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'महामहिम' या 'हिज एक्सीलेंसी' नहीं, कैसे बदला राष्ट्रपति का प्रोटोकॉल

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukharjee) ने अपने कार्यकाल के दौरान 09 अक्टूबर 2012 को निजी पहल करते हुए ‘महामहिम’ या ‘हिज एक्सीलेंसी’ (Mahamahim or His Excellency) शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी.

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Keshav Kumar
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राष्ट्रपति के अभिवादन में इन शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी है( Photo Credit : News Nation)

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राष्ट्रपति चुनाव 2022 ( President Election 2022) में भारी अंतर से जीत दर्ज कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) देश की अगली राष्ट्रपति बनने वाली हैं. बधाइयों का तांता और देश भर में जश्न के बीच राष्ट्रपति का प्रोटोकॉल भी सुर्खियों में है. राष्ट्रपति के अभिवादन (Protocol For President) के दौरान आम तौर पर लोग अब भी ‘महामहिम’ या ‘हिज एक्सीलेंसी’ (Mahamahim or His Excellency) का इस्तेमाल कर लेते हैं, जबकि कई साल पहले इन शब्दों को हटा दिया गया था.

फिलहाल राष्ट्रपति के अभिवादन में इन शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukharjee) ने अपने कार्यकाल के दौरान 09 अक्टूबर 2012 को निजी पहल करते हुए इन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. उन्होंने बताया था कि 'हिज एक्सीलेंसी' और 'महामहिम' कहने की प्रथा औपनिवेशक काल से चली आ रही थी. इसके तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों के प्रोटोकॉल के अनुसार उनके अभिवादन में नाम के पहले आदरसूचक ‘हिज एक्सीलेंसी’ या ‘महामहिम’ शब्दों का इस्तेमाल किया जाता था. 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सुझाए विकल्प

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अभिवादन के अंग्रेजों के जमाने की इस प्रथा पर रोक लगा दी थी. उन्होंने बताया था कि ऐसा प्रोटोकॉल अंतरराष्ट्रीय प्रचलन में रहा है. इसीलिए ‘एक्सीलेंसी’ शब्द का इस्तेमाल सिर्फ विदेशी गणमान्य लोगों से औपचारिक मुलाकात के दौरान किया जाए. उन्होंने अभिवादन के लिए नए शब्दों के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. उन्होंने आदेश दिया था कि ऐसे अभिवादन के अवसरों पर हिंदी में ‘महामहिम’ की जगह ‘राष्ट्रपति महोदय’ का इस्तेमाल होना चाहिए. साथ ही अगर राष्ट्रपति का नाम लिया जा रहा हो तो उससे पहले परंपरागत भारतीय अभिवादन श्री या श्रीमती का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. 

मिथिला में पहली बार कहा गया 'माननीय'

प्रणब मुखर्जी ने जारी प्रोटोकॉल प्रथाओं की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया था कि 'प्रेसिडेंट' या 'गवर्नर' के लिए उससे पहले 'ऑनरेवल' या 'माननीय' शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि इन फैसलों से पहले ही मुखर्जी ने 'माननीय राष्ट्रपति' कहवाने की अनौपचारिक शुरुआत करवा दी थी. बिहार के दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी में आयोजित चौथे दीक्षांत समारोह में  3 अक्टूबर, 2012 को उनके लिए 'महामहिम' की जगह 'माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी' शब्द का पहली बार इस्तेमाल हुआ था.

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी जताया एतराज

प्रणब मुखर्जी ने इस मामले में आधिकारिक निर्देश जारी करते वक्त यह फैसला भी किया कि राष्ट्रपति सचिवालय के फाइलों की आधिकारिक नोटिंग्स में 'महामहिम' जगह 'राष्ट्रपतिजी' लिखा जाएगा. वह चाहते थे कि आजाद भारत में ज्यादा लोकतांत्रिक संबोधन अपनाया जाना चाहिए. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी ‘हिज एक्सीलेंसी’ या ‘महामहिम’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं. उन्होंने भी इन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की वकालत की थी. उन्होंने भी अपने पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने कहा था. 

HIGHLIGHTS

  • औपनिवेशक काल से 'हिज एक्सीलेंसी' और 'महामहिम' कहने की प्रथा
  • पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अंग्रेजों के जमाने की प्रथा पर रोक लगा दी
  • परंपरागत भारतीय अभिवादन श्री या श्रीमती का इस्तेमाल होना चाहिए
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