लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis ) की बीमारी जानलेवा हो सकती है. इसके इलाज में ट्रांसप्लांट के विकल्प के तौर पर स्टेम सेल थेरेपी (Stem Cell Therapy) ने करिश्माई असर दिखाया है. मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसी लाइलाज बीमारियों में राहत देने के लिए स्टेम सेल थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है. इस थेरेपी के लिए बोन मैरो से सेल लिए जाते हैं. फिर उन्हें वहां ट्रांसप्लांट किया जाता है जिस हिस्से में परेशानी हो. इस थेरेपी के बाद नए और हेल्दी सेल बनने लगते हैं. इससे बीमारी में राहत मिलती है.
आइए, जानते हैं कि लीवर सिरोसिस की बीमारी क्या है? साथ ही इस बीमारी के इलाज में स्टेम सेल थेरेपी कैसे काम करता है. इस थेरेपी के लिए कैसे स्टेम सेल दान किया जाता है. इसके अलावा इस थेरेपी का इस्तेमाल कितना कारगर होता है और किन दूसरी बीमारियों के इलाज में भी इसे आजमाया जा सकता है.
लीवर सिरोसिस की बीमारी क्या है
लीवर सिरोसिस का मतलब है कि स्कार टिश्यू धीरे-धीरे हेल्दी लीवर सेल (Healthy Liver Cells) को बदल देता है. यह आमतौर पर किसी संक्रमण या लंबे समय तक शराब की लत (Alcohol Addiction) के कारण होता है. लीवर डैमेज (Liver Damage) को ठीक नहीं करने पर बीमारी जनलेवा हो जाती है. ज्यादा शराब पीने से लिवर फेल होने के बाद मरीज की जान बचाने के लिए अभी तक सिर्फ ट्रांसप्लांट का ही विकल्प था. इसके लिए डोनर की भी तलाश करनी पड़ती थी. एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर साल 60 हजार लोग लीवर डैमेज होने से मरते हैं. सिर्फ एक हजार लोग ही लीवर ट्रांसप्लांट कराने में सफल रहते हैं.
क्या होता है स्टेम सेल
स्टेम सेल (Stem Cell) या मूल कोशिका में शरीर के किसी भी अंग को विकसित करने की क्षमता होती है. इसके साथ ही ये खुद को शरीर की दूसरी कोशिका के रूप में भी ढाल सकती हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इन कोशिकाओं को शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. कोशिकाओं की बीमारियों के इलाज के लिए इन्हें लैब में भी विकसित किया जा सकता है.
अभी तक दो तरह की स्टेम कोशिकाओं एम्ब्रयोनिक या भ्रूण कोशिका और अडल्ट पर ही रिसर्च की जा रही है. जब बच्चा पेट में बन रहा होता है उसी समय भ्रूण स्टेम सेल निकाल ली जाती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे अनैतिक माना जा रहा है. वहीं, वयस्क स्टेम सेल से खास तरह की कोशिकाएं ही विकसित की जा सकती हैं. इनकी संख्या बहुत कम होती है.
स्टेम सेल थेरेपी क्या है
सात साल की रिसर्च के बाद डॉक्टर्स ने लीवर ट्रांसप्लांट का विकल्प तलाश लिया है. स्टेम सेल थेरेपी की मदद से डैमेज लीवर ठीक हो जाएगा. इस इंजेक्शन थेरेपी को में ग्रेनुलोकाइट-कोलोनी स्टिम्युलेटिंग फैक्टर ( G-CSF) नाम दिया गया है. इस थेरेपी में मरीज के बोन मैरो के 12 घंटे के बाद पांच डोज दिए जाते हैं. इससे बोन मैरो में स्टेम सेल तेजी से बनने लगते हैं. रक्त में इनकी संख्या बढ़ती है और ये लिवर के डैमेज हिस्से में जमा हो जाते हैं. इस तरह तीन महीने में सकारात्मक नतीजे मिलने लगते हैं और लीवर स्वस्थ हो जाता है. इस रिसर्च का सक्सेस रेट 78 फीसदी रहा है.
स्टेम सेल डोनेशन के बारे में जानें
अपने स्टेम सेल दान करने के लिए सबसे पहले बतौर डोनर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. कम से कम 18 और ज्यादा से ज्यादा 50 साल तक की उम्र के लोग स्टेम सेल दाता बन सकते हैं. इससे पहले पूरी डॉक्टरी जांच भी होती हैं. एक स्वैब किट से स्टेम सेल की जांच होती है. जरूरतमंद के सैंपल से मैच होने पर ही स्टेम सेल दान किया जा सकता है. ये बिलकुल रक्तदान की तरह ही होता है. स्टेम सेल सही होने की हालत में उसी से बोन मैरो लेकर दूसरी जगह प्रत्यारोपित किया जाता है. इससे रोगी का शरीर स्टेम सेल को बहुत आसानी से अपना लेता है. इलाज में इसी का फायदा मिलता है.
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लीवर के अलावा इन बीमारियों का इलाज
स्टेम सेल से कई तरह की घातक बीमारियों के इलाज में मदद मिलती है. लीवर सिरोसिस और उससे जुड़ी समस्याओं के अलावा खासतौर से ब्लड कैंसर के इलाज में इस थेरेपी का उपयोग किया जाता है. वयस्क स्टेम सेल से दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज में भी मदद मिलने की संभवना है. इसके साथ ही ब्रेन स्ट्रोक, दिमाग में किसी अंदरूनी चोट के चलते खून बहना, रीढ़ की हड्डी में चोट लगना, शरीर के किसी हिस्से में स्ट्रोक का असर होना, ऑटिज्म, पार्किंसन, मोटर नर्व से जुड़ी कोई बीमारी, मसल्स या, किडनी, ऑप्टिक न्यूरैटिस जैसे रोगों में भी स्टेम सेल थेरेपी से आराम मिलता है.
HIGHLIGHTS
- देश में हर साल 60 हजार लोग लीवर डैमेज होने से मरते हैं
- एम्ब्रयोनिक या भ्रूण कोशिका और अडल्ट पर रिसर्च जारी है
- अब स्टेम सेल थेरेपी की मदद से डैमेज लीवर ठीक हो जाएगा