल मानागुली के भी एक बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की संभावना है. जाहिर है बढ़ते विद्रोह से उत्तरी कर्नाटक में भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवारों की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है.
HIGHLIGHTS
- टिकट कटने से नाराज उत्तर कर्नाटक के कई बीजेपी नेताओं ने विद्रोह का परचम फहराया
- केसरिया पार्टी 2018 के विधानसभा चुनाव में उत्तरी कर्नाटक में 30 सीटों पर जीती थी
- इस बार बीजेपी इस क्षेत्र से अपनी सीटें 35-40 तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है
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