ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी (Ebrahim Raisi) का 19 मई 2024 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया. उनकी मौत के साथ ही उनके विवादास्पद कार्यकाल का अंत हो गया, जिसमें उन्होंने कट्टरपंथी इस्लामी एजेंडा को मजबूती से बढ़ावा दिया. रईसी का जीवन और राजनीतिक करियर विभिन्न विवादों और आलोचनाओं से घिरा रहा. रईसी ने अपने करियर की शुरुआत एक धार्मिक नेता के रूप में की थी और वे जल्दी ही ईरान की न्यायिक प्रणाली में उच्च पदों पर आसीन हो गए. उन्हें 1988 में हजारों राजनीतिक कैदियों की फांसी में उनकी भूमिका के लिए ‘तेहरान का कसाई’ कहा जाता था. इस घटना ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र से गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया गया.
रईसी का राष्ट्रपति पद का कार्यकाल (2021-2024) भी विवादों से भरा रहा. उनके द्वारा लागू नीतियों ने महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सख्ती से दबाया.
इब्राहीम रईसी के कार्यकाल के दौरान कई ऐसे कदम उठाए गए जिन्होंने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना का सामना किया. यहां उनके कुछ सबसे विवादास्पद और विनाशकारी कदमों के बारे में बताया गया है.
महसा अमिनी की मौत और विरोध प्रदर्शनों का दमन
2022 में महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए. रईसी सरकार ने इन प्रदर्शनों को क्रूरता से दबाया, जिसमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया और कई लोगों की मौत हुई. यह घटना रईसी की शासन प्रणाली की निर्दयता और मानवाधिकारों के उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण है.
मीडिया और इंटरनेट पर कठोर नियंत्रण
रईसी के शासन में इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सख्त प्रहार हुआ, जैसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप्स को बंद कर दिया गया, और सरकार ने ऑनलाइन संचार के माध्यमों पर कड़ी निगरानी रखी गई. यह कदम जनता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जानकारी तक पहुंच को गंभीर रूप से बाधित करता है.
परमाणु समझौते पर रुख
रईसी ने परमाणु समझौते JCPOA पर कड़ा रुख अपनाया और अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों के साथ बातचीत को नाकाम कर दिया. इससे ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंध जारी रहे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ. इसने आम ईरानी नागरिकों की जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया.
महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का दमन
रईसी के शासन में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ. हिजाब पहनने के कानून को सख्ती से लागू किया गया और महिलाओं की स्वतंत्रता को और अधिक सीमित किया गया. इस्लामिक कानूनों के कड़े अनुपालन ने सामाजिक असमानताओं को बढ़ावा दिया.
राजनीतिक विपक्ष का दमन
रईसी ने राजनीतिक विपक्ष और विरोधी दलों को कठोरता से दबाया. खासतौर पर सुधारवादी और मध्यमार्गी उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया गया, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को गंभीर क्षति पहुंची. इस कदम ने ईरानी जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित कर दिया और सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ाया.
इन कदमों ने न केवल ईरान में असंतोष को बढ़ावा दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी रईसी की छवि को धूमिल किया. उनकी नीतियों और कार्यों ने ईरान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर दिया और मानवाधिकारों के हनन के आरोपों को बल दिया.
Source : Smriti Sharma