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JK Election: घाटी में गूंजा 370-PAK मुद्दा, एजेंडा बदलेगी अब्दुल्ला फैमिली या बढ़ेंगी कांग्रेस की मुश्किलें?

JK Assembly Election 2024: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव और आर्टिकल 370 पर सियासी तनाव जारी है. 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन हुआ है, लेकिन मामला आर्टिकल 370 वाले एजेंडे पर अटक गया.

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Ajay Bhartia
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JK Election News
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JK Assembly Election 2024: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव और आर्टिकल 370 पर सियासी तनाव जारी है. 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन हुआ है, लेकिन मामला आर्टिकल 370 वाले एजेंडे पर अटक गया. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वार पर वार कर रही है कि क्या 370 को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस का जो स्टैंड है, क्या कांग्रेस उससे सहमत है. इन सवालों को लेकर बीजेपी ने जबरदस्त चढ़ाई कर रखी है.

370 पर आमने-सामने BJP-कांग्रेस

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर (JK Politics) में पहले विधानसभा चुनाव की चौसर बिछी है. सूबे में चुनावी हलचल बढ़ी है और इसी मुद्दे पर सबसे ज्यादा घमासान भी छिड़ा है, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच गठबंधन हुआ है. इसके साथ ही बीजेपी की सुपर टॉप लीडरशिप से लेकर स्टेट तक से सवालों की बौछार शुरू हो गई. 

शाह ने कांग्रेस से पूछे 10 सवाल

कांग्रेस से पूछा गया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठजोड़ के बाद 370 पर स्टैंड क्या है. गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस लीडरशिप से 10 सवालों पर जवाब मांगे और अब इस घमासान में राज्यों के क्षत्रप (JK News) भी उतर आए. राष्ट्रवाद की बिसात पर BJP दिग्गजों ने कांग्रेस के खिलाफ बिगुल फूंका और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन पर वार किया. जवाब कांग्रेस की ओर से भी आया.

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2014 में बनी थी BJP-PDP सरकार

जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 2014 में चुनाव हुआ था. तब बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. पहले मुफ्ती मुहमद सईद मुख्यमंत्री बने थे. उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने कमान संभाली थी, लेकिन बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार बीच में ही गिर गई थी. रास्ते अलग-अलग हो गए थे. इसके बाद से जम्मू कश्मीर के दोनों प्रमुख पार्टियां अब्दुल्ला परिवार की नेशनल कॉन्फ्रेंस और मुफ्ती परिवार की पीडीपी कांग्रेस के करीब आ गईं. 

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फिलहाल दोनों दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के लिए कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ जाना ज्यादा मुनासिब समझा. चुनावी गठबंधन का ऐलान राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान किया गया. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने 22 अगस्त को डॉ फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की थी, जिसके बाद गठबंधन का गणित और रणनीति तैयार हुई. 

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जम्मू कश्मीर दौरे (Rahul Gandhi Kashmir Visit) में राहुल ने कांग्रेस की टोन सेट कर दी थी, लेकिन पेच अनुच्छेद 370 और 35A पर फंसा है, क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणा पत्र में 370 और 35A की बहाली का वादा किया है. इससे कहीं ज्यादा विवाद फारूक अब्दुल्ला के उस एजेंडे पर उठा है, जिसमें बार-बार पाकिस्तान राग नजर आता रहा. एक मौके पर उन्होंने कहा कि, ‘एटम बम उनके (पाकिस्तान) के पास भी है, जो हमारे यहां ही गिरेगा.’

फारूक का पाकिस्तान'प्रेम'

फारूक अब्दुल्ला ने कई बार भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू होने की वकालत की है. इसको लेकर कई मौकों पर दवाब भी बनाया. उनका कहना है कि, ‘पाकिस्तान से आतंकवाद आ रहा है, कैसे खत्म करें. जब तक पाकिस्तान से बातचीत नहीं होगी. मैं आपको खून से लिखकर देता हूं कि तब तक ये आतंकवाद बंद नहीं होगा.’ 

सियासत के मंझे खिलाड़ी फारूक अब्दुल्ला के इन बयानों पर काफी विवाद हुआ था और एक बार फिर ये बयान फिजा में घूमने लगे हैं, तो क्या कांग्रेस से गठबंधन के बाद अब्दुल्ला परिवार का एजेंडा बदलेगा या फिर मुश्किलें कांग्रेस की बढ़ेगी.

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