आखिर क्या है Moonlighting, जिसके चलते IT कंपनी Wipro ने निकाले 300 कर्मचारी

Moonlighting: एक समय में दो नौकरी करने को मूनलाइटिंग का नाम दिया गया है. हालांकि इसमें यह जरूरी नहीं कि कोई कर्मचारी अपनी रेगुलर जॉब के समय ही दूसरी भी नौकरी करे

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Mohit Sharma
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Moonlighting

Moonlighting( Photo Credit : FILE PIC)

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इन दिनों देश में मूनलाइटिंग ( Moonlighting ) को लेकर एक नई बहस शुरू छिड़ी हुई है. खासकर आईटी कंपनियां इसको लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीरता दिखा रही हैं. यहां तक की आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी विप्रो ( Wipro ) ने मूनलाइटिंग की वजह से अपने 300 कर्मचारियों को बगैर नोटिस दिए ही बाहर का रास्ता दिखा दिया है. कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष रिशद प्रेमजी का कहना है कि विप्रो के पास ऐसे किसी कर्मचारी के लिए कोई स्थान नहीं है जो नौकरी में रहते हुए मूनलाइटिंग करता है. मूनलाइटिंग कंपनी के साथ सरासर धोखा है. अब क्योंकि भारतीयों के लिए मूनलाइटिंग एक नया शब्द है...ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर मूनलाइटिंग क्या है और पिछले कुछ दिनों से आखिर चर्चा में क्यों है.

क्या है मूनलाइटिंग

दरअसल, एक समय में दो नौकरी करने को मूनलाइटिंग का नाम दिया गया है. हालांकि इसमें यह जरूरी नहीं कि कोई कर्मचारी अपनी रेगुलर जॉब के समय ही दूसरी भी नौकरी करे. इसमें रेगुलर वर्किंग ऑवर्स से अलग किसी दूसरे के लिए काम करना शामिल हो सकता है. इस प्रक्रिया में कर्मचारी अपने बॉस या कंपनी को जानकारी दिए बिना ही किसी ओर के लिए भी काम करता है. क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि साइड जॉब अधिकांश रात के समय या वीकेंड्स में ही की जाती है. इसलिए इसको मूनलाइटिंग का नाम दिया गया है. मूनलाइटिंग अचानक उस समय चर्चा में आई जब अमेरिका में लोगों ने साइड इनकम के लिए अपनी रेगुलर नौकरी के अलावा भी दूसरी जॉब तलाशनी शुरू कर दी. 

क्या है विवाद

मूनलाइटिंग पर उस समय विवाद खड़ा हो गया, जब ऑनलाइन फूड डिलीवरी एजेंट स्विगी ने अपने पॉलिसी में यह कहते हुए मूनलाइटिंग को छूट दे दी कि अपने नियमित काम के अलावा उसके कर्मचारी अगर कोई साइड जॉब करते हैं तो उसको कोई प्रॉब्लम नहीं है. विप्रो के चेयरमैन अजीज प्रेमजी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि टेक इंडस्ट्री में मूनलाइटिंग करने वाले लोगों के बारे में बहुत सारी बातें हैं और यह सीधा और सपाट धोखा है.

कोविड काल में बढ़े मामले

यूं तो मूनलाइटिंग या साइड जॉब करना कोई नई चीज नहीं है, लेकिन इसको ज्यादा बढ़ावा कोरोना काल में मिला. कोरोना काल में जब कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की इजाजत दी तो कर्मचारियों ने एक्सट्रा इनकम के लिए साइड में दूसरा काम भी तलाशना शुरू कर दिया. क्योंकि घर पर न तो बॉस की मॉनिटिरिंग थी और नहीं कंपनी में काम करने का अनकंफर्ट. ऐसे में कर्मचारियों ने इसका फायदा उठाते हुए रेगुलर नौकरी के अलावा दूसरा काम भी ढूंढ अतिरिक्त आय अर्जित की. 

मूनलाइटिंग के कारण-

विशेषज्ञों की मानें तो मूनलाइटिंग तीन कारणों से होती है.

1- एक्सट्रा इनकम- ऐसा देखा गया है कि कोरोना काल में अधिकांश कंपनियों अपने कर्मचारियों के वेतन में 20 से 30 प्रतिशत तक की कटौती कर दी थी. ऐसे में कर्मचारियों के सामने जीविकोपार्जन के लिए धन का संकट खड़ा हो गया और जिसके चलते उनको अतिरिक्त आय के लिए साइड जॉब तलाशनी पड़ी.

2- समय- यह भी देखा गया कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान क्योंकि लोगों का आपस में मिलना-जुलना बंद था और घर से बाहर निकलने पर भी बैन लगा दिया गया था. इसलिए रेगुलर नौकरी के बाद लोगों का समय काटे नहीं कट रहा था. ऐसे में उन्होंने मूनलाइटिंग को ही टाइम पास का जरिया बनाया. इससे उनकी आय तो बढ़ी ही. 

3- पैशन- कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम के समय यह भी देखने में आया कि लोगों ने अपने टेलेंट और पैशन को भी खूब कैश किया. कुछ लोगों ने इसको लेकर यूट्यूब चैनल और ब्लॉग तक बना डाले. जिससे न केवल उनके पैशन ने कारण उनको प्रसिद्धी मिली, बल्कि इनकम भी बढ़ी.

विप्रो ने निकाले 300 कर्मचारी

अपको बता दें कि बीते कुछ दिनों से भारत की बड़ी आई़टी कंपनियां अपने कर्मचारियों की मूनलाइटिंग पर सख्ती बरत रही हैं. इंफोसिस ने मूनलाइटिंग को लेकर अपने कर्मचारियों को चेतावनी तक दे डाली है. वहीं, विप्रो ने अपने 300 कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए ही निकाल दिया है. कंपनी के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने मूनलाइटिंग को कंपनी के साथ धोखा करार दिया है.

क्यों परेशान हैं कंपनियां

मूनलाइटिंग से कंपनियों को होने वाले नुकसान को लेकर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. उनका कहना है कि इस फॉर्मेट से इंडस्ट्री या कंपनी के काम करने के फंक्शन प्रभावित हो सकते हैं. इसके साथ ही कर्मचारी यदि दूसरी कंपनी में काम कर रहे हैं तो इससे उनका डेटा लीक होने की आशंका है. आईटी कंपनियों का कहना है कि मूनलाइटिंग की वजह से परफॉर्मेंस और कामकाज पर असर पड़ रहा है. 

Source : Mohit Sharma

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