Jharkhand Election Results 2024: झारखंड में हेमंत सोरेन ने बड़ा गेम कर दिया है. एक बार फिर हेमंत सोरेन की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक सरकार बनाने की ओर है. अबतक के रुझानों में इंडिया ब्लॉक बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है और 50 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए अलायंस 30 सीटों पर आगे है. एक सीट अन्य के खाते में जाती हुई दिख रही है. झारखंड में इंडिया ब्लॉक की जीत के पीछे हेमंत सोरेन के 5 दांव जिम्मेदार बताए जा रहे हैं, जिनमें विरोधी बुरी तरह से फंस गए और उनका पूरा खेल ही बिगड़ गया. आइए इस बारे में जानते हैं.
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1- आदिवासियों का भरोसा
हेमंत सोरेन एक बार आदिवासियों का भरोसा जीतने में सफल रहे हैं. झारखंड में कई सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं, जिनमें से अधिकतर इंडिया ब्लॉक के खाते में जाती हुई दिख रही हैं. इससे साफ होता है कि आदिवासियों ने एक बार फिर हेमंत सोरेन पर विश्वास जताया है. ये भरोसा इतना मजबूत साबित हो रहा कि चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल भी इन वोटर्स ने जेएमएम और हेमंत सोरेन का साथ नहीं छोड़ा.
2- 'बेटी-माटी-रोटी' का नारा हिट
हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर काटो-बांटो की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए 'बेटी-माटी-रोटी' का नारा दिया, जो हिट होता दिख रहा है. इसने बीजेपी की 'बंटेंगे तो कटेंगे' और बांग्लादेशी घुसपैठ मुद्दे के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश को नाकाम कर दिया. इसका असर ये हुआ कि इंडिया ब्लॉक मुम्लिम और यादव वोटों को अपनी ओर साधने में कामयाब रही. नतीजतन, मुस्लिम-यादव और आदिवासी सीटों पर इंडिया ब्लॉक की बंपर जीत होती हुई दिख रही है.
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3- आदिवासी अस्मिता का दांव सफल
हेमंत सोरेन ने विरोधी की रणनीति को भांपने में जरा भी देरी नहीं की. जब उनको कथित जमीन घोटाले में जेल भेजा गया तो उन्होंने इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया. जेल से छूटने के बाद उन्होंने इस बात को घर-घर तक पहुंचाने की कोशिश की कि गरीबों के नेता हेमंत सोरेन को बीजेपी ने साजिश तहत जेल में डाला. जनता चुनाव में इसका बदला वोट से लेना. इसके बाद चुनाव में आदिवासी वोटर्स ने बढ़-चढ़ कर वोटिंग में हिस्सा लिया, जिसका फायदा इंडिया ब्लॉक को होता हुआ दिख रहा है.
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4. मईया योजना का भी चला मैजिक
हेमंत सोरेन राजनीति की मंझे हुए खिलाड़ी हैं. वो अच्छे से जानते हैं कि किस तरह से लोगों के दिलों में जगह बनानी है. इसके लिए उन्होंने मईया योजना को चलाया, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. इसी स्कीम के चलते हेमंत सोरेन को महिला वोटर्स का साथ मिलता हुआ दिख रहा है और वो प्रचंड जीत की ओर बढ़ रहे हैं.
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5- मुसीबत में साथ खड़ी ही रहीं पत्नी
हेमंत सोरेन के लिए सबसे पॉजीटिव चीज ये रही हैं कि मुसीबत के समय में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहीं. जब हेमंत सोरेन जेल चले गए थे तब चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था. इस दौरान हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ग्राउंड पर जाकर पार्टी को मजबूत करने में लगी रहीं. उन्होंने किसी भी तरह से पार्टी पर हेमंत सोरेन की पकड़ को कमजोर नहीं होने दिया और उसके संगठन को मजबूत बनाए रखा. नतीजतन,जब चुनाव आए तो पार्टी पूरी तरह से तैयार थी.
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