आपका बच्चा ऑटिज्म पीड़ित तो नहीं... बचपन में ही ध्यान दे इन लक्षणों पर

ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को बोलने में जबर्दस्त समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्हें भाषा ही समझ में नहीं आती और वे अक्सर अपने हाव-भाव से अपनी बात सामने वाले को समझा पाते हैं.

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Nihar Saxena
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Autism

ऑटिज्म एक लाइलाज बीमारी है, जिसके लक्षण नवजात अवस्था में दिखते हैं.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में बच्चा किसी चीज को पहचानने में नाकाम रहता है और उसे सामान्य बातें समझने में भी कठिनाई आती है. ऑटिज्म एक लाइलाज बीमारी है, जो कई कारणों से किसी बच्चे में हो सकती है. यह बच्चे के मस्तिष्क में असामानता की वजह से उसकी मानसिक विकास प्रक्रिया को बाधित करती है. दूसरे शब्दों में कहें तो ऑटिज्म (Autism) को मस्तिष्क की विकलांगता करार दिया जा सकता है. साल भर के होते-होते बच्चे में ऑटिज्म के लक्षण  साफ-साफ दिखाई देने लगते हैं. ऑटिज्म पीड़ित बच्चे के जीवन जीने, समझने और बोलने की एक खास शैली होती है, जिसे बतौर लक्षण (Symptoms) पहचाना बेहद आसान है. ऑटिज्म की वजह से बच्चों को अपनी भावनाएं (Emotions) व्यक्त करने में परेशानी आती है और उनके लिए किसी दूसरे की भावनाओं को समझना भी आसान नहीं होता. ऐसे बच्चे आंख से आंख मिलाकर बात नहीं करते यानी वे परस्पर बातचीत में आई कांटेक्ट (Eye Contacts) से बचते हैं. इसके अलावा 9 महीने की उम्र के हो जाने के बावजूद उनका नाम पुकारे जाने पर किसी किस्म की कोई प्रतिक्रिया नहीं देते. 

शुरुआत में ही दिखाई पड़ने लगते हैं ऑटिज्म के लक्षण
ऑटिज्म के कुछ खास लक्षण होते हैं, जिन्हें पहचान कर शुरुआती दौर में इस बीमारी की पहचान की जा सकती है. वैरीवेल फैमिली के अनुसार ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को किसी दूसरे के साथ संवाद करने में जबर्दस्त कठिनाई होती है. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को बोलने में जबर्दस्त समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्हें भाषा ही समझ में नहीं आती और वे अक्सर अपने हाव-भाव से अपनी बात सामने वाले को समझा पाते हैं. अगर बच्चा ऑटिज्म पीड़ित है तो पांच साल से कम उम्र में ही यह लक्षण साफ परिलक्षित होते हैं. यही नहीं, ऑटिज्म पीड़ित बच्चे खिलौनों के साथ भी सामान्य बच्चों की तुलना में अलग तरीके से खेलते हैं. वे एक ही बात या काम को बार-बार दोहराते हैं और किसी भी बात या काम से जल्द ही बोर हो जाते हैं. यह एक बड़ी वजह है कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चा दूसरे सामान्य बच्चों के साथ असहज महसूस करता है. 

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जुनूनी हो जाते हैं ऑटिज्म पीड़ित बच्चे
ऑटिज्म पीड़ित बच्चों में किसी चीज को पहचानने में परेशानी होती है. वह सूंघ कर, छू कर या देख कर ही चीजों की पहचान कर पाते हैं. यही वजह है कि वह अपनी इंद्रियों के बल पर जैसा देखते या महसूस करते हैं, उसके अनुरूप वैसी ही प्रतिक्रिया देते हैं. ऑटिज्म पीड़त बच्चों को सोने के दौरान भी समस्या होती है. इस तरह के बच्चों का ज्यादातर अनिद्रा की बीमारी भी होती है. इस वजह से उनकी सीखने की क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यही नहीं, ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को चढ़ने, कूदने या अन्य शारीरिक गतिविधियों को अंजाम देने में भी समस्या आती है. ऑटिज्म पीड़ित बच्चे छोटी-छोटी बातों से अपसेट हो जाते हैं और रुचियों या पसंदीदा बातों को लेकर हद दर्जे तक जुनूनी हो जाते हैं. ऑटिज्म पीड़ित बच्चे अति सक्रिय, आवेगी होने अलावा व्यवहार में किसी भी चीज या बात पर ध्यान नहीं देते. 

HIGHLIGHTS

  • ऑटिज्म के लक्षण बच्चे के 9 महीने होने तक ही साफ हो जाते हैं
  • ऑटिज्म एक लाइलाज बीमारी है, जिसके कई कारण हो सकते हैं
  • दूसरो की भावनाएं समझ नहीं पाते और अपनी समझा नहीं पाते
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