भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनावी जीत हासिल करने के बाद उसका जश्न लंबे समय तक नहीं मनाती है. कह सकते हैं बीजेपी को मिल रही लगातार जीत की कुंजी उसकी सतत् चुनावी कवायद और उससे जुड़ी गहन योजनाओं में निहित है. यही वजह है कि गुजरात-हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) से पहले ही बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) के मद्देनजर एक विस्तृत संगठनात्मक योजना तैयार कर चुकी थी. इस योजना में केंद्रीय मंत्रियों से लेकर बूथ स्तर के एक-एक कार्यकर्ता को शामिल किया गया. वास्तव में भाजपा की चुनाव जीतने की रणनीति गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) द्वारा तय किए गए एक खाके पर आधारित है. उनका साफ कहना है कि एक मजबूत संगठन (Organisation) के बगैर भाजपा अपनी चुनावी सफलता को दोहरा नहीं पाएगी. इसके तहत 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने पिछले साल लोकसभा प्रवास योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत मंत्रियों सहित पार्टी नेताओं को 2024 के आम चुनावों के लिए उन चुनौतीपूर्ण संसदीय क्षेत्रों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया है, जहां पार्टी 2019 के आम चुनावों में उपविजेता या तीसरे स्थान पर रही या बहुत ही कम अंतर से जीती. प्रवास योजना के शुरूआती चरण में देश भर से ऐसे 144 निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की गई थी, जिन्हें अब बढ़ाकर 160 कर दिया गया है.
160 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र ही चुनने की वजह
पिछले साल 25 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद की बैठक में भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा प्रवास योजना का खुलासा किया. इस योजना के तहत चुने हुए संसदीय क्षेत्रों में से प्रत्येक एक क्लस्टर का हिस्सा होंगे, जिसके लिए एक मंत्री या पार्टी के वरिष्ठ नेता को प्रभारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. इसका मकसद संगठन को मजबूती देते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनावी रणनीति से जुड़ी कई स्थितियों के लिए प्रेरित करना है. मसलन स्थानीय लोगों को बूथ स्तर की गतिविधियों से प्रभावित करने से लेकर व्हाट्सएप समूहों सहित सोशल मीडिया पर काम करना. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 436 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 303 पर उसे जीत मिली थी. ऐसे में प्रवास योजना के शुरुआती चरण में पार्टी द्वारा चुने गए 144 निर्वाचन क्षेत्रों में उन सीटों को शामिल किया गया, जहां पार्टी को हार मिली थी. इनमें उन सीटों को भी शामिल किया गया, जहां बीजेपी बस किसी तरह मामूली अंतर से जीती. प्रवास योजना के प्रारंभिक चरण से सकारात्मक परिणाम और प्रतिक्रिया मिलने के बाद भाजपा नेतृत्व ने अब ऐसी सीटों की संख्या 160 तक बढ़ा दी है. कार्यक्रम को संभालने वाले वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि जल्द ही यह संख्या 200 से अधिक हो जाएगी. भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने पहले ही 160 संसदीय क्षेत्रों में एक स्वयंसेवक को छोटी अवधि के लिए, तो एक पूर्णकालिक स्वंयसेवक यानी विस्तारक नियुक्त किया है, जो जिला पार्टी अध्यक्षों के साथ मिलकर चुनाव पूरा होने तक वहां तैनात रहेंगे. उनमें से प्रत्येक अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ स्तर तक पार्टी के चुनाव प्रचार की देखरेख के लिए एक समन्वयक के रूप में काम करेंगे.
