MCD Elections बीजेपी दो दशकों से सत्ता में नहीं, फिर भी 15 सालों से एमसीडी पर कब्जा... कैसे

2017 में हुए एमसीडी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए 272 वार्ड्स में से 181 पर जीत दर्ज की थी. आप पार्टी 48 तो कांग्रेस महज 30 वार्ड्स में ही जीत हासिल कर सकी थी.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
MCD

बीजेपी ने एमसीडी को अपने पास रखने के लिए झोंक रखा है दम.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

इस बार दिल्ली के 250 वार्ड्स वाले म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन पर कब्जे के लिए उम्मीदवारों की सूची के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्र जारी होने के साथ नागरीय निकाय चुनाव का दौर अब अपने शबाब पर है. अगले  कुछ दिनों में इसके और भी जोर पकड़ने की संभावना है. 2017 में  हुए एमसीडी चुनाव (MCD Elections) में दूसरे नंबर पर रही आम आदमी पार्टी (AAP) पिछले 15 सालों से एमसीडी पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) का अपदस्थ करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए है. दूसरी ओर दिल्ली में कभी ताकतवर रही कांग्रेस (Congress) अपनी खोई जमीन तलाशने की जद्दोजहद में है. गौरतलब है कि शीला दीक्षित ने दिल्ली की सीएम कुर्सी को 15 सालों तक अपने पास रखा था, लेकिन 2013 विधानसभा चुनाव से कांग्रेस लगातार अपनी जमीन खोती जा रही है. ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनदर कांग्रेस एमसीडी चुनाव को किसी भी तरह से त्रिकोणीय बनाने के लिए ताकत झोंकने को तैयार है. 4 दिसंबर को एमसीडी के लिए वोटिंग होगी और 7 दिसंबर को मतगणना होगी. पिछले तीन एमसीडी चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में ही गए हैं. इस सच्चाई के उलट कि केसरिया पार्टी पिछले दो दशकों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है. समझते हैं कि बीजेपी आखिर किस गणित से सत्ता से बाहर रहते हुए भी एमसीडी का गणित साधती आई है. 

2007 में शीला दीक्षित के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर
कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित 1998 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थीं. पांच साल बाद 2002 में कांग्रेस 134 सदस्यीय म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव में आंधी की तरह छा गई. यह पहली बार हुआ था कि कांग्रेस का दिल्ली की सत्ता समेत नागरीय निकाय पर भी कब्जा था. यह अलग बात है कि अगले पांच सालों में तस्वीर बदल गई और बीजेपी ने अविभाजित एमसीडी में वापसी की. 2007 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने 144 वार्ड्स में जीत का परचम फहराया था. 

यह भी पढ़ेंः G20 Summit आखिर व्लादिमीर पुतिन के इंडोनेशिया न आने की असल वजह है क्या...

2012 में कमजोर कांग्रेस के खिलाफ आसान जीत
शीला दीक्षित के आखिरी कार्यकाल पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे थे, जिसकी कीमत उसे चुकानी पड़ी. 2011 में कांग्रेस-यूपीए सरकार ने अविभाजित एमसीडी को तीन भागों क्रमशः उत्तरी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में बांट दिया था. एमसीडी के विभाजित होने के बाद हुए पहले चुनाव में बीजेपी ने 272 वार्डों में से 138 पर कब्जा किया और कांग्रेस को 78 वार्ड तक ही सीमित कर दिया. एमसीडी के इस चुनाव को 2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव के सेमी-फाइनल बतौर देखा गया था, जिसके परिणाम भी अपेक्षित उतरे और कांग्रेस को उन चुनावों में करारी शिकस्त मिली.

2017 में बीजेपी ने सभी पार्षदों के टिकट काट दिए
सत्ता विरोधी लहर और एमसीडी में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप झेल रही बीजेपी ने 2017 एमसीडी चुनाव में अपने सभी सिटिंग पार्षदों को किनारे कर दिया. यह रणनीति रंग लाई औऱ बीजेपी न सिर्फ एमसीडी चुनाव जीतने बल्कि उसमें अपनी ताकत बढ़ाने में भी सफल रही. 2012 के 138 की तुलना में 2017 एमसीडी चुनाव में बीजेपी के 181 पार्षद एमसीडी में हो गए. यहां तक कि 2015 में दिल्ली में 70 में 67 विधानसभा सीटें जीत ऐतिहासिक जनादेश पाने वाली आम आदमी पार्टी को भी दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस तो पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक आई. 

यह भी पढ़ेंः Pt Nehru Birth Anniversary पतंगबाजी, जानवरों के शौकीन, और बातें भी जो आपको जाननी चाहिए

2022 में भी क्या बीजेपी का जारी रहेगा जीत का सफर...
इस बार बीजेपी ने एमसीडी चुनाव के लिए 126 महिलाओं को मैदान में उतारा है. इसके अलावा तीन मुस्लिमों, सात सिख और नौ पूर्व मेयरों पर दांव खेला है. ऐसा पहली बार हुआ है जब बीजेपी ने किसी चुनाव में अपने उम्मीदवारों के चयन में धार्मिक और जातीय समीकरणों को अपनाया. पूर्व मेयर और दिल्ली बीजेपी के महासचिव हर्ष मल्होत्रा के मुताबिक एमसीडी चुनाव के उम्मीदवारों में इस बार 23 पंजाबी, 21 वैश्य, 42 ब्राह्मण, 34 जाट, 26 पूर्वांचली, 22 राजबूत, 17 गुर्जर, 13 जाटव, 9 वाल्मिकी, 9 यादव, एक सिंधी और उत्तराखंड से दो को चुना है. इसके अलावा सात सिख, तीन मुस्लिम और एक जैन समुदाय से भी उम्मीदवार एमसीडी चुनाव मैदान में है. यानी बीजेपी इस बार धार्मिक, क्षेत्रीय और जातीय गणित के साथ एमसीडी चुनाव वैतरणी पार करने की सोच रही है. 

HIGHLIGHTS

  • पिछली बार सभी सिटिंग पार्षदों को किनारे कर परिणाम किए थे अपने पक्ष में
  • 2007-2012 में कांग्रेस विरोधी लहर के जरिए पार की थी एमसीडी चुनाव वैतरणी
  • बीजेपी ने 2022 में पहली बार जातीय-क्षेत्रीय गणित के तहत उतारे हैं उम्मीदवार

Source : Mohit Sharma

BJP congress AAP बीजेपी आप कांग्रेस Strategy एमसीडी चुनाव MCD Elections
Advertisment
Advertisment
Advertisment