दिल्ली में नई आबकारी नीति पर छिड़ी जंग के बाद अब कथित टोल टैक्स घोटाला का मुद्दा सामने आया है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के उप-राज्यपाल को पत्र लिखकर टोल टैक्स घोटाले के जांच की मांग की है. जांच की मांग के बाद राजधानी दिल्ली का राजनीतिक माहौल गरमा गया है. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को उप-राज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर दिल्ली नगर निगम में 6,000 करोड़ रुपये के कथित टोल टैक्स घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग की. आम आदमी पार्टी (आप) ने एमसीडी पर आरोप लगाया है कि उसने दो टोल टैक्स कंपनियों के साथ मिलीभगत की और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया. सिसोदिया ने आरोप लगाया कि दिल्ली में रोजाना 10 लाख वाणिज्यिक वाहन प्रवेश करते हैं और उनसे कर वसूला जाता है, लेकिन एमसीडी तक नहीं पहुंचता है.
एमसीडी टोल टैक्स कैसे जमा करती है?
दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों को पर्यावरण अनुपालन प्रमाणपत्र के लिए 700 रुपये से 1,400 रुपये और आकार और श्रेणी के आधार पर टोल के लिए 100 रुपये से 2,000 रुपये का भुगतान करना होता है. एमसीडी दिल्ली में टोल वसूलने वाली एजेंसी है. टोल टैक्स संग्रह का प्रबंधन निजी ठेकेदारों द्वारा किया जाता है जो नगर निकाय को खुली निविदाओं के अनुसार भुगतान करते हैं.
दिल्ली के 124 सीमा बिंदुओं में से, 13 प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर आरएफआईडी टोल संग्रह प्रणाली (RFID toll collection systems) स्थापित की गई है, जिसका उपयोग शहर में प्रवेश करने वाले लगभग 80-85 प्रतिशत वाणिज्यिक वाहन यातायात द्वारा किया जाता है. आप के अनुसार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य पड़ोसी शहरों से 10 लाख वाणिज्यिक वाहन प्रतिदिन 124 मार्गों से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करते हैं.
दिल्ली टोल टैक्स पर क्या है आप का आरोप?
सिसोदिया ने एमसीडी पर टोल टैक्स वसूली में 6,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि एमसीडी ने 2017 में एक निजी कंपनी को टोल टैक्स की वसूली के लिए एक टेंडर दिया था, और अनुबंध के अनुसार, कंपनी को हर साल एमसीडी को 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता था. “कंपनी ने पहले वर्ष में एमसीडी को पूरी राशि का भुगतान किया, लेकिन तब से, एमसीडी के साथ मिलकर, सिविक एजेंसी को एकत्रित कर देना बंद कर दिया. निगम को टेंडर रद्द करना चाहिए था, लेकिन निगम ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया और एक नई कंपनी को टेंडर जारी कर दिया, लेकिन पिछले चार वर्षों से कुछ नहीं किया गया.”
सिसोदिया ने यह भी आरोप लगाया कि 2021 में एमसीडी ने पिछली कंपनी की सहयोगी संस्था को कम राशि में टेंडर दिया था. "कंपनी को महामारी के कारण 83 करोड़ रुपये की छूट दी गई थी."
बचाव में क्या कह रहे एमसीडी के अधिकारी?
नगर निगम ने कहा कि 2017 में उक्त कंपनी को पांच साल की अवधि के लिए 1,206 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का ठेका दिया गया था. ठेका मिलने के बाद कंपनी ने कहा कि उसे ईस्टर्न पेरिफेरल और वेस्टर्न पेरिफेरल खोलने से नुकसान हुआ है और इस मुद्दे को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.
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एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालत ने अधिकारियों को फ्री लेन से टोल वसूली रोकने का आदेश दिया और कंपनी ने कथित तौर पर हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की. एमसीडी ने मामले को सुलझाने के लिए कई दौर की बैठकें कीं और कंपनी के बकाया भुगतान करने में विफल रहने पर उसने अनुबंध समाप्त कर दिया.वर्तमान में, एमसीडी ने कंपनी की संपत्तियों की कुर्की के लिए कार्यवाही शुरू की है. कंपनी के खिलाफ सभी कानूनी कदम उठाए जा चुके हैं और मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है.
AAP और LG के बीच खींचतान के पीछे क्या है?
दिल्ली के उपराज्यपाल ने हाल के दिनों में दिल्ली सरकार के कई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है. पिछले हफ्ते, एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को लेकर तत्कालीन आबकारी आयुक्त सहित आबकारी विभाग के 11 अधिकारियों के खिलाफ "गंभीर चूक" के लिए निलंबन और अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने को मंजूरी दी थी.
HIGHLIGHTS
- एमसीडी पर टोल टैक्स वसूली में 6,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप
- 2021 में एमसीडी ने पिछली कंपनी की सहयोगी संस्था को कम राशि में टेंडर
- दिल्ली के 13 प्रमुख प्रवेश सीमा पर आरएफआईडी टोल संग्रह प्रणाली