ये लोकसभा क्षेत्र कहां-कहां स्थित हैं
इस योजना के तहत भाजपा का पूरा ध्यान दक्षिणी और पूर्वी राज्यों पर केंद्रित है, जहां पार्टी ने अभी तक खुद को मजबूती से स्थापित नहीं किया है. मसलन पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और ओडिशा. हालांकि इस सूची में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे मजबूत गढ़ों के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है. महाराष्ट्र में पार्टी ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के गढ़ बारामती सहित 16 निर्वाचन क्षेत्रों को चिन्हित किया है. 18 सीटें बंगाल में जीतने के बाद इसी सूची में 19 अन्य निर्वाचन क्षेत्र शामिल किए गए हैं. पार्टी ने उत्तर प्रदेश में जिन सीटों पर कब्जा किया है, उनमें गांधी परिवार का गढ़ रायबरेली, बीएसपी के गढ़ अंबेडकरनगर, बेहद मामूली अंतर से हारने वाली सीट श्रावस्ती, बीएसपी का ही एक और मजबूत किला लालगंज, सपा के लिए मजबूत सीट मुरादाबाद, संभल , अमरोहा और मैनपुरी शामिल हैं. संभल लोकसभा क्षेत्र में तो बीजेपी एक बार भी जीत का परचम नहीं फहरा सकी है. तेलंगाना की सीटों में महबूब नगर शामिल हैं, जहां 2019 में भाजपा की डीके अरुणा 3.30 लाख से अधिक वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं. नगर कुरनूल में भाजपा तीसरे स्थान पर रही, लेकिन 1 लाख से अधिक वोट प्राप्त किए और नलगोंडा जहां पार्टी तीसरे स्थान पर रही. पिछले हफ्ते भाजपा नेतृत्व ने बिहार के पहले से चुने गए 10 निर्वाचन क्षेत्रों में चार और निर्वाचन क्षेत्रों को जोड़ा, बंगाल के 19 निर्वाचन क्षेत्रों में पांच और महाराष्ट्र में तीन और यूपी और पंजाब में दो-दो जोड़े.
इस योजना से जुड़े नेता-मंत्री आखिर करेंगे क्या
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व ने 25 मई 2022 की बैठक में मंत्रियों को 144 सूत्री प्रोग्राम शीट दी थी. इस कार्य योजना के तहत प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र एक क्लस्टर का हिस्सा है, जिसके लिए एक नेता प्रभारी बनाया गया है. सरकारी की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और उसके प्रभाव पर जानकारी एकत्र कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए केंद्रीय, स्थानीय और जिला स्तरों पर एक त्रि-स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा. प्रभारी मंत्रियों को स्थानीय संगठन की मदद से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में जनसांख्यिकी से जुड़े आंकड़े जुटाने होंगे. मसलन- जातिगत आबादी, आर्थिक स्थिति, युवाओं, महिलाओं, गरीबों की संख्या आदि-आदि. स्थानीय संस्कृति, त्योहारों, राजनीतिक विकास और व्यक्तित्व की जानकारी यहां तक कि दोपहिया वाहन चलाने वाले युवाओं की संख्या भी जुटानी है.
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खराब प्रदर्शन वाली सीटों पर भी रिपोर्ट होगी तैयार
ये समितियां उन बूथों और ब्लॉकों का अध्ययन कर एक रिपोर्ट भी तैयार करेंगी, जहां पिछले कुछ चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों का प्रदर्शन खराब रहा है. स्थानीय नेतृत्व से मिले फीडबैक के आधार पर मिले सुझावों के साथ ये विवरण केंद्रीय नेतृत्व को सौंपे जाएंगे. भाजपा की सोशल मीडिया उपस्थिति को मजबूत करने के लिए, समितियां एक ट्विटर हैंडल स्थापित करेंगी. फिर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में उस ट्विटर हैंडल के कम से कम 50,000 फॉलोअर्स बनाए जाएंगे. समितियों की इसके जरिये कॉलेज जाने वाली लड़कियों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और धार्मिक नेताओं और समुदायों तक पहुंचने की उम्मीद है. लाभार्थियों की सूची तैयार करते समय 12 केंद्रीय योजनाओं का विवरण देना होगा. मेहमान मंत्री की मदद के लिए एक सोशल मीडिया टीम, एक लोकसभा समन्वयक, एक सोशल मीडिया समन्वयक और एक पूर्णकालिक सदस्य होगा.
इन मंत्रियों को दी गई है जिम्मेदारी
पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, गिरिराज सिंह, मनसुख मंडाविया, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, संजीव बालियान, जितेंद्र सिंह, महेंद्र नाथ पांडे जैसे कुछ केंद्रीय मंत्रियों को क्लस्टर प्रभारी नियुक्त किया जा चुका है. कुछ अन्य को सिर्फ निर्वाचन क्षेत्र दिए गए हैं. सूत्रों ने कहा कि देश भर में 40 बीजेपी क्लस्टर हैं. मंत्रियों को इन निर्वाचन क्षेत्रों में कम से कम 48 घंटे बिताने और लगातार दौरा कर जीत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए रिपोर्ट तैयार करने का काम दिया गया था. मंत्रियों से अपेक्षा की जा रही है कि वे इन सीटों पर पार्टी की ताकत, कमजोरियों, अवसरों और खतरों का विश्लेषण कर अपनी चुनावी संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए कदमों की पहचान करेंगे.
