India-Russia: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती जगजाहिर है. अब ये दोनों दिग्गज नेता बड़ा खेल करने की तैयारी में हैं. खबर है कि भारत और रूस संयुक्त रूप से एक बहुत बड़ी डील की संभावनाएं को तलाशने में लगे हुए हैं. इस डील के तहत दोनों देश मिलकर एक ऐसा ‘रहस्यमयी’ इंजन बनाएंगे, जिसकी क्षमताएं ऐसी होगीं कि सुपरपावर अमेरिका भी हिल जाएगा. आइए जानते हैं कि ये इंजन किसका होगा और भारत को इस डील से क्या फायदा होगा.
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भारत-रूस के बीच होगी ये डील
मोदी सरकार में भारत की सैन्य ताकत में जबरदस्त इजाफा हो रहा है. विदेशी हथियार के अलावा भारत स्वदेश निर्मित हथियारों, लड़ाकू विमानों, टैंकों और मिसाइलों को सैन्य बेड़े में शामिल कर रहा है. भारत की बढ़ती सैन्य ताकत से दुश्मनों के होश हुए हैं. रूस भारत का सबसे बड़ा सैन्य साझेदार है. एक रिपोर्ट के अनुसार,अब दोनों देश मिलकर सुखोई फाइटर जेट के इंजन बनाने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं. संभावनाएं जताई जा रही हैं कि जल्द ही दोनों देशों के बीच इसको लेकर डील फाइनल हो जाएगी.
भारत में बनेगा ये ‘रहस्यमयी’ इंजन
मौजूदा समय में भारत तेजस फाइटर जेट्स को बनाता है. मगर भारत इन फाइटर जेट्स का इंजन को बाहर से खरीदता है. रूस और अमेरिका जैसे कुछ चुनिंदा देश अपने फाइटर जेट्स के इंजन खुद बनाते हैं. भारत के लिए आज भी फाइटर जेट के इंजन को बनाने का तरीका एक रहस्य बना हुआ है. भारत लंबे समय से इस आस में था कि वो भी फाइटर जेट्स के इंजन बनाए, लेकिन अब रूस उसके इस सपने को साकार कर सकता है. अगर रूस के साथ डील हो पाती है तो भारत में फाइटर जेट्स के इंजन बनेंगे.
भारत पाना चाहता है लाइसेंस
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर को मॉस्को यात्रा पर होंगे. एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके दौरे से पहले सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डीके सुनील रूस का दौरा कर रहे हैं. सुनील कथित तौर पर इंडियन एयरफोर्स में मौजूद सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान के लिए 240 एएल31 एफपी एरो इंजन के लाइसेंस प्राप्त विनिर्माण के लिए एक सौदा करने के लिए रूस में है. उनकी कोशिश है कि 240 एएल31 एफपी एरो इंजन के लाइसेंस को प्राप्त कर भारत रूस के साथ मिलकर इस इंजन का निर्माण करें.
भारत को क्या होगा फायदा?
भारत अपने फाइटर जेट्स के इंजन देश में ही बना पाएगा. अगर भारत सुखोई 30 MKI के इंजन को बनाने की प्रक्रिया जान लेता है, तो इसके साथ ही देश ट्विन इंजन बनाने की कैपेबिलिटी डेवलप कर लेगा, क्योंकि इस फाइटर जेट में ट्विन इंजन ही लगता है. साथ ही भारत इस इंजन को अपनी जरूरत के हिसाब से डेवलप कर पाएगा. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में भारत के लिए ये डील बड़ी भूमिका निभा सकती है.