तंजानिया (Tanzania) के उत्तर-पश्चिम कगेरा क्षेत्र में इबोला (Ebola) सरीखे, लेकिन कहीं अधिक संक्रामक (Infectious) मारबर्ग वायरस संक्रमण से इस सप्ताह की शुरुआत में पांच लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य संक्रमित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार ट्रेसिंग के जरिये लगभग 161 लोगों को संक्रमण के जोखिम के रूप में पहचाना गया. वर्तमान में उनकी निगरानी की जा रही है. 'द गार्डियन' के मुताबिक क्षेत्र में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम तैनात की गई है. संयोग से कगेरा के बाहर तंजानिया के अन्य शहरों में मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) के कोई अन्य मामले सामने नहीं आए हैं. अफ्रीका में डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मत्स्यिदिसो मोएती ने एक बयान में कहा, 'बीमारी के कारणों का सटीक पता स्थापित करने के लिए तंजानिया के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयास वायरस प्रकोप का प्रभावी ढंग से जवाब देने के दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं. हम वायरस के प्रसार को रोकने और जल्द से जल्द प्रकोप को समाप्त करने के नियंत्रण उपायों को तेजी से बढ़ाने के लिए सरकार के साथ काम कर रहे हैं.' गौरतलब है कि तंजानिया में मारबर्ग वायरस के मामले एक अन्य अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी के ठीक एक महीने बाद आए हैं, जिसमें मारबर्ग वायरस रोग का पहला मामला दर्ज किया गया था. 'वाशिंगटन पोस्ट' ने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने 13 फरवरी से अब तक नौ मामलों में से सात मौतों की पुष्टि की है. अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक अहमद ओगवेल ओउमा ने जनता से आह्वान किया है कि वायरस से संक्रमित होने पर तत्काल जानकारी साझा करें ताकि इसके खिलाफ ठोस और प्रभावी रणनीति बनाई जा सके..
मारबर्ग वायरस रोग है क्या
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मारबर्ग वायरस रोग को पहले मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था. यह एक गंभीर और अक्सर घातक साबित होने वाला रक्तस्रावी बुखार है. राउसेटस फ्रूट बैट्स को मारबर्ग वायरस का प्राकृतिक मेजबान माना जाता है. हालांकि युगांडा से आयातित अफ्रीकी हरे बंदर मानव संक्रमण के पहले स्रोत थे. जर्मनी में पहली बार 1967 में मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट में एक साथ प्रकोप के बाद इसका पता चला था. फिर बेलग्रेड, सर्बिया में इसके संक्रमण के मामले सामने आए. इस बीमारी से होने वाली औसत मृत्यु दर लगभग 50 फीसदी है. हालांकि यह वायरस के स्ट्रेन और इसके उपचार के आधार पर 24 फीसद जितनी कम या 88 फीसदी अधिक तक हो सकती है.
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मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण
दो से 21 दिनों के बीच कभी भी शुरुआत के बाद एमवीडी में तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द और गंभीर सिरदर्द के रूप में लक्षण प्रकट होते हैं. तीसरे दिन के आसपास रोगी पेट दर्द, उल्टी, गंभीर दस्त और ऐंठन की शिकायत करता है. डब्ल्यूएचओ का कहना है इस चरण में रोगी अक्सर 'भूत-जैसा' दिखने लगता है. इसमें धंसी गहरी आंखें, भावविहीन चेहरे और अत्यधिक सुस्ती प्रमुख है. पांच और सात दिनों के बीच रोगी नाक से खून बहने और मसूड़ों और उल्टी और मल में खून आने की शिकायत करने लगता है. इसके लक्षणों की शुरुआत के आठ से नौ दिनों के बीच खून की गंभीर कमी से संक्रमित शख्स की मृत्यु तक हो जाती है.
मारबर्ग वायरस रोग का निदान और उपचार
चिकित्सकीय स्तर पर एमवीडी को मलेरिया, टाइफाइड बुखार और अन्य वायरल रक्तस्रावी बुखार जैसे रोगों से अलग करना मुश्किल है. हालांकि इसकी पुष्टि नमूनों के प्रयोगशाला परीक्षण से होती है, जो कोरोना वायरस और इबोला की तरह अत्यधिक जैव जोखिम वाले हैं. एमवीडी के लिए अब तक कोई स्वीकृत एंटीवायरल उपचार या टीका नहीं है. इसे सहायक देखभाल के साथ ही ठीक किया जा सकता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार मौखिक या अंतःशिरा तरल पदार्थों के नर्जलीकरण और विशिष्ट लक्षणों के उपचार से मृत्यु को रोकने में मदद मिल सकती है.
HIGHLIGHTS
- कोरोना के बाद चमगादड़ की एक प्रजाति से होने वाला संक्रमण उठा रहा सिर
- तंजानिया में मारबर्ग संक्रमण से बीते सप्ताह की शुरुआत में पांच लोगों की मौत
- राउसेटस फ्रूट बैट्स को मारबर्ग वायरस का प्राकृतिक मेजबान माना गया है