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Explainer: भारतीय सेना को मिलेगा जोरावर टैंक, चीन के लिए बनेगा काल, ताकतवर इतना कि थर-थर कांपेगा ड्रैगन!

भारतीय सेना को जल्द जोरावर टैंक मिलेंगे. इससे उसकी ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. इससे इंडियन आर्मी शरहद पर चीन की हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब दे पाएगी. आइए जानते हैं कि ये टैंक कैसे चीन के लिए काल बनेगा.

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Ajay Bhartia
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Zorawar

जोरावर टैंक( Photo Credit : Social Media)

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Zorawar Tank Specifications: भारतीय सेना को जल्द जोरावर टैंक मिलेंगे. इससे उसकी ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. इससे इंडियन आर्मी शरहद पर चीन की हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब दे पाएगी. जोरावर भारत का अपना हल्का टैंक है, जिसे पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध के लिए 'प्रोजेक्ट जोरावर' के तहत डिजाइन किया गया है. इसके 2027 तक सेना में शामिल होने की उम्मीद है. रक्षा एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जोरावर टैंक इतना ताकतवर है कि इसके सामने ड्रैगन थर-थर कांपेगा. आइए जानते हैं कि ये टैंक कैसे चीन के लिए काल बनेगा.

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जोरावर टैंक को किसने बनाया?

2022 में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और प्राइवेट सेक्टर कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने जोरावर टैंक को बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था. दोनों ने दो साल के रिकॉर्ड टाइम में इसको बना भी लिया. भारतीय सेना ने 59 जोरावर टैंक्स बनाने का ऑर्डर दिया है. L&T के गुजरात स्थित हजीरा प्लांट में इनका प्रोडक्शन किया जा रहा है. इस टैंक का नाम डोगरा सेना के उस दिग्गज जनरल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने तिब्बत में कई सफल जीत हासिल की थीं, जिस पर अब चीनी सेना का कंट्रोल है.

क्यों पड़ी इसे बनाने की जरूरत?

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मई 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी की खूनी भिड़ंत के बाद भारतीय सेना को एक लाइट टैंक की जरूरत महसूस हुई थी. दरअसल भारतीय सेना ने तब सीमा पर रूस निर्मित टी-90एस और टी-72 भारी टैंकों को तैनात किया था. इन दोनों ही टैंकों का वजन 40 से 50 टन था. ये दोनों ही टैंक मैदानी और रेगिस्तानी इलाकों में संचालन के लिए हैं, हालांकि 11,000 से लगभग 17,000 फीट तक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इनकी सीमाएं हैं. वहीं चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने टी-15 हल्के टैंकों को तैनात किया था. इसको देखते हुए भारतीय सेना को चीन के साथ पहाड़ी सीमाओं पर लड़ाई के लिए हल्के टैंकों को बनाने की जरूरत हुई.

कितना ताकतवर है जोरवर टैंक?

जोरवर टैंक इतना ताकतवर है कि इसके आगे ड्रैगन थर-थर कांपेगा. इसकी खूबियां हैरान कर देने वाली हैं. आइए इसकी खूबियों के बारें जानते हैं. 

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- इस टैंक को रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए मानव रहित व्हीकल (यूएवी) सिस्टम और अत्याधुनिक हथियारों लैस किया गया है. इसमें एआई, ड्रोन इंटीग्रेशन, वॉर्निंस सिस्टम से लैस और ऑटोमैटिक लोडर जैसी उन्नत टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. 

- यह देश में बना पहला स्वदेशी लाइट टैंक है, जिसका वजन 25 टन है. इसे जल-थल ऑपरेशन में आसानी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे आसानी से एयरलिफ्ट किया जा सकता है. यह नदियों को पार कर सकता है. इसे रेगिस्तानी इलाकों में भी तैनात किया जा सकता है.

- जोरावर टैंक की गन 155 मिलीमीटर की है, जिसमें ऑटोमैटिक लोडर लगा हुआ है. यही वजह है कि इसमें काफी तेजी से हथियार लोड किए जा सकेंगे. इसके 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से किसी भी पहाड़ी इलाके में जा सकता है.

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चीन के लिए बनेगा काल!

जोरावर की सबसे बड़ी खूबी है कि ये भारत के अन्य टैंकों जैसे अर्जुन (68.5 टन), टी-90 (46 टन) और टी-72 (45 टन) टैंकों से हल्का है. जोरावर के हल्के वजन के कारण चीन के खिलाफ युद्ध में रणनीतिक गतिशीलता भारतीय सेना हासिल कर पाएगी. ये टैंक पलभर में ही दुश्मन के टैंकों को नेस्तनाबूद कर देगा. युद्ध के समय लद्धाख जैसे ऊंचाई वालों इलाकों में इसे आसानी से एयरलिफ्ट करके सीमा पर तैनात किया जा सकेगा. इस तरह ये टैंक चीन के लिए काल बनेगा.

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Source : News Nation Bureau

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