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बाल यौन शोषण के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई: क्या है ऑपरेशन 'मेघा चक्र'?

इंटरपोल की सिंगापुर स्थित क्राइम अगेंस्ट चिल्ड्रन (सीएसी) यूनिट का इनपुट मिलने के बाद सीबीआई ने दो मामले दर्ज कर राष्ट्रीय स्तर पर ऑपरेशन 'मेघा चक्र' को अंजाम दिया. सिंगापुर स्थित इंटरपोल की सीएसी यूनिट को यह इनपुट्स न्यूजीलैंड पुलिस से मिले थे.

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Nihar Saxena
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इंटरपोल से लेकर कई देशों की पुलिस के इनपुट के बाद छापेमारी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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हाल के दिनों में भारतीय जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का यह एक बड़ा वैश्विक अभियान था, जिसे ऑपरेशन 'मेघा चक्र' नाम दिया गया. इस अभियान की सबसे पहली जरूरत थी वैश्विक स्तर पर कानून प्रवर्तन संस्थाओं का समन्वित प्रयास होना. सीबीआई ने अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और संगठित साइबर वित्तीय अपराधियों के संरक्षण में चल रहे बाल यौन शोषण (Child Abuse) के खिलाफ यह अभियान चलाया. यह ऑपरेशन बाल यौन शोषण से जुड़े ऐसे मामलों से संबंधित था जहां पीड़ित से लेकर आरोपी, संदिग्ध लोगों समेत साजिशकर्ता वैश्विक स्तर पर अलग-अलग न्यायिक क्षेत्र के थे. ऐसे में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों की कानून प्रवर्तन संस्थाओं के समन्वित प्रयास के बाद सीबीआई ने शनिवार को ऑपरेशन 'मेघा चक्र' के तहत देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 59 स्थानों पर छापेमारी की. संभवतः इसी वजह से इस आपरेशन को बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन प्रसार की सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक करार दिया जा रहा है.

इंटरपोल को न्यूजीलैंड से मिली थी जानकारी
इंटरपोल की सिंगापुर स्थित क्राइम अगेंस्ट चिल्ड्रन (सीएसी) यूनिट का इनपुट मिलने के बाद सीबीआई ने दो मामले दर्ज कर राष्ट्रीय स्तर पर ऑपरेशन 'मेघा चक्र' को अंजाम दिया. सिंगापुर स्थित इंटरपोल की सीएसी यूनिट को यह इनपुट्स न्यूजीलैंड पुलिस से मिले थे. सीबीआई ने इस छापेमारी में 50 संदिग्धों से मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसे तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए. ऑपरेशन 'मेघा चक्र' के तहत छापेमारी के बाद सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि क्लॉउड स्टोरेज के जरिये बाल यौन शोषण सामग्री के वितरण, डाउनलोडिंग और सर्कुलेशन से कई भारतीयो के तार भी जुड़े हुए हैं. सीबीआई के बयान के मुताबिक न्यूजीलैंड की कानून प्रवर्तन संस्था से इंटरपोल को मिली और फिर सीबीआई तक पहुंची जानकारी का सीबीआई के अधिकारियों ने पहले विश्लेषण किया. इस विश्लेषण के आधार पर संदिग्धों की पहचान की गई और उनके बारे में आगे जानकारी बढ़ाई गई. देश भर में 50 संदिग्धों की जांच की जा रही है. सीबीआई सभी संदिग्धों से उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिली अवैध सामग्री पर पूछताछ कर रही है. संदिग्धों से पूछताछ के बाद मिली जानकारी के आधार पर बाद में पीड़ितों और दुराचारियों की पहचान की जाएगी. 

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ऑपरेशन 'मेघा चक्र' ही नाम क्यों
सीबीआई के इस ऑपरेशन का नाम वास्तव में क्लॉउड स्टोरेज से लिया गया, जिसके जरिये बाल यौन शोषण सामग्री का ऑनलाइन प्रसार और वितरण किया जाता था. इस तरह सीबीआई ने इस ऑपरेशन को 'मेघा चक्र' नाम दिया. छापेमारी में सीबीआई की पकड़ में बाल यौन शोषण सामग्री के तमाम पेडलर्स आए हैं. गौरतलब है कि सीबीआई साइबर अपराध इकाई स्थापित करने वाली पहली प्रवर्तन एजेंसी भी है. प्रारंभिक छानबीन में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बड़ी मात्रा में बाल यौन शोषण सामग्री मिली है. इस तरह देखें तो ऑपरेशन के तहत भारत की कानून प्रवर्तन संस्था ने इंटरपोल के जरिये वैश्विक स्तर पर संस्थाओं के समन्वय से कार्रवाई की. संगठित साइबर अपराध के जरिये ऑनलाइन बाल यौन शोषण पर लगाम लगाने के लिए लिहाज से सीबीआई का यह ऑपरेशन बहुत बड़ी सफलता है, जिसकी चपेट में अभी और भी तमाम लोग आने वाले हैं. 

HIGHLIGHTS

  • बाल यौन शोषण सामग्री के खिलाफ सीबीआई का देश भर में बड़ा ऑपरेशन
  • क्लॉउड स्टोरेज के आधार पर ऑपरेशन को नाम दिया गया 'मेघा चक्र'
  • सीबीआई ने सिंगापुर इंटरपोल से मिली जानकारी के आधार पर की छापेमारी
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