Hurun India Rich List 2024: देश में अरबपति बनने वाले लोगों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. पिछले साल देश में हर पांच दिन में एक नया अरबपति बना. देश में पहली बार यूएस डॉलर बिलेनियर की गिनती 300 के पार पहुंच गई है. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2024 से पता चलता है कि भारत में अब 334 अरबपति हैं. पिछले साल की तुलना में इस संख्या में 75% की वृद्धि हुई है. हालांकि, इस रिपोर्ट से हैरान कर देने वाली जानकारी ये भी पता चलती है कि चीन में अरबपति बनने की रफ्तार धीमी पड़ी है. इस स्थिति में भारत ही नहीं दुनियाभर में लोगों के बीच आर्थिक विषमता बढ़ी है. सवाल ये है कि भारत में अमीर-गरीब के बीच की बढ़ती जा रही खाई कैसे पटेगी?
भारत में अरबपतियों की आबादी 29% की वृद्धि
चीन में अरबपतियों की आबादी में 25% की कमी आई है, जबकि भारत में 29% की वृद्धि हुई है, जो रिकॉर्ड तोड़ 334 अरबपतियों तक पहुंच गई है. भले चीन में अरबपतियों की आबादी की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2024 में अभी भी उसका दबदबा कायम है, क्योंकि जनवरी 2024 तक चीन में 814 अरबपति थे, जो दुनिया में अरबपतियों की सबसे अधिक संख्या है. चीन के बीजिंग, शंघाई, गुआंगजौं और शेन्जेन में सबसे ज्यादा अमीर लोग रहते हैं. अमेरिका 800 अरबपतियों के साथ दूसरे स्थान पर रहा है. हालांकि भारत में भी तेजी से अमीरों और उनकी प्रोपर्टी बढ़ रही है.
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अब भारत में और ज्यादा अमीर हुए लोग
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में पहली बार 1500 से ज्यादा अमीर लोग शामिल हुए हैं. पिछले साल 7 की तुलना में यह संख्या 150 फीसदी ज्यादा है. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में अब 1539 अमीर लोग शामिल हुए हैं. इन लोगों में फैमिली-रन बिजनेस, स्टार्टअप फाउंडर्स, प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स, एंजेव इन्वेस्टर्स, नेक्स्ट जनरेशन लीडर्स, और सिने जगत की हस्तियां शामिल हैं. पिछले एक दशक में अमीरों की सूची में शामिल भारतीय शहरों की संख्या 10 से बढ़कर 97 हो गई है, जो पिछले वर्ष 95 थी. ये इजाफा दिखता है कि भारत में किस तेजी से विकास हो रहा है.
गरीबों की संख्या कम होने की रफ्तार धीमी
भारत में अमीरों की संख्या तो तेजी से बढ़ी है, लेकिन गरीबों की संख्या धीरे-धीरे कम हुई है. इस बात की तस्दीक डेटा थिंक प्राइस की रिपोर्ट भी करती है. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अमीरों की संख्या 7 साल में 500% बढ़ गई है, जबकि गरीबों की संख्या केवल 58% कम हुई. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट हो या फिर डेटा थिंक प्राइस की रिपोर्ट हो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत में अभी लोगों के बीच आर्थिक विषमता है. जो लोग अमीर हैं वो और अमीर होते जा रहे हैं, जबकि जो लोग गरीब हैं वो और गरीब होते जा रहे हैं. वहीं इन लोगों के बीच मिडिल क्लास कहीं पिसती हुई नजर आती है.
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कैसे पटेगी अमीर-गरीब की खाई?
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अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई की सबसे बड़ी वजह बेरोजगारी है. देश में आज भी बड़ी संख्या में लोगों के पास रोजगार नहीं है. अगर सरकार की ओर से जॉब जनरेशन के लिए योजनाएं लाई जाएं, तो इस दिशा में बड़ी मदद मिल सकती है.
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लोगों के ऊपर कमाई से ज्यादा खोज का बोझ होना. ऐसे में लोगों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्च लेना पड़ता है और फिर वो कर्च के जंजाल में फंसते चले जाते हैं. अगर महंगाई कम हो जाए तो इस दिशा में थोड़ा राहत जरूर मिल सकती है.
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अमीरों के पास अधिक संपत्ति और संसाधन होते हैं. ऐसे में सरकार गरीबों को कम से कम रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाकर इनकी मदद कर सकती है.
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अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई के लिए कहीं हद तक अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकारी नीतियों का ढीलापन भी जिम्मेदारा है.
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जो लोग गांव छोड़कर मजदूरी करने के लिए शहर आते हैं और असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. इस तरह उनका गांव, घर और मकान सब पीछे छूट जाता है.
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सरकारों की नीतियां और योजनाएं ऐसी हों जहां सिर्फ अमीरों के हाथ संपत्ति न बढ़े बल्कि गरीब की आर्थिक सेहत भी सुधरे.
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