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Explainer: बंगाल में एक्सप्रेस ट्रेन-मालगाड़ी की टक्कर, देश में क्यों बार-बार होते हैं ऐसे रेल हादसे? जानें

पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का शिकार हो गई है. इस दुर्घटना में 15 यात्रियों के मारे गए हैं, जबकि 60 यात्री के घायल हैं. हताहतों की संख्या बढ़ सकती है. देश में क्यों बार बार रेल हादसे होते हैं. जानिए कारण.

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Ajay Bhartia
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क्यों बार-बार होते हैं रेल हादसे?( Photo Credit : News Nation)

Kanchanjunga Express Accident: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन हादसे का शिकार हो गई है. यह ट्रेन एक्सीडेंट एक मालगाड़ी के कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन को पीछे से टक्कर मारने की वजह से हुआ है. हादसा इतना भीषण था कि ट्रेन के डिब्बे एक ऊपर एक चढ़ गए. टक्कर के बाद ट्रेन के परखच्चे उड़ गए. उनमें से तीन बोगियां बुरी तरह से डैमज हो गईं. इस हादसे में 15 यात्रियों के मारे गए हैं, जबकि 60 यात्री के घायल हैं. हालांकि, हताहतों की संख्या बढ़ सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों बार बार रेल हादसे होते हैं. आइए इनके पीछे कारणों को जानते हैं. 

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भारत में बार-बार होने वाले रेल हादसों के पीछे के मुख्य कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर खामियां, मानवीय गलियां, सिग्नलिंग विफलताएं और मानवरहित लेवल क्रॉसिंग हैं. 

1. इन्फ्रास्ट्रक्चर खामियां

भारत में बार-बार रेल हादसे होने के पीछे का अहम कारण भारतीय रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर में खामियों का होना है, जिसमें पटरियां, पुल, ओवरहेट तार और रोलिंग स्टॉक शामिल हैं. इनके अक्सर खराब रखरखाव, पुरानेपन, जर्जरता, तोड़फोड़ या नेचुरली डिफेक्ट्स की वजह से रेल हादसे होते हैं. रेलवे प्रणाली भी धन की कमी, करप्शन और अकुशलता से ग्रस्त है, जो इसके विकास और रखरखाव में बाधा डालती है.

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1.A. गाड़ियों का पटरी से उतरना

भारत में कई रेल दुर्घटनाएं पटरी से उतरने के कारण होती हैं. 2020 की एक गवर्मेंट सेफ्टी रिपोर्ट में पाया गया कि देश में 70 फीसदी रेल हादसों के लिए यही जिम्मेदार है. इस समस्या के पीछे का एक अहम कारण भीषण गर्मी भी है, क्योंकि गर्मियों के महीनों में रेलवे ट्रैक फैलते हैं. सर्दियों में तामपान में गिरावट के कारण सिकुड़ते हैं. नतीजतन रेलवे ट्रैक के लगातार निरीक्षण की जरूरत होती है. भारत में रेल प्रणाली का काफी बड़ी है, इसलिए इन निरीक्षणों में अक्सर कमी होती है.  

1.B. रेल प्रणाली का पुराना होना

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देश की रेल प्रणाली बहुत पुरानी है, जिसे 1870 के दशक में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान बनाया गया था. मौजूदा प्रणाली अपनी उपयोगिता से बाहर हो गई. इसमें समय-समय पर अपग्रेडेशन की जरूरत है. इस पुरानी प्रणाली को अक्सर भारत की उच्च रेल दुर्घटना दर (India's high crash rate) का मुख्य कारण बताया जाता है.

1.C. टक्कर रोधी उपकरणों की कमी

भारतीय रेलवे ने ट्रेन एक्सीडेंट्स की बढ़ती संख्याओं पर लगाम लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं. ट्रेनों में टक्कर रोधी उपकरण (Anti-collision devices) लगाए गए हैं. लेकिन, अभी ये प्रणाणी कुछ ही प्रमुख मार्गों पर लगाई गई है. अगर इस सिस्टम को बड़े पैमाने पर सभी रेलवे रूट्स पर लागू किया जाए, तो ट्रेन हादसों में कमी आ सकती है. 

