Lok Sabha Election 2024: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है. हार्ट लैंड पर कब्जे के साथ ही बीजेपी ने अपने तेवर साफ कर दिए हैं कि आने वाला लोकसभा चुनाव 2024 भी इसी अंदाज में फतह किया जाएगा. प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के हाथ से दो राज्यों को छीनकर अपनी झोली में डालना इतना आसान काम नहीं था. शुरू से यहां टक्कर कड़ी बताई जा रही थी, लेकिन ब्रांड मोदी और पार्टी के संकल्प पत्रों ने जनता एक बार फिर भरोसा दिलाया और बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन कर दिखाया. बहरहाल इन तीनों ही राज्यों में जीत के बाद बीजेपी ने प्रदेश कमान जिन हाथों में सौंपी उनके बारे में किसी ने सोचा नहीं था.
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, मध्य प्रदेश में मोहन यादव और राजस्थान भजनलाल शर्मा को प्रदेश का मुखिया घोषित किया है. बीजेपी के इन तीनों सोल्जरों ने अपने-अपने प्रदेश की कमान भी संभाल ली है और एक्शन मोड में भी नजर आ रहे हैं. लेकिन इन तीनों के जरिए बीजेपी की सीधी नजर आगामी लोकसभा चुनाव की 250 सीटों पर हैं. बीजेपी अपने दांव में सफल होती है तो इस बार का लोकसभा चुनाव ना सिर्फ बीजेपी बल्कि देश के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है. आइए समझते हैं इन 250 सीटों को लेकर बीजेपी का गणित.
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तीन राज्यों से साधी दो तिहाई सीटें
भारतीय जनता पार्टी ने तीन विधानसभा चुनाव जीतकर अपनी आगामी रणनीति को भी धार दे डाली है. दरअसल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुखिया चुनकर बीजेपी ने ना सिर्फ इन तीन राज्यों की लोकसभा सीटों बल्कि इनसे जुड़े राज्यों को भी साध लिया है. इनमें महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और ओडिशा प्रमुख रूप से शामिल है. इन राज्यों को साधने के लिए बीजेपी ने अपना जातिगत समीकरण बैठाया है.
ऐसे BJP ने चली सधी हुई चाल
तीन राज्यों के मुखियाओं का चयन इतना आसान नहीं था. लोग भले ही इसको लेकर सवाल उठाए लेकिन बीजेपी ने इसके जरिए एक सधी हुई चाल चली है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के तौर पर विष्णुदेव साय को कमान सौंपी है. साय ओबीसी का चेहरा है. यही नहीं जिस इलाके से वह आते हैं वो आदिवासी बहुल इलाका है. यहां पर बीजेपी को बंपर वोट भी मिले हैं. एक तरफ देश की राष्ट्रपति आदिवासी हैं तो दूसरी तरफ सीएम बनाने में भी बीजेपी ने इस बात का ध्यान रखा है.
इससे देशभर के आदिवासी वोटों को कन्वर्ट करने में भी मदद मिलेगी. छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड में आदिवासी सीटों की संख्या करीब 75 है, जो बीजेपी लोकसभा में 400 पार के आंकड़े को पुख्ता में बड़ा रोल निभा सकती है.
इसी तरह राजस्थान में भी भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्रण उम्मीदवार के रूप में भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर ब्राह्मण वोट अपने नाम किए हैं. राजस्थान के अलावा, यूपी, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र में भी ब्राह्मण वोटों की संख्या खासी है. इन राज्यों में ब्राह्रण या जनरल सीटों की संख्या 120 के करीब है. लिहाजा बीजेपी के लिए भजनलाल जनरल वोटों को कनवर्ट करने में बड़ा रोल निभा सकते हैं.
वो राज्य जहां भारतीय जनता पार्टी ने एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के जरिए साधा निशाना |
राज्य | कुल लोकसभा सीट | बीजेपी के पास |
मध्य प्रदेश | 29 | 28 |
राजस्थान | 25 | 24 |
छत्तीसगढ़ | 11 | 09 |
उत्तर प्रदेश | 80 | 62 |
हरियाणा | 10 | 10 |
बिहार | 40 | 17 |
ओडिशा | 21 | 8 |
महाराष्ट्र | 48 | 23 |
मध्य प्रदेश में एक तीर से तीन निशाने
बीजेपी ने मध्य प्रदेश में राज्य की कमान सौंपने के साथ ही एक तीर से तीन निशाने लगाए हैं. दरअसल यहां पर सीएम मोहन यादव को बनाया है जो ओबीसी समुदाय से आते हैं, वहीं दो डिप्टी सीएम हैं. पहला जगदीश देवड़ा जो दलित समाज से हैं, जबकि तीसरे राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण समुदाय से जुड़े हैं. ऐसे में प्रदेश की जिम्मेदारी के साथ इन तीनों ही समुदाय पर पैठ बनाने की कोशिश की गई है.
बता दें कि यादव को सीएम बनाकर उत्तर प्रदेश और बिहार में पकड़ मजबूत करने की कोशिश है जबकि ब्राह्मण और दलित चेहरा से भी सटे हुए राज्यों में सीधा संदेश बीजेपी ने दिया है. मकसद है किसी भी जाती का वोटर बाहर ना जाने पाए. इन राज्यों को भी मिला लिया जाएगा 70 से 80 सीटों पर बीजेपी की पकड़ निश्चित है. ऐसे में 250 ज्यादा सीटों को साधने के लिए बीजेपी का ये तीन राज्यों का मिशन सीएम कितना फायदेमंद साबित होगा ये आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजों में साफ हो जाएगा.
HIGHLIGHTS
- मिशन लोकसभा चुनाव में जुटी बीजेपी
- तीन राज्यों के जरिए दिया वोटरों को सीधा संदेश
- लोकसभा की 250 सीटों पर है बीजेपी की नजर