Sunita Williams' life in danger?: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर 5 जून को करीब एक सप्ताह के लिए अंतरिक्ष गई थीं. उन्हें 13 जून को अंतरिक्ष से लौटना था. लेकिन आज 25 जून हो चुकी है, सुनीता विलियम्स 13 दिन से अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं, लेकिन वो अबतक उनकी वापसी नहीं हो सकी है. अब दोनों की वापसी को टालकर 26 जून किया गया. इससे पहले भी अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा उनकी वापसी को टाल चुकी है.
ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं कि स्टाइरलाइनर की वापसी की उड़ान क्यों बार-बार टालनी पड़ रही है, क्या उसमें कोई गड़बड़ी है. ये स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से कब वापस लौटेगा. साथ ही सबसे बड़ा सवाल कि क्या सुनीता विलियम्स की जान खतरे में हैं. लोग जानना चाह रहे हैं कि सुनिता विलियम्स और बुच विल्मोर कब तक स्पेस से वापस आएंगे. पहले ही टेस्टिंग और तकनीकी मुद्दों के कारण देर हो चुकी है.
Leaders from @NASA and @BoeingSpace are adjusting the June 26 return to Earth of the Crew Flight Test mission with @NASA_Astronauts Butch Wilmore and Suni Williams from @Space_Station.
This adjustment deconflicts from a series of spacewalks while allowing mission teams time to… pic.twitter.com/pjqz1zEu4g
— NASA Commercial Crew (@Commercial_Crew) June 22, 2024
25 घंटे में बाद ही कैप्सूल में आईं खामियां
बोइंग का स्टारलाइनर कैप्सूल 5 जून को फ्लोरिडा के केप कैनवेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से चालक दल के साथ अपनी पहली उड़ाने के लिए सफलतापूर्वक रवाना हुआ था. 25 घंटे की उड़ान के दौरान ही इंजीनियरों ने स्पेसशिप के थ्रस्टर सिस्टम में 5 अलग-अलग हीलियम लीक का पता लगाया था. इसके बाद स्पेसक्राफ्ट की वापसी को टालने का फैसला किया गया था. नासा ने कहा कि स्टारलाइनर में गड़बड़ी ठीक करने के लिए वापसी की उड़ान को स्थगित किया गया है. इस वजह से दोनों एस्ट्रोनॉट को ज्यादा वक्त तक स्पेस स्टेशन पर रहना पड़ेगा.
काम नहीं कर रहा कैप्सूल का हीलियम सिस्टम
बोइंग के स्टारलाइनर प्रोग्राम मैनेजर मार्क नैपी ने 18 जून को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हमें पता चला है कि हमारा हीलियम सिस्टम डिजाइन के अनुसार काम नहीं कर रहा है. हालांकि, ये प्रबंधन के योग्य है, लेकिन उस तरह से काम नहीं कर रहा है, जैसा हमने डिजाइन किया था. इसलिए हमें इसका पता लगाना होगा. फिलहाल NASA और बोइंग के इंजीनियर्स स्पेसक्राफ्ट के हार्डवेयर की जांच में लगे हैं. स्पेसक्राफ्ट में मिली गड़बड़ियों को दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है.
पहले भी आज चुकी है दिक्कत
नासा के अधिकारियों ने कहा है कि हम स्टारलाइनर की लगभग 6 घंटे की वापसी यात्रा शुरू करने से पहले थ्रस्टर फेलियर, वॉल्व समस्या और हीलियम रिसाव के कारणों को बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं. स्टारलाइनर की वर्तमान उड़ान में केवल एक थ्रस्टर डेड है. बोइंग को 2022 में चालक रहित स्पेस कैप्सूल की वापसी के दौरान चार थ्रस्टर समस्याओं का सामना करना पड़ा था. इस बार अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा का सवाल है. इसलिए सावधानी बरती जा रही है. 15 जून को जब इंजीनियर्स ने स्टारलाइनर के थ्रस्टर्स को ऑन किया था, तो पाया था कि तमाम गड़बड़ियां कुछ हद तक ही ठीक हो पाई हैं. इन खामियों की वजह क्या है, ये अभी तक पता नहीं चल सका है.
स्पेस क्राफ्ट में क्या है प्रोब्लम?
स्टारलाइनर के 'सर्विस मॉड्यूल' में एक्सपेंडेबल प्रपल्शन सिस्टम में समस्या है. ये सिस्टम कैप्सूल को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से दूर धकेलने और पृथ्वी के वायुमंडल की ओर गोता लगाने के लिए जरूरी है. स्टारलाइनर के थ्रस्टर्स को ऑन करने पर वे ओवरहीट हो रहे हैं. इन थ्रस्टर्स को प्रेशराइज करने के लिए हीलियम का इस्तेमाल होता है. यही हीलियम गैस बार-बार लीक हो रही है. फिलहाल अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर मौजूद हैं.
