What is status of Special State: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला है. एनडीए ने नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है, यानी अब उनके तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की राह एकदम साफ है. अगर ऐसा हो पा रहा है, तो चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की वजह से, क्योंकि दोनों ही इस समय 'किंगमेकर' की भूमिका में हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बार तो आंध्र प्रदेश और बिहार का स्पेशल स्टेटस पक्का है, क्योंकि दोनों के पास अपनी इस पुरानी मांग को मनवाने का अच्छा मौका है. आइए जानते हैं कि क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा और इसके दिए जाने के क्या पैमाने हैं.
नायडू-नीतीश 'किंगमेकर' कैसे?
लोकसभा चुनावों में एनडीए को 293 सीटें मिली हैं. बीजेपी (240 सीटें) के बाद चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) 16 सीटें के साथ दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 12 सीटें जीतकर नीतीश की जनता दल (यूनाइटेड) तीसरे नंबर पर है. सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 272 है. अगर नायडू और नीतीश एनडीए से अलग होते हैं, तो गठबंधन बहुमत से 7 सीटें पिछड़ जाएगा, इसलिए नायडू-नीतीश 'किंगमेकर' की भूमिका में हैं. वे अपने-अपने राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को मनवा सकते हैं, जिसकी मांग वे सालों से करते आ रहे हैं. हालांकि, केंद्र ने इनकी मांगों को कभी नहीं माना.
क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?
भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान का सामना करने वाले राज्यों के विकास में सहायता के लिए केंद्र सरकार राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है. 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर इसको दिए जाने की शुरुआत हुई. पहली बार 1969 में जम्मू-कश्मीर, असम और नगालैंड को यह दर्जा दिया गया था. हालांकि, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेट का दर्जा खत्म हो गया. भारत के सबसे नए राज्य तेलंगाना को यह दर्जा दिया गया, क्योंकि इसे आंध्र प्रदेश से अलग कर गठित किया गया था. अभी असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है.
किन आधार पर विशेष राज्य का दर्जा?
गाडगिल सिफारिश के अनुसार, किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए इसके कुछ पैमाने हैं. आर्थिक रूप से पिछड़े, जनजाति बहुल आबादी वाले पहाड़ी इलाके, पड़ोसी मुल्क की सीमा से लगे हुए राज्य इसके अंतर्गत आते हैं.
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के फायदे?
केंद्र स्पेशल कैटेगरी स्टेट प्राप्त राज्यों को अपनी योजनाओं में आवश्यक धनराशि का 90% का भुगतान करता है, जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह 60% या 75% है. अगर पैसा एक फाइनेंशियल ईयर में खत्म नहीं हो पाता है, तो वह अगले साल के लिए ट्रांसफर दिया जाता है. इन राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से विशेष प्रवाधान के तहत एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, आयकर-कॉर्पोरेट टैक्स में रियायतें दी जाती हैं. केंद्र के ग्रोस बजट का 30% स्पेशल स्टेट वाले राज्यों को जाता है. वहीं, अगर कोई निवेशक इन राज्यों में निवेश करता है, तो उसे टैक्स बेनिफिट मिलता है.
बिहार क्यों मांग रहा है विशेष राज्य का दर्जा?
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए की मांग सालों से उठ रही हैं. इसके पीछे आर्थिक असमानताएं, प्राकृतिक आपदाएं, बुनियादी ढांचे की कमी और गरीबी और सामाजिक विकास जैसे तर्क गिनाए जाते हैं.
- कहा जाता है कि बिहार में औद्योगिक विकास की कमी और सीमित निवेश अवसरों के चले गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. राज्य के विभाजन के बाद सारे उद्योग झारखंड में चले गए, जिससे प्रदेश में रोजगार और आर्थिक विकास में कमी आई.
- प्रदेश के कई इलाके हर साल सूखे-बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदानों से जूझते रहते हैं, जिसकी वजह से कृषि प्रभावित होती है. बिहार में अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर है, लेकिन सिंचाई सुविधाओं और जल आपूर्ति का बुनियादी ढांचा कमजोर है.
- बिहार में गरीबी की दर भी काफी अधिक है, इस आधार पर भी उसको विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठती रहती है.
Source :News Nation Bureau