Advertisment

New East India Company चीन के कर्ज मकड़जाल में फंसे भारत के पड़ोसी देश

भारत (India) के पड़ोसी देशों के हालात श्रीलंका (Sri Lanka) सरीखे हो सकते हैं. श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट भारत के अन्य पड़ोसी देशों में भी दस्तक दे रहा है, जिससे कभी भी वहां राजनीतिक अस्थिरता जन्म ले सकती है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
india map

बांग्लादेश को छोड़ दें तो बाकी पड़ोसी देश आर्थिक संकट की गिरफ्त में.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

यूक्रेन (Ukraine) पर रूसी हमले के पांच महीने हो चुके हैं और युद्ध के खात्मे का कोई संकेत नहीं है. पूर्वी यूक्रेन में कब्जे के बाद अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद मास्को ने बढ़त हासिल कर ली है और अब कीव (Kyiv) में सत्ता परिवर्तन की बात कर रहा है. इस बीच पश्चिम के प्रतिबंधों (Sanctions) का रूस पर राजनीतिक या आर्थिक स्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. इसके उलट यूरोपीय संघ को प्राकृतिक गैस (Natural Gas) की आपूर्ति में महज 20 फीसदी की कटौती कर रूस ने संघ के सदस्य देशों में सिहरन जरूर भर दी है. इसका एक अर्थ यह भी हुआ जब तक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का अभीष्ट सिद्ध नहीं हो जाता, यूक्रेन से युद्ध जारी रहेगा. नतीजतन बढ़ती महंगाई, कच्चे तेल की आसमान छूती कीमतें और खाद्यान्न संकट की वजह से विश्व के तमाम देशों में आर्थिक संकट बढ़ता जाएगा. दूसरे शब्दों में कहें तो भारत (India) के पड़ोसी देशों के हालात श्रीलंका (Sri Lanka) सरीखे हो सकते हैं. श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट भारत के अन्य पड़ोसी देशों में भी दस्तक दे रहा है, जिससे कभी भी वहां राजनीतिक अस्थिरता जन्म ले सकती है.  

पाक सैन्य प्रमुख को अमेरिकी उपविदेश मंत्री के आगे हाथ फैलाना पड़ा
आर्थिक स्तर पर दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान में तो यह स्थिति आ पहुंची कि सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को अमेरिका के उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन से मदद मांगनी पड़ी. जनरल बाजवा ने वेंडी शर्मन से अपील करते हुए कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.5 बिलियन डॉलर बतौर कर्ज पाकिस्तान को जल्द से जल्द दिलाने में मदद करें. उन्होंने तर्क दिया है कि इस्लामाबाद का विदेशी मुद्रा भंडार रसातल की ओर है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान के कमजोर पड़ते रुपये से कर्ज की ब्याज अदायगी तक में दिक्कत आ रही है. जाहिर है जनरल बाजवा को अमेरिकी उप विदेश मंत्री से मदद की अपील उस वक्त करनी पड़ी है, जब पाकिस्तान के हुक्मरानों के इस संदर्भ में प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. गहराते आर्थिक संकट के बीच सत्ता से हटाए गए भूतपूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान शाहबाज सरकार पर हमला बोल अमेरिका पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे. जाहिर है ऐसे में इस्लामाबाद के पास अमेरिका से मदद मांगने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि पाकिस्तान के हर सुख-दुःख के साथी सदाबहार दोस्त चीन भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. आंकड़ों की भाषा में बात करें तो पाकिस्तान पर चढ़े विदेशी कर्ज में 25 फीसदी हिस्सेदारी सिर्फ चीन की है. एक लिहाज से देखें तो कर्ज के मकड़जाल के जरिये बीजिग भारतीय उपमहाद्वीप में नई ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में उभर रहा है.

श्रीलंका के सामने विश्व बैंक की शर्तों का चुनौतीपूर्ण पहाड़
ऐतिहासिक आर्थिक मंदी झेल रहे चीन के एक और दोस्त श्रीलंका की स्थिति हर गुजरते दिन के साथ बद् से बद्तर हो रही है. विश्व बैंक ने और आर्थिक मदद से इंकार कर दिया है. नए आर्थिक पैकेज ने श्रीलंका के समक्ष मैक्रो-इकोनॉमिक पॉलिसी का फ्रेमवर्क तैयार कर उसे अमल में लाए जाने की शर्त रख दी है. विश्व बैंक ने अपने एक बयान में कहा है कि आर्थिक स्थिरता के लिए मैक्रो-इकोनॉमिक पॉलिसी का फ्रेमवर्क बेहद जरूरी है. इसके जरिये व्यापक ढांचागत सुधार लाए जा सकेंगे, जिससे आर्थिक स्थिरता के साथ उन कारणों के निदान में भी मदद मिलेगी, जिनकी वजह से श्रीलंका इस गति को प्राप्त हुआ है. साथ ही फ्रेमवर्क की मदद से श्रीलंका आर्थिक संकट के इस दौर से भी उबर सकेगा. 

ढाका ने भी आईएमएफ से कर्ज लिया, फिर भी मजबूत स्थिति में
हाल-फिलहाल बांग्लादेश की स्थिति इतनी बुरी नहीं है, लेकिन गहराते आर्थिक तनाव के संकेत मिलने लगे हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि बांग्लादेश में अमेरिकी डॉलर के आधिकारिक एक्सजेंच रेट और ब्लैक मार्केट के रेट में 10 फीसदी का अंतर है. हालांकि लगभग रसातल में पहुंच चुकी पाकिस्तान और श्रीलंका मुद्रा की तुलना में बांग्लादेश की मुद्रा टका अमेरिकी डॉलर के सामने फिलहाल मजबूती से खड़ा है. इसके बावजूद खाद्यान्न और ईंधन की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए ढाका को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज लेना पड़ा है. अच्छी बात यह है कि शेख हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का कोई संकेत नहीं है. यह अलग बात है कि हाल के दिनों में बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरता बढ़ी है. 

मालदीव और म्यांमार पर छाए काले बादल
म्यांमार की भी यही स्थिति है पश्चिमी देशों के सैन्य जुंता पर लगातार थोपे जा रहे प्रतिबंधों के बाद आर्थिक संकट की तपिश झेल रहा है. मालदीव भी विद्यमान महंगाई में कब तक अपने को बचाए रखेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. यद्यपि भारतीय रुपये और नेपाली रुपये का संस्थागत तंत्र काठमांडू के लिए स्थिति हाथ से बाहर नहीं जाने देगा. इसकी एक वजह यह भी है कि नेपाल के राजनेताओं को समझ आ गया है कि आर्थिक मसलों पर विवेक से काम लेना जरूरी है, ना कि चीन के कर्ज के मकड़जाल में लगातार फंसते जाना. 

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तान की स्थिति इतनी खराब कि जनरल बाजवा मदद का फैला रहे हाथ
  • श्रीलंका को विश्व बैंक और आईएमएफ ने फिलहाल राहत देने से किया इंकार
  • म्यांमार और मालदीव भी महंगाई के बाद आर्थिक संकट नहीं झेल सकेंगे
INDIA Sri Lanka russia ukraine यूक्रेन pakistan पाकिस्तान चीन भारत Vladimir Putin Kyiv economic Crisis व्लादिमीर पुतिन रूस east india company आर्थिक संकट प्रतिबंध श्रीलंका Natural Gas प्राकृतिक गैस Sanctions Turmoil ईस्ट इंडिया कंपनी
Advertisment
Advertisment
Advertisment