हर दिन बढ़ती जा रहीं चिंताएं
हालांकि, हर बीतते दिन के बाद चिंताएं बढ़ रही हैं. स्टारलाइनर की फ्यूल कैपेसिटी 45 दिन की है. इस मिशन को शुरू हुए करीब 20 दिन गुजर चुके हैं. यानी अब सिर्फ 25 दिन का ही फ्यूल बचा है. फिलहाल, नासा और बोइंग दोनों ही सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सुरक्षित वापसी की कोशिशों में जुटे हैं. दोनों की वापसी तभी मुमकीन है जब सारी दिक्कतों को दूर कर लिया जाएगा और स्पेसक्राफ्ट को वापसी के लिए सुरक्षित माना जाएगा.
एक बार NASA ने एस्ट्रोनॉट्स की वापसी का ग्रीन सिग्नल दे दिया, तो स्टारलाइनर के थ्रस्टर्स को ISS से कैप्सूल को अनडॉक करने के लिए यूज किया जाएगा. उसके बाद ISS से धरती तक का सफर छह घंटे में पूरा होगा. इस बीच NASA ने कहा है कि प्रपल्शन सिस्टम में खामियों के बावजूद, स्टारलाइनर एस्ट्रोनॉट्स को लेकर धरती पर लौटने में सक्षम है. अगर बहुत जरूरत पड़ी तो कैप्सूल को एक एस्केप पॉड की तरह इस्तेमाल किया जाएगा.
बता दें कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष में जाने वाले पहले एस्ट्रोनॉट हैं. विल्मोर और सुनीता विलियम्स स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट और उसके सभी सिस्टम का टेस्ट करने के लिए करीब 20 दिन से स्पेस स्टेशन में हैं. बोइंग के स्पेसक्राफ्ट SUV-स्टारलाइनर को डिजाइन करने में सुनीता ने भी मदद की थी. इस स्पेसक्राफ्ट में 7 क्रू मेंबर सवार हो सकते हैं.
सुनीता ने जाहिर की थी खुशी
जब सुनीता विलियम्स स्पेस स्टेशन पहुंची थीं तो उन्होंने स्पेसक्राफ्ट से निकलते ही डांस करके अपनी खुशी का इजहार किया था. सुनीता के डांस का ये वीडियो सोशल मीडिया में जबरदस्त तरीके से वायरल हुआ था.
After #Starliner commander Butch Wilmore and pilot @Astro_Suni’s warm welcome on @Space_Station June 6, the crew worked today on in-flight activities, including talking to our teams about their experience in the spacecraft.
Learn more: https://t.co/iZMKDU5FCb pic.twitter.com/qjyhXNzxUu
— Boeing Space (@BoeingSpace) June 8, 2024
सुनीता विलियम्स की स्पेस जर्नी (Sunita Williams Journey)
59 साल की सुनीता विलियम्स की अब तक की स्पेस जर्नी शानदार रही है. वो तीन बार अंतरिक्ष की यात्रा पर जा चुकी हैं. सबसे पहले 2006 में, दूसरी बार 2012 में और तीसरी बार 2024 में. अभी भी वो नासा के स्पेस मिशन पर अंतरिक्ष स्टेशन में ही हैं. सुनीता ने पहले के दो मिशन के दौरान अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं. 2006 में सुनीता ने अंतरिक्ष में 195 दिन और 2012 में 127 दिन बिताए थे. तीसरे मिशन में वो 5 जून से अंतरिक्ष में हैं.
7 बार कर चुकी हैं स्पेसवॉक
दिलचस्प बात ये है कि सुनीता अकेली ऐसी महिला एस्ट्रोनॉट हैं, जो तीन बार अंतरिक्ष में जाने का कीर्तिमान रच चुकी हैं. अपनी तीन अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान सुनीता विलियम्स 7 बार स्पेस वॉक भी कर चुकी हैं. पहली अंतरिक्ष यात्रा में सुनीता विलियम्स ने 4 स्पेस वॉक किए. 2012 में सुनीता ने तीन बार स्पेस वॉक किए थे. स्पेस वॉक के दौरान अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन से बाहर आते हैं. सुनीता विलियम्स के नाम अंतरिक्ष से जुड़ी कई उपलब्धियां हैं. भले ही उनकी पहचान अमेरिकी एस्ट्रॉनोट के तौर पर हो, लेकिन उनका भारत से भी गहरा नाता है.
कौन हैं सुनीता विलियम्स? (Who is Sunita Williams?)
सुनीता के पिता भारतीय और मां स्लोवेनियाई मूल की हैं. सुनीता के पिता दीपक पांड्या गुजरात के रहने वाले थे. 1958 में दीपक पांड्या अहमदाबाद से अमेरिका जाकर बस गए थे. सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहियो में हुआ. सुनीता ने 1987 में यूएस नेवल एकेडमी से ग्रेजुएशन किया था, जिसके बाद साल 1998 में उनका अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में सिलेक्शन हुआ.
...जल्द वापस लौटेंगी सुनीता!
नासा में एस्ट्रॉनॉट के रूप में चयन और अंतरिक्ष यात्रा के बाद से सुनीता विलियम्स को लोग पहचानने लगे. वो तीसरी बार स्पेस में गई हैं. हालांकि इस बार चुनौती सबसे बड़ी है. हालांकि नासा समेत सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों को उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी सुनीता विलिल्यम्स चुनौतियों की सभी दीवारों को गिराने में कामयाब होंगी और अपना मिशन पूरा करके जल्द वापस लौटेंगी.
Source : News Nation Bureau