ईरान की 22 साल की कुर्द युवती महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद देश भर में महिलाएं आंदोलन कर रही हैं. महसा को कथित तौर पर सलीके से हिजाब नहीं पहनने की वजह से ईरान पुलिस ने हिरासत में लिया था. परिवार वालों का कहना है कि हिरासत के वक्त महसा बिल्कुल स्वस्थ थी और पुलिस की मारपीट से उसकी मौत हुई. इसके उलट पुलिस का कहना है कि महसा की मौत हार्ट अटैक से हुई. ईरान (Iran) में सात साल से ऊपर की लड़कियों से लेकर हर उम्र की महिलाओं तक को घर के बाहर निकलते वक्त सलीके से हिजाब (Hijab) पहनना अनिवार्य है. इस कानून के उल्लंघन पर सजा तक का प्रावधान है. हालांकि महसा अमीनी की हिरासत में मौत के बाद से ही महिलाएं सड़कों पर बगैर हिजाब निकल आईं और सरकार विरोध नारे (Protests) लगाने लगीं. महसा को दफनाने के दौरान उसके शहर साकेज में महिलाओं के बाल काटने और हिजाब उतार सरकार विरोध नारे लगाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
पुलिस हिरासत और फिर मौत
पश्चिमी प्रांत कुर्दिस्तान के साकेज शहर की रहने वाली महसा अमीनी को जिना के नाम से भी जाना जाता था. वह अपने भाई के साथ ईरान की राजधानी तेहरान अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रही थी, जब उसे ड्रेस कोड के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में लिया गया. ईरान पुलिस के एक विभाग मॉरेलिटी पुलिस ने देश भर में अपनी ईकाईयां स्थापित की हुई हैं, जो देश भर में ड्रेस कोड से जुड़े कानूनों का अनुपालन कराती हैं. अमीनी को हिरासत में लेने की सही वजह नहीं बताई गई, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसे हिजाब को सलीके से नहीं पहनने के आरोप में हिरासत में लिया गया. हालांकि महसा की मां ने एक ईरानी मीडिया हाउस को बताया कि उनकी बेटी ने ड्रेस कोड से जुड़े कानून के अनुरूप ही पोशाक पहन रखी थी. महसा को हिरासत में ले पुलिस उन्हें डिटेंशन सेंटर ले गई, जहां भाई की मौजूदगी में उससे पूछताछ की गई. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबाक पुलिसिया पूछताछ के दौरान भीतर से महसा के चीखने-चिल्लाने की आवाज आई. इसके कुछ देर बाद ही एंबुलेंस आई, जिसके जरिये महसा को अस्पताल ले जाया गया. वहां महसा कोमा में चली गई औऱ बाद में उसकी मौत हो गई. अस्पताल में लिए गए वीडियो और फोटो में दिख रहा है कि महसा के मुंह में ट्यूब पड़े हुए हैं और उसके कानों से खून रिस रहा है. महसा की आंखों के आसपास भी चोट के निशान देखने को मिले. इसके बाद महसा के अस्पताल वाले वीडियो और फोटो देखते ही देखते वायरल हो गए. ईरान के सुरक्षा बलों ने इस बीच एक बयान जारी कर कहा कि पूछताछ के दौरान अचानक महसा अमीनी गिर पड़ी और उसके बाद उसे दिल का दौरा पड़ गया. जिस वक्त महसा अमीनी को दिल का दौरा पड़ा उस वक्त पुलिस उसे हिजाब से जुड़े नियम-कायदों पर शैक्षणिक प्रशिक्षण दे रही थी. हालांकि महसा के परिजनों का कहना है कि हिरासत में लिए जाने से पहले महसा का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक था. महसा अमीनी की हिरासत में मौत के वीडियो और फोटो के वायरल होने के बाद ईरानी पुलिस ने भी एक वीडियो जारी किया. इसमें बुर्का पहने एक महिला डिटेंशन सेंटर में दूसरी महिला से बात कर रही है. बात करते-करते बुर्के वाली महिला ने दूसरी महिला का हाथ पकड़ा और नीचे बेहोश होकर गिर पड़ी. पुलिस के मुताबिक वीडियो में बुर्का पहने महिला महसा अमीनी है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में इस वीडियो को छेड़छाड़ वाला बताया जा रहा है. वीडियो का अंत कमरे में मेडिकल स्टाफ के प्रवेश के साथ होता है.