विरोधी पार्टी के कार्यकर्ता के भी जाना होगा घर
प्रत्येक मंत्री को पार्टी से जुड़े लोगों, विरोधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के आधा दर्जन घरों का दौरा करना होगा और उनके संपर्क में रहना होगा. उन्हें प्रत्येक यात्रा के दौरान कम से कम छह कार्य और करने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी को प्रत्येक बूथ में कम से कम 20 नए सदस्य मिले. सांगठनिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अमित शाह इसी महीने 11 राज्यों का दौरा करेंगे. इस क्रम में अमित शाह 5 जनवरी को त्रिपुरा दौरे पर है, जहां वे रथ यात्रा को रवाना करेंगे. इसके बाद 6 जनवरी को मणिपुर और नगालैंड का दौरा करने की उम्मीद है. वह 7 जनवरी को छत्तीसगढ़ और झारखंड और 8 जनवरी को आंध्र प्रदेश जाएंगे. वह 16 जनवरी को यूपी, 17 जनवरी को बंगाल और उत्तर प्रदेश में रहेंगे. 28 जनवरी को कर्नाटक. अगले दिन वह हरियाणा और पंजाब में होंगे.
प्रवास योजना के लिए निगरानी तंत्र की क्या है व्यवस्था
गृह मंत्री अमित शाह सीधे इस कार्यक्रम पर निगाह रख रहे हैं. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी महासचिव (संगठन) बी एल संतोष भी इस कवायद में सक्रिय रूप से शामिल हैं. इन निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रभारी मंत्रियों को 18 महीने का समय दिया गया है. लोक सभा प्रवास योजना की पहली समीक्षा बैठक पिछले साल छह सितंबर को हुई थी. इसमें अमित शाह ने मंत्रियों से सांगठनिक कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने पर जोर दिया था. अमित शाह के अनुसार पार्टी पिछली बार लड़ी गई 65 प्रतिशत से अधिक सीटों पर जीत हासिल कर सकती है. ऐसे में उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2024 के चुनावों में कम से कम 30 प्रतिशत मुश्किल सीटों पर भी जीत का परचम फहरा जाए. लोक सभा प्रवास योजना की पूरी कवायद यही सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है.
क्या बीजेपी पहली बार इस तरह की कवायद कर रही है
कतई नहीं. 2019 के आम चुनावों से पहले पार्टी ने अपने बढ़ते फोकस के लिए सात राज्यों में लगभग 120 निर्वाचन क्षेत्रों को नए कैचमेंट एरिया के रूप में चिन्हित किया था. ये सीटें ओडिशा, बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और पूर्वोत्तर की थीं. उस वक्त बीजेपी नेतृत्व का आकलन था कि पार्टी अपने गढ़ों में कई सीटों को बरकरार नहीं रख पाएगी, इसलिए उसे नए क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए. नतीजतन भाजपा ने 2019 के चुनावों में बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर में अपनी स्थिति में सुधार किया. पार्टी ने ओडिशा और बंगाल में क्रमशः आठ और 18 सीटें जीतीं. इसके पहले ओडिशा की 21 सीटों में से केवल एक और बंगाल की दो सीटों पर जीत हासिल की थी. तेलंगाना में इसी कवायद ने 2019 के चुनावों में अपनी संख्या एक से बढ़ाकर चार कर दी. जाहिर है मिशन 2024 के तहत बीजेपी अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में अपना पहला कदम बढ़ा चुकी है.
HIGHLIGHTS
- बीजेपी के लोकसभा प्रवास योजना के तहत अब सीटें हो गईं 160
- ये वे सीटें हैं जहां बीजेपी हारी थी या मामूली अंतर से मिली थी जीत
- मिशन 2024 के तहत बीजेपी ने इन सीटों पर बनाएं 40 क्लस्टर