India New Law Bill: दिल्ली से चेन्नई सफर पर निकले किसी शख्स के साथ अगर बीच रास्ते में कोई अपराध होता है तो उसे या सफर छोड़ना पड़ता है या चेन्नई से लौटकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होती है. संसद में शुक्रवार को पेश किए गए नए कानून बिलों (New Law Bill) को मंजूरी मिलने के बाद ऐसा नहीं होगा. शख्स के साथ चाहे किसी भी थाना क्षेत्र में अपराध हुआ हो वो देश के किसी भी कोने में मामला दर्ज करा सकेगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में एक साथ भारत न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल पेश किए. ये बिल आईपीसी 1860, क्रिमिनल प्रॉसिजर कोड 1898 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह लेंगे. खास बात ये है कि नए अधिनियमों में कुछ धाराएं कम की गई हैं, लेकिन कुछ कानूनों को और सख्त किया गया है. तो चलिए 10 बिंदुओं में समझते हैं इन बदलावों के बारे में
जीरो एफआईआर
अक्सर ये देखा जाता है कि यदि आप किसी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए गए तो थाना पुलिस साफ कह देती है कि जहां अपराध हुआ वो क्षेत्र हमारे दायरे में नहीं आता है. संसद में पेश किए गए नए विधेयक के लागू होने के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा. कोई भी व्यक्ति कहीं भी एफआईआर करा सकेगा. इसके अलावा इसमें ई-एफआईआर को भी जोड़ा जा रहा है, यानी की पीड़ित को थाने आने की भी जरूरत नहीं वो कहीं से भी मामला दर्ज करा सकेगा. खास बात ये है कि जीरो एफआईआर को 15 दिन के अंदर ही संबंधित थाने में भेजना होगा.
परिवार को दोनी होगी सूचना
कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं कि पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में ले लेती है, लेकिन उसके परिवार के पास इसकी सूचना ही नहीं होती. नया बिल लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा, पुलिस किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेगी या गिरफ्तार करेगी तो उसके परिवार को लिखित में सूचना देनी होगी.
तेज होगी प्रक्रिया
किसी भी अपराध में एफआईआर लिखने के बाद पुलिस सबसे ज्यादा आनाकानी चार्जशीट दाखिल करने में करती है. नए बिल में इसकी सीमा 90 दिन तय की गई है, पुरानी व्यवस्था में भी इतने ही दिन की समय सीमा थी, लेकिन इसे बढ़वा लिया जाता था. नए बिल में कोर्ट के आदेश के बाद इसे 90 दिन के लिए और बढ़ाया जा सकता है, इस सीमा में चार्जशीट दाखिल करनी ही होगी. यदि किसी आरोपी पर अपराध साबित हो जाता है तो कोर्ट को अधिकतम 30 दिन के अंदर सजा सुनानी होगी.
मिलेगी सख्त सजा
नए बिल में सजा को और सख्त किया गया है. घोषित अपराधियों की संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है, यदि कोई संगठित अपराधी है तो उसे भी सख्त सजा दी जाएगी. पहचान छिपाकर किसी का यौन शोषण करना अपराध की श्रेणी में आएगा और गैंगरेप के आरोपियों को 20 साल या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाएगी.
धारा 377 समाप्त
अप्राकृतिक यौन अपराध (UNNATURAL SEXUAL OFFENCES) धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है.
मौत की सजा
नए बिल में 18 साल से कम उम्र की बच्चियों का यौन शोषण करने वालों के खिलाफ भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. ऐसे व्यक्ति पर अपराध सिद्ध होने पर उसे मौत की सजा सुनाई जाएगी.
नया चैप्टर शामिल
रेप पीड़िता की पहचान को बचाने के लिए नया कानून बनाया गया है. बच्चों के विरुद्ध अपराधों के लिए नया चैप्टर शामिल किया गया है.
मॉब लिंचिंग में भी मौत की सजा
लोकसभा में पेश किए गए नए बिलों में मॉब लिंचिंग को हत्या से जोड़ा गया है, इसमें 5 या उससे अधिक लोगों का एक समूह यदि किसी व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर किसी की हत्या करता है तो उसे कम से कम 7 साल और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जाएगी.
आरोपी की अनुपस्थिति में भी चलेगा ट्रायल
नए बिल में जो सबसे खास प्रावधान किया गया है वो ये है कि अब आरोपी की अनुपस्थिति में भी ट्रायल प्रभावित नहीं होगा. यदि कोई आरोपी ट्रायल में मौजूद नहीं रहता है तो न्यायाधीश नियमों के मुताबिक उसे भगौड़ा घोषित कर ट्रायल को जारी रख सकते हैं और सजा भी सुना सकेंगे.
कोर्ट देगा कुर्की का आदेश
नए बिल को मंजूरी मिलने के बाद किसी भी मामले में पुलिस दोषी की संपत्ति कुर्क नहीं कर सकेगी, ये कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर होगी. यदि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज होगा तो 120 दिन के अंदर उस पर मुकदमा चलाने की अनुमति देनी होगी.
HIGHLIGHTS
- आपराधिक न्याय प्रणाली में होगा बदलाव.
- आरोपी की अनुपस्थिति में भी चलेगा ट्रायल.
- मॉब लिंचिंग में मौत की सजा.
Source : News Nation Bureau