This woman removed her hijab and threw it in the air in front of security forces and dared them to arrest her. Men cheered for her.
— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) September 18, 2022
This is Sanandaj & people took to the streets to protest against the murdering of #MahsaAmini who was beaten to death by hijab police in Iran. pic.twitter.com/QwAsomPmFl
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आंदोलन ने आग कैसे पकड़ी
महसा अमीनी की मौत के बाद तमाम लोगों ने ड्रेस कोड और उससे जुड़े कानूनों की आड़ में महिलाओं को हिरासत में लेकर उनके उत्पीड़न की बातें शुरू कर दीं. हालांकि ईरान के सुरक्षा बलों की महसा अमीनी की मौत की जिम्मेदारी नहीं लेने के बाद आंदोलन ने आग पकड़ी. कुर्दिश मानवाधिकार मंच हेन्गॉ के मुताबिक अब तक 38 आंदोलनकारी धरना-प्रदर्शन के दौरान घायल हो चुके हैं. महसा अमीनी की मौत के बाद सबसे पहले आंदोलकारी तेहरान के बाहरी इलाके में स्थित कासरा अस्पताल के बाहर एकत्रित हुए. इसी अस्पताल में महसा को पूछताछ के दौरान कथित तौर पर गिर जाने के बाद लाया गया था. फिर आंदोलन तेहरान के बाहर फैलने लगे, जिसमें अमीनी का शहर साकेज भी शामिल है. आंदोलनों को देखते हुए पुलिस ने अमीनी के अंतिम संस्कार के वक्त लोगों की संख्या सीमित रखने के तमाम जतन किए. यह अलग बात है कि उसकी कब्र के आसपास हजारों की संख्या में लोग एकत्रित थे. अमीनी को सुपुर्द-ए-खाक करने के बाद आंदोलनकारी साकेज के गवर्नर कार्यालय के बाहर जा डटे. यहीं से आंदोलन ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया. कुर्द मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक पुलिस ने आंदोलनकारियों के खिलाफ पेपर स्प्रे और टियर गैस के गोलों का इस्तेमाल किया. हालांकि कई वायरल वीडियो में गोलियों की आवाज भी सुनी गईं. वायरल वीडियो में महिला आंदोलनकारी अमीनी के प्रति अपनी एकजुटता दिखाते हुए स्वेच्छा से हिजाब उतार कर नारेबाजी कर रही हैं. तेहरान यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट्स में भी सौ से अधिक छात्रों ने शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया. इन छात्रों के हाथों में महिला, जीवन, आजादी स्लोगन लिखी तख्तियां थीं. कुछ तख्तियों पर हिजाब कानूनों को रद्द करने की मांग भी की गई. कुछ महिलाओं ने अमीनी की मौत पर सरकार का विरोध करते हुए स्वेच्छा से अपने बाल काटते वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किए.
