प्रयागराज में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद देश में जनसंख्या असंतुलन और धर्म परिवर्तन का मुद्दा फिर से उठने लगा है. संघ ने इस बैठक के बाद जनसंख्या नियंत्रण और धर्म परिवर्तन जैसे गंभीर विषयों पर नए सिरे से सोचने और कानून बनाने का मुद्दा उठाया. बैठक में संघ प्रमुख डा. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के साथ कुल 370 अखिल भारतीय स्तर के पदाधिकारी शामिल थे. आरएसएस के बयान के बाद बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो बहन मायावती ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार की नाकामियों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आरएसएस धर्म परिवर्तन और जनसंख्या नीति से जुड़े मुद्दे उठा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि देश की वर्तमान स्थिति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की "चुप्पी" हानिकारक है.
महंगाई और वेरोजगारी से ध्यान भटकाने की कोशिश
“नई जनसंख्या नीति भारी महंगाई, बेरोजगारी, हिंसा और अव्यवस्था के अभिशाप से जूझ रहे देश के लोगों का ध्यान भटकाने के लिए अब आरएसएस द्वारा उठाई जा रही कलहपूर्ण आवाज घोर अनुचित है. यह भाजपा सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए एक सुनियोजित साजिश है.'' इसे अगले (2024) लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और उसकी सरकार को समर्थन देने की साजिश के तहत लिया जा रहा है और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि आरएसएस हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करता है, लेकिन "अपनी सरकार की गलत और जनविरोधी नीतियों का खुलकर विरोध नहीं करता". बसपा प्रमुख ने कहा, 'देश में मौजूदा माहौल पर उसकी चुप्पी न केवल दुखद है, बल्कि हानिकारक भी है.
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने क्या कहा था ?
आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि, धार्मिक रूपांतरण और बांग्लादेश से अवैध प्रवास देश में "जनसंख्या असंतुलन" का कारण बन रहे हैं. प्रयागराज में आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यसमिति की चार दिवसीय बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए बुधवार को, होसाबले ने कहा कि संगठन धर्मांतरण पर जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक रूपांतरण को रोकने के लिए मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है.
स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बसपा सुप्रीमो का निर्देश
आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बसपा नेताओं को आवश्यक निर्देश देने वाली मायावती ने उन्हें "सर्व समाज" के बीच पार्टी के समर्थन आधार को मजबूत करने के लिए समर्पण और ईमानदारी से काम करने का भी निर्देश दिया ताकि यह भाजपा के लिए सही और सार्थक विकल्प के रूप में उभरे. उन्होंने कहा, "लोगों को दुख है कि अच्छे दिनों के लिए भाजपा को सत्ता देने का उनका अनुभव किसी भी तरह से अच्छा नहीं रहा है." भगवा पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारें अपना समय और संसाधन गरीब विरोधी गतिविधियों और केवल बयानबाजी पर खर्च करती दिख रही हैं.
योगी सरकार पर साधा निशाना
उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति दयनीय है, कानून का शासन नहीं है और सरकार की मनमानी जारी है. मायावती ने बसपा कार्यकर्ताओं से लोगों को यह एहसास दिलाने का आह्वान किया कि उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी समस्याओं का समाधान तभी होगा जब राज्य में उनकी अपनी सरकार आएगी, मायावती ने कहा कि पार्टी की परंपराओं के अनुसार छोटी कैडर बैठकें आयोजित की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, "बसपा को अमीरों और उनकी शाही शैलियों का समर्थन करने वाली अन्य पार्टियों का अनुसरण करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो बेरोजगार युवाओं और मध्यम वर्ग का मजाक उड़ाती हैं." बसपा सुप्रीमो ने 15 जनवरी को अपना जन्मदिवस सादगी, ईमानदारी और गरीबों की मदद करके "जन कल्याणकारी दिवस" के रूप में मनाने का ऐलान किया.
HIGHLIGHTS
- आरएसएस धर्मांतरण पर जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है
- यूपी में कानून का शासन नहीं है और सरकार की मनमानी जारी है
- आरएसएस हर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करता है
Source : Pradeep Singh