गुजरात के गांधीनगर स्थित गिफ्ट सिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को देश के पहले अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज (International Bullion Exchange) का उद्घाटन किया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भारत भी अब सिंगापुर, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देशों की कतार में शामिल हो गया है. पीएम मोदी ने कहा है कि भारत सदियों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार और आयात-निर्यात करता आया है, लेकिन आजादी के बाद कमजोर आत्मशक्ति के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
आर्थिक महासत्ता बनने की ओर भारत
पीएम मोदी ने कहा कि भारत आर्थिक महासत्ता बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है. यह एक्सचेंज फिजिकल गोल्ड (Gold) और सिल्वर (Silver) की बिक्री करेगा. भारत को बुलियन फ्लो के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र बनाने के लिए इसको लॉन्च किया गया है. भारतीय अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज (IIBX) को शंघाई गोल्ड एक्सचेंज और बोरसा इस्तांबुल की तर्ज पर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है.
गांधीनगर में दुनिया का तीसरे नंबर का बुलियन एक्सचेंज है. यह भारत को दुनिया में मूल्य निर्धारक की भूमिका में ले आएगा. इस एक्सचेंज IIBX को एक साल की देरी, कई ट्रायल और ड्राई रन के बाद लॉन्च किया गया है. आइए, इसकी विशेषताओं, ट्रेंडिंग के नियम, भाव, सुविधाएं और देश में इसके असर से होने वाले बदलाव के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
बुलियन का क्या मतलब है
बुलियन का मतलब है बार, सिल्लियों या सिक्कों के रूप में रखा जानेवाला उच्च शुद्धता का फिजिकल गोल्ड और सिल्वर. बुलियन को कभी-कभी लीगल टेंडर माना जा सकता है. आमतौर पर इसे केंद्रीय बैंकों द्वारा स्वर्ण भंडार के रूप में रखा जाता है. इसके अलावा संस्थागत निवेशकों द्वारा इसे रखा जाता है. इस बुलियन एक्सचेंज के जरिए भारत यूके, यूएस, दुबई और सिंगापुर के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए दुनिया में मूल्य निर्धारक की भूमिका में होगा.
IIBX से जुडे़ 64 ज्वैलर्स
द बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल के मुताबिक देश को मिले नए एक्सचेंज का सबसे ज्यादा फायदा सोने के आयात को मिलेगा. इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज के जरिये अब देश में सोने का आयात हो सकेगा. यह प्रक्रिया और ज्यादा आसान हो जाएगी. इस एक्सचेंज के जरिये सिर्फ क्वालीफाइड ज्वैलर्स ही सोने या चांदी का आयात कर सकेंगे. अभी तक करीब 64 ज्वैलर्स रजिस्टर्ड IIBX से जुड़ चुके हैं. इस एक्सचेंज पर 125 टन गोल्ड का वॉल्ट तैयार किया जाएगा. वहीं चांदी के वॉल्ट की क्षमता एक हजार टन होगी.
ट्रेडिंग से जुड़े नियम
इस एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक होगा. इस एक्सचेंज के जरिये बुलियन ट्रेडिंग में पारदर्शिता आएगी. ज्वैलर्स को क्वालीफाइड बनने के लिए IFSC में ब्रांच होना जरूरी होगा. आयात के लिए कम से कम 25 करोड़ की नेटवर्थ होना जरूरी है. पिछले तीन साल के टर्नओवर में 90 फीसदी हिस्सेदारी बुलियन क्षेत्र की होनी चाहिए. इसके जरिए 200 करोड रू के सोने व 50 हजार करोड की चांदी के आयात का अनुमान है.
मिलेंगी ये सुविधाएं
रिपोर्ट के मुताबिक निकट भविष्य में इस एक्सचेंज पर ट्रेडिंग की सुविधा दिन में 22 घंटे तक बढ़ाई जाएगी. इसके अलावा क्वालीफाइड ज्वैलर्स को 11 दिन एडवांस में भुगतान की सुविधा भी मिलेगी. सभी कॉन्ट्रैक्टर और सेटलमेंट डॉलर में ही किए जाएंगे. इस एक्सचेंज पर सौ फीसदी एकमुश्त मार्जिन के साथ T+O में सेटलमेंट होगा. आगे इसे T+2 में भी सेटलमेंट की मंजूरी दी जा सकती है. इसका मतलब है कि कारोबारी जिस दिन सेटलमेंट के लिए आवेदन करेंगे उसके दो दिन के भीतर पैसे जारी कर दिए जाएंगे.
ये होंगे वॉल्ट और उत्पाद
चेयरमैन योगेश सिंघल ने बताया कि IIBX के 3 वॉल्ट होंगे. एक सीक्वल द्वारा संचालित होगा जिसे मंजूरी मिल चुकी है और दूसरा ब्रिंक्स द्वारा संचालित होगा जिसे अंतिम मंजूरी का इंतजार है और तीसरा अभी निर्माणाधीन है. एक्सचेंज पर 995 प्योरिटी के एक किलो का प्रोडक्ट होगा. इसके अलावा 999 प्योरिटी के 100 ग्राम का प्रोडक्ट भी होगा. जानकारी के मुताबिक आने वाले दिनों में UAE के लिए 12.5 किलो के प्रोडक्ट उतारे जाने की भी संभावना है.
IIBX से होंगे ये फायदे
भारत अभी अपने सोने का दाम दुनिया के लिहाज से तय करता है. अब आगे यह खुद कीमत तय कर सकेगा. इसके जरिये सोने के इंपोर्ट का बड़ा एंट्री गेट मिलेगा और देश ग्लोबल बुलियन मार्केट से देश जुड़ जाएगा. IIBX के जरिये सोने के इंपोर्ट का बड़ा एंट्री गेट मिलेगा. देश में बुलियन इंपोर्ट का नया रास्ता खुलेगा. क्वालिटी के साथ कीमत और पारदर्शिता का भरोसा बढ़ेगा. भारत की पोजीशन ग्लोबल ज्वेलरी बाजार में भी मजबूत होगी.
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फिलहाल ऐसे तय होते हैं भाव
फिलहाल लंदन मेटल एक्सचेंज गोल्ड का भाव तय करता है. इसके अलावा न्यूयॉर्क, जापान बुलियन एक्सचेंज पर भी नजर होती है. LME पर प्रति औंस में भाव तय होता है. एक औंस का वजन 28.35 ग्राम के बराबर होता है. मान लें कि इंटरनेशनल मार्केट में सोने का भाव 1,750 डॉलर प्रति औंस है तो इसमें सरकार की इंपोर्ट ड्यूटी 12.75 फीसदी जुड़ती है. इसके अलावा 2.5 फीसदी का एग्री इंफ्रा सेस और ड्यूटी के ऊपर से अतिरिक्त 2 डॉलर जोड़े जाते हैं.
अगर डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा तो कीमत भी बढ़ती चली जाएगी. इस एक्सचेंज के सदस्यों में सभी बड़े बैंक, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड और MMTC जैसी सरकारी एजेंसियां शामिल होंगी.
HIGHLIGHTS
- भारत सदियों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार और आयात-निर्यात कर रहा
- पीएम मोदी ने कहा कि भारत आर्थिक महासत्ता बनने की ओर बढ़ रहा है
- गांधीनगर में देश का पहला और दुनिया का तीसरे नंबर का बुलियन एक्सचेंज