JK Assembly Election 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कल यानी गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस संग अलायंस (Congress-NC Alliance) तय होने का ऐलान किया. जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए स्टेटहुड यानी पूर्ण राज्य दर्जा और आर्टिकल 370 दो बड़े ही गंभीर मसले हैं. कांग्रेस पार्टी जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलवाने के मसले पर तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ दिखती है, लेकिन 370 की बहाली पर उसकी राहें जुदा दिखती हैं. अब सवाल ये हैं कि चुनावों में कांग्रेस-NC की नैया कैसे पार लगेगी. साथ ही जानते हैं कि 370 का राग अलापने से सियासी दलों को क्या नफा-नुकसान हो सकता है. बता दें कि 2019 में केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था.
स्टेटहुड मसले पर पार्टियों का रुख
जम्मू-कश्मीर (JK Politics News) को स्टेटहुड के मुद्दे पर कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ दिखी. गुरुवार को जम्मू दौरे पर कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘आने वाला विधानसभा चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये आपके अस्तित्व का चुनाव है. अगर इन चुनावों में जीते तो आप स्टेटहुड पाएंगे, काउंसिल फिर से वापस आएगा और जिला पंचायत, नगरपालिका के चुनाव होंगे. अगर इन चुनावों में जीते तो मोदी अपनी तानाशाही नहीं चला पाएंगे.’
आने वाला विधानसभा चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये आपके अस्तित्व का चुनाव है।
— Congress (@INCIndia) August 22, 2024
अगर इन चुनावों में जीते तो आप statehood पाएंगे, काउंसिल फिर से वापस आएगा और जिला पंचायत, नगरपालिका के चुनाव होंगे।
अगर इन चुनावों में जीते तो मोदी अपनी तानाशाही नहीं चला पाएंगे।
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वहीं, 19 अगस्त को नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया था. तब उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल (JK Statehood Issue) करने के लिए दृढ़ हैं. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ये वादा पहले ही कर दिया है. अगर वह स्वेच्छा से राज्य का दर्जा बहाल नहीं करती है, तो हम कोर्ट के जरिए से न्याय की मांग करेंगे.’
हालांकि, BJP का रूख जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने के पक्ष में ही दिखता है. जून महीने में अपने श्रीनगर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए ऐलान किया था कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेगा. ऐसे में जम्मू-कश्मीर को स्टेटहुट का मसला न्यूट्रल ईश्यू हो जाता है, क्योंकि मुख्य दल एकमत ही दिखते हैं.
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370 की बहाली पर पार्टियों का स्टैंड
मगर, आर्टिकल 370 और 35ए की बहाली को लेकर सियासी दलों का रूख अलग-अलग दिखता है. जम्मू-कश्मीर की ज्यादातर रिजनल पार्टियां यही चाहती हैं कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35ए की बहाली फिर से हो. 19 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि हम अनुच्छेद 370 के लिए राजनीतिक रूप से लड़ते रहेंगे. ऐसा ही ऐलान पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती भी कई मौकों पर कर चुकी हैं.
370 मुद्दे पर क्या नफा-नुकसान?
कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है. उसने कभी खुलकर आर्टिकल 370 के मसले पर कभी कुछ नहीं कहा. अब जब कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस संग गठबंधन कर चुनावों में जाने का फैसला किया है, तब ये देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां 370 मुद्दे पर कैसे साथ चलती हैं. वहीं, 370 मसले पर जम्मू-कश्मीर की आवाम भी बंटी हुई दिखती है. कुछ लोग 370 का हटना जम्मू-कश्मीर के हित में बताते हैं, तो कुछ इसको हटाए जाने के विरोध में दिखते हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि 370 मुद्दा पर सियासी दलों के लिए नफा-नुकसान दोनों ही उठाना पड़ सकता है.
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बीते चुनावों में ऐसा देखा गया है कि कश्मीर के इलाकों में नेशनल कॉन्फ्रेंस दबदबा रखती है, तो कांग्रेस को जम्मू में अच्छे वोट मिलते हैं. जम्मू में ही बीजेपी का बड़ा जनाधार है. इसी जम्मू इलाके के लोग मानते हैं कि 370 का हटना जम्मू-कश्मीर के हित में हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए 370 पर ज्यादा खुलकर बोलना नुकसानदायक हो सकता है. इससे जम्मू में उसके वोट कटने की आशंका को बल मिलता है. अगर ऐसा होता है इसका सीधा-सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.
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वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस का 370 की बहाली का राग अलापना एक राजनीतिक नारा अधिक लगता है, क्योंकि 370 संविधान का हिस्सा था, उसकी बहाली संसद से ही हो सकती है. मगर ऐसा हो पाना मुश्किल दिखता है. कहा जा सकता है कि फारूक हों या फिर उमर अब्दुल्ला 370 के जरिए वोट पाना चाहते हैं, क्योंकि कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से 370 नहीं हटना चाहिए था. चूंकि 370 को हटाने में बीजेपी की बड़ी भूमिका रही है, ऐसे में उसकी कोशिश रहेगी कि कैसे 370 पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के टकराव को भुनाया जाए. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 370 मसले को उठाने पर किसी दल को जितना नुकसान होगा तो उतना ही दूसरे दल को फायदा भी होगा.
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