भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 सितंबर को कोच्चि शिपयार्ड से भारतीय नौसेना को सौंपेंगे. इससे पहले पीएम मोदी नौसेना के नए झंडे का भी अनावरण करेंगे. आखिर आजादी के 75 साल बाद भारतीय नौसेना का झंडा क्यों बदला जा रहा है? आखिर सेंट जॉर्ज के क्रॉस वाले नौसेना के पुराने झंडे को हटाने की नौबत क्यों आई? क्या पहली बार किसी नौसेना का झंडा बदला जा रहा है? अब तक किन-किन देशों ने सेंट जॉर्ज के क्रॉस वाले नौसेना के झंडे को हटाया है? आइए जानते हैं
औपनिवेशिक अतीत से जुड़े झंडे से मिलेगी निजात
पीएम नरेंद्र मोदी कोच्चि में कल भारतीय नौसेना के नए झंडे का अनावरण करेंगे. यह नया झंडा वर्तमान झंडे का स्थान लेगा, जिसके बाएं तरफ ऊपरी हिस्से में तिरंगा है और बीच में सेंट जॉर्ज का क्रॉस. यह झंडा वास्तव में औपनिवेशिक अतीत की याद दिलाता है. भारत की आजादी के पहले ब्रिटिश नौसेना के झंडे में सफेद रंग की पृष्ठभूमि पर लाल रंग में सेंट जॉर्ज का क्रॉस होता था और ऊपरी हिस्से में बाएं तरफ यूनियन जैक. 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय सैन्य बलों ने ब्रितानी उपनिवेश के झंडे और बैज का इस्तेमाल जारी रखा. 26 जनवरी 1950 को इनमें भारतीयकरण के लिहाज से बदलाव किया गया. अब भारतीय नौसेना के चिन्ह समेत झंडा बदला गया और यूनियन जैक की जगह भारतीय तिंरगे को स्थान दिया गया. इस बदलाव में भी सेंट जॉर्ज क्रॉस को भी रहने दिया गया.
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क्या पहली बार बदल रहा है भारतीय नौसेना का झंडा
भारतीय नौसेना के झंडे में 2001 में बदलाव किया गया था. उस वक्त सेंट जॉर्ज क्रॉस की जगह झंडे के बीच में नौसेना का प्रतीक चिन्ह रखा गया. इसमें भी तिरंगा बाएं तरफ सबसे ऊपर था. भारतीय नौसेना के झंडे में बदलाव की मांग काफी पुरानी है. पहले बदलाव की मांग पश्चिमी नौसेनिक कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल वीईसी बर्बोजा ने की थी. हालांकि 2004 में झंडे में फिर बदलाव किए गए और सेंट जॉर्ज क्रॉस को फिर से इसमें स्थान मिल गया. कारण यह बताया गया कि नौसेना का प्रतीक चिन्ह नीले रंग में होने से पहचान में नहीं आता है, क्योंकि सागर और आकाश का रंग भी नीला है. फिर झंडे में बदलाव किया गया और जॉर्ज क्रॉस के बीच में अशोक चक्र को रखा गया. 2014 में इसकी बनावट में फिर बदलाव किया गया और अशोक चक्र के नीचे देवनागरी लिपि में सत्यमेव जयते को शामिल किया गया.
सेंट जॉर्ज क्रॉस क्या है
सफेद पृष्ठभूमि में लाल क्रॉस को सेंट जॉर्ज क्रॉस के रूप में देखते हैं. इसका नामकरण एक ईसाई यौद्धा संत पर है, जिनके बारे में माना जाता है कि तीसरे धर्मयुद्ध के दौरान हुए भीषण युद्ध में शामिल हुए थे. यह क्रॉस इंग्लैंड के झंडे को भी निरूपित करता है, जो युनाइटेड किंग्डम का एक हिस्सा है. इस झंडे को इंग्लैंड और लंदन शहर ने 1190 में अपनाया ताकि भूमध्य सागर में प्रवेश करने वाले ब्रितानी जहाजों की इसके जरिये पहचान दी जा सके. बाद में ब्रिटेन की शाही नौसेना ने अलग-अलग आकार में जॉर्ज क्रॉस को अपने बेड़े के लिए अंगीकार कर लिया. वर्तमान रूप-स्वरूप के झंडा को 1707 के आसपास अंगीकार किया गया.
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देश जिनकी नौसेना ने जॉर्ज क्रॉस से किनारा किया
राष्ट्रकुल के तमाम देशों ने अपनी-अपनी आजादी के वक्त लाल रंग के जॉर्ज क्रॉस को अपनाए रखा. फिर भी कई देशों ने कालांतर में अपनी नौसेना के लिए जॉर्ज क्रॉस से किनारा कर नया झंडा अंगीकार किया. इनमें भी प्रमुख देश हैं ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा. कनाडा की द रॉयल कैनेडियन नेवी ने 2013 में नए डिजाइन के झंडे को अपनाया, जिसकी डिजाइन में बाएं तरफ ऊपरी हिस्से में कानाडा का राष्ट्रीय ध्वज है औऱ सफेद पृष्ठभूमि पर कनाडा की नौसेना का प्रतीक. ऑस्ट्रेलिया की नौसेना ने यूनियन जैक और आधा दर्जन नीले सितारों वाली डिजाइन अपने झंडे बतौर चुनी. 1968 में न्यूजीलैंड ने भी ऊपर बाएं तरफ यूनियन जैक के साथ चार लाल सितारे के साथ सफेद पृष्ठभूमि वाले झंडे को चुना. दक्षिण अफ्रीका की नौसेना के झंडे में लाल रंग के जॉर्ज क्रॉस के बजाय हरे रंग का क्रॉस है. पाकिस्तान की नौसेना के झंडे में उसकी नौसेना का प्रतीक है, तो बांग्लादेश नौसेना के सफेद झंडे में ऊपर बाईं तरफ उनका राष्ट्रीय ध्वज है.
HIGHLIGHTS
- भारतीय नौसेना के नए झंडे का अनावरण करेंगे पीएम नरेंद्र मोदी
- स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत से पहले मिलेगा
- नौसेना के नए झंडे के साथ औपनिवेशिक अतीत से मिलेगी निजात