Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के बीच के बीच जारी विवाद अब गंभीर रूप लेता जा रहा है. दोनों देशों में जारी तनाव की वजह पूरे मध्य पूर्व में अशांति बनी हुई है. इजरायल और ईरान के बीच भले ही हाल फिलहाल ज्यादा तनाव दिख रहा हो, लेकिन दोनों देशों के बीच संघर्ष की कहानी ईरान की क्रांति (1979) के साथ ही शुरू हो गया था. तब से अब तक (लगभग 45 सालों से) दोनों देशों के बीच कोल्ड वॉर की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में आज हम आपको ईरान और इजरायल के बीच के शुरू हुए खूनी संघर्ष की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं.
ईरान और इजरायल के बीच विवाद के मुख्य वजह
दरअसल, ईरान और इजरायल के बीच विवाद के कुछ मुख्य वजह हैं. जिनमें ऐतिहासिक, भू-राजनीतिक और वैचारिक मतभेद शामिल हैं. इसके साथ ही मध्य पूर्व में हितों के टकराव से जुड़े मुद्दों ने भी दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है. इस कोल्ड वॉर में ईरान इजरायल की खिलाफत करने वाले ग्रुपों का समर्थन करता है तो इजरायल भी इसे अपने लिए चुनौती मानता है. हालांकि खुले मंचों पर दोनों ही देशों ने एक दूसरे पर हमला करने और एक-दूसरे के शत्रु संगठनों को समर्थन देने की बात से परहेज किया है.
ईरान के बढ़ते प्रभाव को कम करना चाहता है इजरायल
दोनों देशों के बीच तनाव का सबसे बड़ा कारण ईरान और इजरायल का अपने निकट वाले संघर्षों में अलग-अलग संगठनों का समर्थन करना है. उदाहरण के तौर पर देखें तो ईरान सीरिया के हुकूमत और लेबनान के एक ग्रुप हिजबुल्लाह की मदद करता है, जो इजरायल को बिल्कुल भी रास नहीं आता. इजरायल भी ईरान के बढ़ते प्रभाव को अपनी सुरक्षा के लिए चुनौती के रूप में देखता है. यही वजह है कि वह ईरान के प्रभाव को रोकने के लिए सैन्य कार्रवाई तक से नहीं चूकता.
न्यूक्लियर प्रोग्राम भी विवाद की जड़
इसके साथ ही ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी इजरायल की सबसे बड़ी चिंता का कारण है. इजरायल का मानना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम का इस्तेमाल उसके खिलाफ कर सकता है. हालांकि ईरान का दावा है कि वह केवल ऊर्जा के उत्पादन में ही न्यूक्लियर प्रोग्राम का इस्तेमाल करता है. लेकिन इजरायल को ईरान के दावे पर यकीन नहीं है और वह उसको इस दिशा में आगे बढ़ने से रोकना चाहता है.
ईरानी क्रांति से हुई दुश्मनी की शुरुआत
वास्तव में ईरान और इजरायल के बीच लड़ाई की शुरुआत 1979 में ईरानी क्रांति के साथ हुई थी. तब ईरान में इजरायल के कट्टर समर्थक और सहयोगी रहे शाह को गद्दी से बेदखल कर दिया गया था. इसके बाद ईरान में एक इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई और वहां के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह रूहुल्लाह खुमैनी ने इजरायल के विरोध वाले रुख को अपनाया. बाद में उनको उत्तराधिकारियों ने भी ऐसा ही किया. ईरान ने उस समय इजरायल के छोटा शैतान बताया और उसको तबाह करने की कसम खाई.
कभी घनिष्ठ मित्र होते थे दोनों देश
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इजरायल और ईरान भले ही आज जानी दुश्मन हों, लेकिन एक समय में दोनों एक दूसरे के कट्टर दोस्त हुआ करते थे. 1948 में जब इजरायल असतित्व में आया तो ईरान उसको मान्यता देने वाला दूसरा देश बना था. इस दौरान दोनों देशों के बीच काफी मैत्रीपूर्ण संबंध थे. दोनों देशों के यह मित्रता साक्षा हितों के आधार पर बनी थी. लेकिन ईरानी क्रांति के बाद में ईरान की विदेश नीति में बड़ा बदलाव आया और धीरे-धीरे इजरायल के साथ ईरान के कूटनीतिक और वाणिज्यक संबंध टूटते गए.
Source : News Nation Bureau