कोरोना वायरस के मामले पूरी तरह से अभी थमे भी नहीं हैं कि इस बीच एक और वायरस ने दस्तक दे दी. यह वायरस बच्चों पर तेजी से अटैक कर रहा है. नए वायरस का नाम एडिनोवायरस है. फिलहाल ये वायरस पश्चिम बंगाल में पैर पसार रहा है. बंगाल में पिछले 72 घंटों में विभिन्न अस्पतालों में सांस में संक्रमण की वजह से 12 बच्चों की मौत हो चुकी हैं. हालांकि, डॉक्टर इसे एडिनोवायरस से मौत नहीं मान रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हर साल इस मौसम में बच्चों में निमोनिया की समस्या बढ़ जाती है. निमोनिया के कारण बच्चों की मौते हुई हैं. यहां पर एडिनोवायरस का खतरा नहीं है.
स्वास्थ्य प्रशासन का कहना है कि अगर किसी तरह की समस्या आती है तो उससे निपटने की पूरी तैयारी है. प्रदेश 121 अस्पतालों में 5 हजार बेड और 600 शिशु रोग के चिकित्सक उपलब्ध हैं किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हम तैयार हैं.
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राज्य सरकार ने एडिनोवायरस मानने से किया इनकार
वहीं, राज्य सरकार ने बताया कि बीते एक माह में एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (ARI) के 5,213 मामले सामने आए हैं. रेस्पिरेटरी इंफेक्शन एक मौसमी बीमारी है. दो साल से कोविड के कारण ये मामले दब गए थे, लेकिन इस साल मामले बढ़ गए हैं. स्वास्थ्य विभाग भले ही इसे निमोनिया या मौसमी बीमारी बताकर पल्ला झाड़ रहा है, लेकिन बच्चों में सांस के संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहे हैं वह एडिनोवायरस की ओर इशारा कर रहा है. आखिर ये एडिनोवायरस क्या है और इसके लक्षण क्या है. जो बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. हालांकि, राज्य सरकार ने इसके लेकर एक आपात बैठक की है और इसे गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए एक आपातकालीन हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया गया है. यह नंबर है 1800-313444-222 भी जारी किया है.
क्या है एडिनोवायरस और कैसे फैलता है?
एडिनो इंफेक्शन एक तरह का वायरल बीमारी है. जो बच्चों पर तेजी से अटैक करता है. सांस लेने वाली नली पर यह हमला करता है. जो आम कोल्ड की तरह होता है. वहीं, अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) इस वायरस के बारे में अलग राय रखता है. सीडीसी के मुताबिक, एडिनोवायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. वह चाहे बच्चा, युवा या बुजुर्ग ही क्यों ना हो.
सीडीसी और बंगाल के स्वास्थ्य विभाग की अलग-अलग तर्क
हालांकि, पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग की सोच सीडीसी से उलट है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह वायरस बच्चों को चपेट में लेता है. खासकर दो से ढाई साल के बच्चों पर यह तेजी से हमला करता है. यह वायरस संक्रमित के संपर्क में आने से फैल सकता है. साथ ही संक्रमित लोगों के आसपास के वातावरण में यह मौजूद रहता है. जैसे कोई बाहर ये नया व्यक्ति या समूह पहुंचता है तो उसे यह जकड़ लेता है. सीडीसी ने संक्रमित व्यक्ति के मल से भी फैलने का दावा किया है. सीडीसी का कहना है कि कई डायपर बदलने या डायपर को खुले में फेंकने से यह बीमारी फैल सकती है.
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क्या हैं एडिनोवायरस के लक्षण ?
यह वायरस रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी सांस लेने में तकलीफ पैदा करता है. इसकी चपेट में आने पर बच्चे आम सर्दी जुकाम से ग्रस्ति हो जाते हैं. साथ ही बुखार, बॉडी पेन, समेत गले में समस्या बढ़ जाती है. इसके अलावा उल्टी दस्त, पेट दर्द जैसी शिकायतें भी होती हैं. वहीं बड़े लोगों में चेस्ट पेन की दिक्कत आ जाती है.
क्या है इलाज और बचाव के तरीके ?
इस संक्रमण से बचाव के लिए अभी कोई इंजेक्शन या दवा उपलब्ध नहीं है. सीडीसी का कहना है सावधानी बरतना ही इसका मुख्य तौर पर इलाज है. यानी थोड़ी-थोड़ी देर पर साबुन या लिक्विड से हाथ धोना, गंदे हाथों से आंख, नाक, मुंह को छूने से बचना है. साथ ही संक्रमित लोगों के संपर्क में जाने से बचना चाहिए. अगर आप बीमार हैं तो घर पर ही रहें. खांसते समय रूमाल या टीशू पेपर का इस्तेमाल करें, ताकि दूसरे लोग इसकी चपेट में ना आए. विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादातर मरीज बुखार और सर्दी की दवा से ठीक हो जाते हैं. ठीक नहीं होने की स्थिति में तत्काल अस्पताल या डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- एडिनोवायरस का बढ़ा खतरा
- वायरस की चपेट में आ रहे बच्चे
- बंगाल में 12 बच्चों की अभी तक हुईं मौत