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1. D- रेलवे रूट्स पर गाड़ियों का अधिक भार

भारत में लाखों की संख्या में लोग हर दिन ट्रेन से सफर करते हैं. कई रेलवे रूट्स तो बहुत व्यस्त हैं. वहां रेलवे मार्गों पर उनकी 100 फीसदी क्षमता से अधिक ट्रेनों की आवाजाही रहती है. ऐसे में भीड़भाड़ और अधिक भार के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है.

2. मानवीय गलतियां

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देश में बार-बार रेल हादसों का दूसरा कारण मानवीय भूल भी है, जिसमें गलत संकेत, गलत संचार, तेज स्पीड से ट्रेन को चलाना, दोषों या खतरों की अनदेखी करना हो सकता है. इनके अलावा रेलवे कर्मचारियों में ट्रेनिंग और स्किल की कमी होना. ये सभी बिंदु बड़े ट्रेन हादसों का कारण बन सकते हैं.  

3. सिग्नलिंग फेलियर

सिग्नलिंग प्रणाली भारतीय रेल सिस्टम की रीढ़ है. अगर ये प्रणाली फेल हो जाए या गलत सिग्नल दिया जाए तो बड़ा रेल हादसा हो सकता है. सिग्नलिंग प्रणाली, जो पटरियों पर ट्रेनों की गति और दिशा को कंट्रोल करती है, तकनीकी खराबी, बिजली कटौती या मानवीय त्रुटियों के कारण विफल हो सकती है. सिग्नलिंग फेलियर के कारण रेलगाड़ियां गलत ट्रैक पर चल सकती हैं, अन्य रेलगाड़ियों या स्थिर वस्तुओं से टकरा सकती हैं, या स्टेशन से आगे निकल सकती हैं.

उदाहरण के लिए, हाल ही में ओडिशा में हुई रेल दुर्घटना कथित तौर पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुई थी, जिसके बारे में ड्राइवरों को ठीक से सूचित नहीं किया गया था.

4. मानवरहित लेवल क्रॉसिंग (यूएमएलसी) 

मानवरहित लेवल क्रॉसिंग (यूएमएलसी) पर सबसे ज्यादा रेल हादसों के होने का खतरा होता है, क्योंकि वाहन या पैदल यात्री निकट आती हुई ट्रेन को नहीं देख पाते हैं या रेलगाड़ी के निकट आने पर पटरी पार करने का प्रयास करते हैं. ये वो जगह होती हैं, जहां बिना किसी बैरियर या ट्रैफिक रेगुलेशन के रेलवे ट्रैक एक-दूसरे को क्रॉस करते हैं.

2018-19 में भारत में हुई सभी रेल दुर्घटनाओं में से 16 फीसदी एक्सीडेंट्स मानवरहित लेवल क्रॉसिंग पर हुईं. रेलवे ने ब्रॉड गेज रूट्स पर सभी मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को खत्म कर दिया है. लेकिन, अभी भी कई मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग (एमएलसी) हैं, जिनसे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है.

मोदी सरकार ने बीते कुछ सालों में रेलवे सिस्टम को डेवलप करने के लिए काफी काम किया है. पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेलवे ने बुनियादी ढांचे को पहले से कहीं बेहतर बना रहा है. मोदी सरकार में भारत का रेल बजट बढ़ा है. हालांकि अभी भी सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण बाधाओं को दूर करना बाकी है. सुधारों की कमी की दशकों की विरासत को देखते हुए, बड़े पैमाने पर सुधार का खाका रातोंरात नहीं बनाया जा सकता है. इसे क्रमिक रूप से लागू किया जाना चाहिए और इसे लागू करने में कई और साल लग सकते हैं.  

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Source : News Nation Bureau

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