Lebanon Pager Explosion: पिछले 48 घंटे से आतंकी संगठन हिजबुल्लाह इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से बेहाल है. पेपर-टॉकी वॉकी में धमाकों से हिजबुल्लाह की मांद में हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक, लेबनान में इन धमाकों के लिए ऑपरेशन 'बिलो द बेल्ट' नाम दिया गया था. साथ ही हमले में इस्तेमाल कम्युनिकेशन गैजेट्स का चीन कनेक्शन भी सामने आ रहा है तो क्या रही ऑपरेशन 'बिलो द बेल्ट' की मॉडस ऑपरेंडी. आइए जानते हैं.
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ऑपरेशन 'बिलो द बेल्ट'
लेबनान में हुए सीरियल धमाकों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. पेजर धमाकों के लिए ऑपरेशन 'बिलो द बेल्ट' नाम दिया गया था. इस नाम के पीछे भी एक बड़ा मकसद था. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पेजर ज्यादातर लोगों की जेब में रहता है. ऐसे में मकसद यही था कि विस्फोट के समय ये पेजर कमर के नीचे जेब में ही ब्लास्ट करेगा, जिससे शरीर के निचले हिस्से और आंखें सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हो सके.
एक इंग्लिश वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑपरेशन 'बिलो द बेल्ट' को अंजाम देने के लिए खास मॉडल के पेजर और वॉकी-टॉकी को (Lebanon Pager Attack) इस्तेमाल किया गया. 17 सितंबर को हुए पेजर प्रहार में मॉडल नंबर AP-924 इस्तेमाल किया गया था. वहीं 18 सितंबर को हुए धमाकों में IC-V82 मॉडल के वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल हुआ. ये दोनों कम्युनिकेशन डिवाइस पांच महीने पहले खरीदे गए थे. AP924 मॉडल के पेजर ताइवानी कंपनी गोल्ड अपोलो बनाती है. वहीं IC-V82 वॉकी-टॉकी मॉडल जापानी कंपनी ICOM बनाती है.
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लेबनान कैसे भेजे गए पेजर?
पेजर बनाने वाली कंपनी गोल्ड अपोलो के मुताबिक, लेबनान सप्लाई हुए पेजर को हंगरी की कंपनी BAC-KFT ने सप्लाई किया था. वहीं IC-V82 मॉडल के वॉकी-टॉकी बनाने वाली कंपनी ICOM का दावा है कि उसने इस मॉडल का प्रोडक्शन दस साल पहले ही बंद कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लेबनान भेजे गए पेजर और वॉकी-टॉकी (
लेबनान में कथित तौर पर पेजर सप्लाई करने वाली कंपनी BAC-KFT की CEO क्रिस्टियाना बार्सोनी की. चौंकाने वाली बात ये है कि जिस BAC कंपनी का ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी से करार का दावा किया जा रहा है, उसकी CEO क्रिस्टियाना बार्सोनी ने लेबनान में पेजर सप्लाई से इनकार कर दिया है.
2022 से लेबनान भेजे जा रहे थे पेजर
एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने शेल कंपनी के जरिए विस्फोटक वॉकी-टॉकी और पेजर बनवाए. हंगरी की BAC कंपनी के पास पेजर बनाने का लाइसेंस था. ताइवानी कंपनी गोल्ड अपोलो के जरिए BAC को ठेका मिला था. गोल्ड अपोलो इजरायली फ्रंट कंपनी है. वॉकी-टॉकी, पेजर बनाने वाले लोगों की पहचान छिपाने के लिए 2 कंपनियां बनाई गईं. वॉकी-टॉकी और पेजर को 2022 से लेबनान भेजा जाना शुरू किया गया.
क्या चीन से की गई पेजर की सप्लाई?
लेबनान में पेजर सप्लाई को लेकर दावा है कि एक शेल कंपनी के जरिए ये सारा प्लान रचा गया. बुडापेस्ट में पेजर सप्लायर कंपनी BAC-KFT का जो पता दस्तावेजों में दर्ज है, वहां इस नाम की कोई कंपनी मौजूद ही नहीं है. इस एड्रेस के आसपास रहने वाले लोगों ने भी ऐसी किसी कंपनी की मौजूदगी से इनकार किया है, तो क्या शेल कंपनी वाला दावा सही है. ऐसे में सवाल उठ रहे है कि क्या चीन से इन पेजर की सप्लाई की गई, जो बिचौलिए के जरिए लेबनान पहुंचाए गए क्योंकि वॉकी-टॉकी के मामले में चीन का कनेक्शन साफ दिख रहा है.
ब्लास्ट में इस्तेमाल टॉकी-वॉकी डुप्लीकेट
IC-V82 मॉडल के वॉकी-टॉकी बनाने वाली जापानी कंपनी ICOM के मुताबिक जिन वॉकी-टॉकी सेट में ब्लास्ट हुए हैं वो उनकी कंपनी के बनाए नहीं है. ICOM के अधिकारी के मुताबिक लेबनान में जिन वॉकी-टॉकी में धमाके हुए हैं वो जेनुइन IC-V82 मॉडल नहीं है. ICOM के मुताबिक IC-V82 मॉडल के वॉकी टॉकी के हर सेट में एक सिक्योरिटी कोड होता है. वहीं बेरूत धमाके में जो वॉकी-टॉकी ब्लास्ट हुए हैं वो IC-V82 का डुप्लीकेट मॉडल हैं.
चीन का कनेक्शन?
ऐसे में सवाल उठता है कि जापानी कंपनी ICOM के नाम पर उसके मशहूर वॉकी-टॉकी मॉडल IC-V82 को किसने लेबनान में सप्लाई किया. क्या इसमें बिचौलिये शामिल हैं. क्या इन्हीं मिडिल मैन ने वॉकी-टॉकी से लेकर पेजर तक में विस्फोटक फिट कर दिए. इन सवालों का जवाब चीन तक जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, जापानी कंपनी ICOM का दावा है कि ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर मेड इन चाइना IC-V82 टॉकी-वॉकी मॉडल धडल्ले से बेचे जा रहे हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने जापानी कंपनी ICOM के हवाले से दावा किया है कि चाईनीज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ताओबाओ और JD.COM पर डुप्लीकेट IC-V82 वॉकी-टॉकी धडल्ले से बेचे जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शेल कंपनियों के जरिए चीन के बाजार से पेजर और वॉकी-टॉकी खरीदे गए और फिर इनमें विस्फोट फिट कर, बिचौलियों के जरिए लेबनान सप्लाई कर दिए गए. बेरूत से लेकर बीजिंग तक इन सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं.
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