Manipur: मणिपुर जातीय हिंसा के दर्द से उभर नहीं पा रहा है. प्रदेश में एक बार फिर भीषण हिंसा की जद में है. ये हिंसा एक नदी किनारे मिली 6 लाशों के बाद भड़की है. जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनकी चित्कार हर तरफ गूंज रही है, जो सुनने वाले लोगों के कलेजा का फाड़ रही है. मणिपुर के ताजा हालातों ने कई सवालों को जन्म दिया है. मसलन- आखिर कब थमेगा मणिपुरी लोगों के आंसुओं का सैलाब, मणिपुर में एक बार फिर हिंसा कैसे भड़की और ये हिंसा की आग मणिपुर में कब बुझेगी.
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मणिपुर में फिर कैसे भड़की हिंसा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक शरणार्थी शिवर से मैतई समुदाय के 6 लोग लापता हुए थे. इन सभी लोगों को कथित रूप से कुकी समुदाय के उग्रवादियों ने अगवा कर लिया था. इसके बाद इन सभी लोगों को शव एक नदी के पास बरामद हुए थे. मारे गए लोगों में एक 8 महीने का बच्चा भी शामिल था. जिस किसी को इस घटना के बारे में पता वो हैरान रह गया. इसके बाद प्रदर्शनकारियों में जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला. उन्होंने मणिपुर के कई इलाकों में जमकर बवाल मचाया. कई जगह हिंसक घटनाएं और आगजनी देखने को मिली.
प्रदर्शनकारियों ने CM आवास पर बोला धावा
प्रदर्शनकारियों ने देर रात राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेंद्र सिंह के निजी आवास में घुसने की कोशिश की जिससे हिंसा प्रभावित राज्य में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच एक और बड़ी झड़प हो गई. पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री एन वीरेंद्र सिंह के दामाद समेत कुछ विधायकों के घरों में तोड़फोड़ भी की और उनकी संपत्तियों को आग लगा दी जबकि सुरक्षा बलों ने इंफाल के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन कार्यों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया.
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एहतियातन उठाए गए ये कदम
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हिंसा से निपटने के लिए मणिपुर पुलिस, सीआरपीएफ, आरएएफ की टुकड़ियों को तैनात किया गया.
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सरकार ने 5 जिलों में अनिश्चित काल के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी ताकि लोग हिंसा ने फैला सकें.
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साथ ही सरकार ने हिंसा प्रभावित जिलों में अस्थायी इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं. बढ़ते तनाव को देखते हुए पूरी इंफाल घाटी में कर्फ्यू लगाया गया है.
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केंद्र ने हिंसा प्रभावित जिरी बाम सहित मणिपुर के 6 थाना क्षेत्रों मेंअफस्पा फिर से लागू कर दिया.
मणिपुर में हिंसा क्यों?
बता दें कि मणिपुर में लंबे समय से जातीय संघर्ष जारी है. ये संघर्ष मेइती, नगा और कुकी समुदायों के बीच जारी है. गैर-आदिवासी मेइती और आदिवासी कुकी-जो के बीच जातीय हिंसा पिछले साल 3 मई को पूर्वोत्तर राज्य में तब भड़की थी, जब मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था.
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अब तक इस संघर्ष में 230 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. इसके अलावा 11,133 घरों में आग लगा दी गई है, जिनमें से 4,569 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. जातीय हिंसा के सिलसिले में विभिन्न पुलिस थानों में कुल 11,892 मामले दर्ज किए गए हैं. राज्य सरकार ने 59,414 आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करने के लिए 302 राहत शिविर स्थापित किए हैं.