Lok Sabha Chunav 2024: महाराष्ट्र में पांचवें और आखिरी चरण की वोटिंग 20 मई को होनी है. अभी तक हुए हर फेज में यहां वोटिंग 50 फीसदी से अधिक रही है. शिवसेना और एनसीपी में हुए विभाजनों के बाद से प्रदेश के सियासी समीकरण बदले हुए हैं. जिसके चलते यहां में एक अलग ही राजनीतिक मंथन देखने को मिल रहा है. यही वजह है यहां 2024 का चुनाव जटिल और दिलचस्प हो गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि बदले हुए सियासी समीकरणों के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra Politics) में बीजेपी की परफॉर्मेंस कैसी रहेगी. उसकी सीटें कम होंगी या ज्यादा आएंगीं. इसे हम समझने की कोशिश करेंगे, लेकिन उससे पहले प्रदेश की सियासत में उसकी भूमिका को देख लेते हैं.
महाराष्ट्र की सियासत में है BJP का दबदबा
2014 से देखें तो प्रदेश की सियासत में बीजेपी का कद लगातार बढ़ा है. 2014 में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस चीफ मिनिस्टर बने. उन्होंने पूरे 5 साल सरकार चलाई. 2019 में बीजेपी ने फिर एक बार शिवसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनावों लड़ा और बहुमत हासिल किया. हालांकि, सीएम पद की चाहत में शिवसेना ने अलायंस से अलग हो गई. उसने कांग्रेस और एनसीपी के सपोर्ट से सरकार बना ली. 2022 में प्रदेश की सियासत ने फिर नया मोड़ लिया. शिवसेना को आतंरिक विभाजन का सामना करना पड़ा और वह दो फाड़ हो गई. इस तरह 2 साल 2014 दिन के बाद उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. विभाजन के बाद शिवसेना (उद्धव गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) में बंट गई. इसके बाद शिंदे गुट वाली शिवसेना ने बीजेपी से हाथ मिलाकर सरकार बना ली. उधर, विपक्षी दल एनसीपी में आतंरिक कलह तेज था. शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते एनसीपी छोड़ दी. इस तरह एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और एनसीपी (अजित पवार) दो गुटों में बंट गई. अजीत पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट बीजेपी नेतृत्व वाले अलायंस एनडीए में शामिल हो गया. कहा जाता है कि इस सब सियासी उठापटक के केंद्र में कहीं न कहीं बीजेपी ही थी.
महाराष्ट्र के चुनावी रण में कौन-कौन?
महाराष्ट्र में सियासी दलों के बीच जबरदस्त फाइट देखने को मिल रही है. इस बार मुख्य मुकाबला एनडीए गठबंधन और INDIA गठबंधन के बीच है. महाराष्ट्र में इन दोनों गठबंधनों में कौन-कौन से दल शामिल हैं. आइए जानते हैं 2024 में इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच सीट शेयरिंग पर क्या बात बनी.
वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी राज्य की 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इनके अलावा वंचित बहुजन अघाड़ी, स्वाभिमानी पक्ष, बहुजन विकास आघाड़ी और बसपा भी महाराष्ट्र के चुनाव रण में हैं.
महाराष्ट्र में बीजेपी का चुनावी परफॉर्मेंस
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उसका वोट शेयर और सीट शेयर क्रमशः 27.8 फीसदी और 42.4 फीसदी रहा था. बाकी तीनों पार्टियों में से कोई भी बीजेपी के नजदीक नहीं था. नीचे लिस्ट में आप देख सकते हैं कि तब बीजेपी का जनाधार प्रदेश में तो देखा गया. हालांकि यह सभी क्षेत्रों में एक जैसा नहीं था.
वहीं, 2014 की तुलना में 2019 के विधानसभा चुनावों के बीच कोंकण और मराठवाड़ा क्षेत्रों में बीजेपी और शिवसेना की कुल संयुक्त सीट संख्या में बढ़ोत्तरी हुई. लेकिन विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्रों में कांग्रेस और एनसीपी की बढ़त के कारण बीजेपी-शिवसेना की कुल सीटों की संख्या 185 से गिरकर 161 रह गई. इससे समझा जा सकता है कि तब कांग्रेस-एनसीपी के साथ आने से बीजेपी-शिवसेना की सीटें कम हुई थीं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना का संयुक्त सीट शेयर
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें
2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 51.34 फीसदी वोटों के साथ एनडीए गठबंधन के खाते में 41 आईं. यूपीए गठबंधन को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थीं. उसको 32.07 फीसदी वोट मिले थे. जबकि एआईएमआईएम और वीबीए गठबंधन को एक सीट मिली थी. अगर पार्टीवार आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी ने लड़ी हुई 25 सीटों में से 23 सीटें और 27.84 फीसदी वोट हासिल किए थे. वहीं शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे 18 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी को 23.5 फीसदी वोट मिले थे. एनसीपी को 4 सीटें और 15.66% वोट और कांग्रेस को लड़ी हुई 25 सीटों में से 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस का वोट शेयर 16.41% था. वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 24 सीटों पर लड़ी थी, जिनमें से उसने 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इन आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का परफॉर्मेंस एक जैसा ही रहा.
शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के बाद महाराष्ट्र में कोई चुनाव नहीं हुआ है. ऐसे में एनसीपी और शिवसेना गुटों में से कौन ज्यादा लोकप्रिय है. उनके अलायंस पाटर्नर्स को उनके साथ क्या फायदा होगा. इस सब का बीजेपी की परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ेगा. उसकी सीटें बढ़ेंगी या घटेंगीं. यह राजनीतिक विश्लेषकों के लिए अनुमान लगा पाना आसान नहीं रह गया है. बीजेपी की सीटों में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
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Source : News Nation Bureau