भारत को आजादी मिलने के 75 वर्ष पूरे होने पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में लाल किले से पहली बार मेक इन इंडिया के तहत पूरी तरह से स्वदेशी आर्टेलिरी गन से सलामी दी जाएगी. अभी तक स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) पर द्वितीय विश्वयुद्ध की ब्रिटिश पाउंडर-गन से ही 21 तोपों की सलामी देनेकी परंपरा थी. इस साल पहली बार ब्रिटिश पाउंडर गन के साथ एडवांस्ड टोड आर्टिलिरी गन सिस्टम (ATAGS) के प्रोटो टाइप यानी स्वदेशी होवित्जर तोपों से भी सलामी दी जाएगी. इस प्रोटो टाइप गन को खासतौर पर आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) के लिए कस्टमाइज किया गया है. मोदी सरकार (Modi Government) के मेक इन इंडिया कार्यक्रम (Make In India) की स्वदेशी होवित्जर तोप पहली खेप होगी, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन और तैयार किया है. एटीएजीएस होवित्जर दुनिया की पहली तोप है, जो 45 किमी दूर अपना लक्ष्य भेदने में सक्षम है. स्वदेशी होवित्जर स्वचालित है और आसानी से कहीं भी टो करके ले जाई जा सकती है.
एटीएजीएस है क्या
डीआरडीओ ने एटीएजीएस प्रोजेक्ट 2013 में शुरू किया था, जिसके तहत भारतीय सेना में पुरानी तोपों की जगह 155 एमएस स्वदेशी आर्टिलिरी गन को शामिल करने का उद्देश्य तय किया गया. डीआरडीओ ने इसके निर्माण के लिए दो निजी क्षेत्रों की कंपनियों टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड और भारत फोर्ज लिमिटेड का सहयोग भी लिया. स्वदेशी होवित्जर गन सिस्टम की गतिशीलता अत्यधिक है और इसे आसानी से तैनात किया जा सकता है. इसकी अन्य खूबियों में सहायक पॉवर मोड, अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम, स्वचालित कमांड और कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं. यह रात के अंधेरे में भी फायर पॉवर के गुण से सुसज्जित है.
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एटीएजीएस होवित्जर की ये खूबियां बनाती हैं खास
- स्वदेशी होवित्जर जोन 7 (अधिकतम रेंज) में बायमॉड्यूलर चार्ज सिस्टम की खूबी से भी लैस है. यह एक खास किस्म का गोला-बारूद होता है. किसी और गन सिस्टम में अभी तक यह क्षमता नहीं है.
- स्वदेशी होवित्जर के चैंबर में 25 लीटर की अधिक क्षमता है. फिलवक्त किसी भी देश की सेना में शामिल एटीएजीएस सिस्टम में यह क्षमता नहीं है.
- स्वदेशी होवित्जर को 45 किमी रेंज के लिहाज से डिजाइन और फिर तैयार किया गया. हालांकि ट्रायल के दौरान इसने 48 किमी से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्य को भी भेदने में सफलता प्राप्त की.
- भले ही स्वदेशी होवित्जर 15 अगस्त 2022 को अपना डेब्यू कर रही हो, लेकिन 2017 के गणतंत्र दिवस की परेड में इसका पहली बार प्रदर्शन किया गया था. उस समय आर्मामेंट्स एंड कॉम्बेट इंजीनियरिंग सिस्टम के महानिदेशक प्रवीण कुमार मेहता ने गर्वित शब्दों में कहा था, 'यह तोप इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि आप देश में हरसंभव विशिष्टताओं के साथ सर्वश्रेष्ठ तोपों का निर्माण कर सकते हैं जो किसी अन्य देश की इस वर्ग में निर्मित किसी भी समकालीन तोप की विशिष्टताओं से मेल खा सकती हैं.'
- एटीएजीएस 155एमएम/52 कैलिबर तोप है, जो इसे एक शक्तिशाली हथियार बनाती है. कैलिबर की लंबाई जितनी ज्यादा होगी, वह उतना ही स्थायित्व प्रदान करती है. यानी ऐसी तोप लंबी दूरी तक शत-प्रतिशत सटीकता से निशाना लगाने में सक्षम है.
- जो तोप जितनी लंबी होती है, उसे कहीं ले जाने में उतनी ही समस्या आती है. हालांकि उसके भार को आवागमन के लिहाज से अनुकूल बनाने के लिए ऑटो प्रोपल्शन मोटर का इस्तेमाल किया जाता है. एटीएजीएस का अलग-अलग स्थितियों और भू-स्थैतिक परिस्थितियों में परीक्षण किया गया. ऐसे में इसके आवागमन को लेकर भी कभी कोई परेशानी नहीं आने वाली.
- इस तरह के हथियार एक मिनट में 5 राउंड या 150 सेकंड में 10 राउंड फायर करते हैं, निरंतर लड़ाई में इसके जरिए एक घंटे में 60 राउंड फायर किए जा सकते हैं.
- इन खूबियों की वजह से एटीएजीएस भारतीय तोपखाने का केंद्रीय आधार बन सकती है. स्वदेशी तोप होने का एक बड़ा फायदा यह भी है कि किसी तरह की मरम्मत या खास परिस्थितियों के लिए बदलाव देश में ही संभव होगा. इससे अतिरिक्त समय और खर्च की भी बचत होगी.
HIGHLIGHTS
- आजादी के अमृत महोत्सव पर्व पर ब्रिटिश पाउंडर गन संग लाल किले से सलामी देगी स्वदेशी होवित्जर
- इसे मेक इन इंडिया के तहत डीआरडीओ ने तैयार किया, जो भारतीय तोपखाने के लिए बनेगी गेमचेंजर
- इसकी खूबियां इतनी हैं, जो फिलवक्त किसी भी देश की एटीएजीएस गन सिस्टम में कतई नहीं हैं