Girls in Iran revolt & publicly remove their Hijabs in protest against brutal murder of #MahsaAmini a 22 yr old Girl,Killed by Moral Police demons 4 not wearing Hijab. Girls lead revolution against Forced #Hijab Compulsion & Cruelty inflicted on them by Extremist Radical Monsters pic.twitter.com/KzCdFIihSz
— Jyot Jeet (@activistjyot) September 17, 2022
क्या है ईरान का हिजाब कानून
1978-79 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद 1981 में सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब कानून पारित किया गया. इस्लामिक पेनल कोड की धारा 638 के तहत सार्वजनिक जीवन, सड़कों पर किसी भी महिला के लिए बगैर हिजाब पहने निकलना अपराध है. ईरान सरकार इस कानून को लेकर कितनी कट्टर है उसे इस बात से समझा जा सकता है कि प्रशासन सार्वजनिक परिवहन के वाहनों में फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को लागू करने पर विचार कर रहा है ताकि हिजाब कानूनों का सलीके से पालन नहीं करने वाली महिलाओं की पहचान की जा सके. यह अलग बात है कि जुलाई में राष्ट्रीय हिजाब और शुद्धता दिवस पर ईरान में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने सोशल मीडिया पर हिजाब उतार कर अपना विरोध-प्रदर्शन दर्ज कराया. कुछ महिलाओं ने बसों में बगैर हिजाब के यात्रा करते हुए अपनी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले. इन विरोध प्रदर्शन को देख ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने हिजाब और शुदद्धता कानूनों को नए प्रतिबंधों संग कड़ाई के साथ लागू करने का आदेश दे दिया. इसके तहत अनुचित तरीके से हिजाब पहनने के साथ-साथ अब महिलाओं पर हाई हील्स और स्टॉकिंग्स के पहनने पर भी रोक लगा दी गई. इन आदेशों में कहा गया कि महिलाओं के लिए अपनी गर्दन और कंधों को भी ढंक कर रखना अनिवार्य है.
Iran: Women cutting their hair in protest to Mahsa (Zhina) Amini’s death, 22-y-o Kurdish woman who died on 16Sep after going into a coma in police custody, arrested over “violating” Islamic hijab rules. (@ShinD1982, @negarkardan) #MahsaAmini #مهسا_امینیpic.twitter.com/kV7mIqLKX2
— Khosro Kalbasi (@KhosroKalbasi) September 18, 2022
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कुर्दों पर ईरान सरकार का कहर
महसा अमीनी कुर्द युवती थी, जो ईरान के पश्चिमी सीमाई प्रांत कुर्दिस्तान की रहने वाली थी. गैर प्रतिनिधित्व वाले राष्ट्र और जन संगठनों के समूह के मुताबिक ईरान में कुर्दों की आबादी 80 लाख से एक करोड़ के आसपास है, जो कुल आबादी का 11 से 15 फीसदी है. इसके बावजूद ईरान पर लंबे समय से कुर्दों के उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन के आरोप लगते रहे हैं. इसी वजह से कुर्दों की अक्सर ईरानी सुरक्षा बलों से झड़प और सरकार विरोधी प्रदर्शन करती घटनाएं सामने आती रहती हैं. सच तो यह है कि इनके मूल में भी कुर्द कार्यकर्ताओं, लेखकों और छात्रों समेत अन्य की गिरफ्तारियां रहती हैं. ईरान और कुर्द लोगों के बीच विद्यमान संघर्षों के पीछे मूल वजह कुर्द लोगों की एक अलग स्वतंत्र देश की मांग है. कुर्द लोगों को विद्रोही और विकासशील माना जाता है और इस कारण वह तेहरान सरकार के खिलाफ अक्सर सड़कों पर उतर आते हैं. कुर्दिस्तान ह्यूमन राइट्स नेटवर्क की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक ईरानी सेना ने 2021 में चार कुर्द नागरिकों की हत्या कर दी. इनके अलावा ईरान की जेलों में बंद आधा दर्जन कुर्द कैदियों की मौत पुलिसिया अत्याचार की वजह से हुई. रिपोर्ट आगे कहती है कि ईरान के इस्लामिक गणराज्य की सुरक्षा, कानून प्रवर्तक और न्यायिक संस्थानों ने विभिन्न राजनीतिक कारणों से 2021 में ही 421 कुर्द लोगों की गिरफ्तारियां कीं.
HIGHLIGHTS
- सलीके से हिजाब नहीं पहनने के आरोप में हिरासत में लेने और फिर मौत से भड़का आंदोलन
- इस्लामिक क्रांति के बाद 1981 से ईरानी महिलाओं के लिए सलीके से हिजाब पहनना जरूरी है
- महिलाओं के हिजाब को लेकर विरोध को देखते हुए अब हाई हील्स और स्टॉकिंग्स पर भी लगी रोक