Nagasaki Day 2023: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने हिरोशिमा के बाद नागासारी पर परमाणु बम गिराया था. इस घटना को आज पूरे 78 साल बीत गए. बावजूद इसके यहां तबाही के निशान आज भी मौजूद है. अमेरिका ने पहले 6 अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा को अपना निशाना बनाया और वहीं परमाणु बम गिरा दिया. इस बम धमाके ने शहर के 13 वर्ग किलोमीटर तक भारी तबाही मचाई. इसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापानी शहर नागासाकी पर एक और परमाणु बम गिराकर जापान को अपनी ताकत दिखाई. इसके बाद जापान को आत्मसमर्पण करने को मजबूर होना पड़ा. बताया जाता है कि नागासाकी पर हमला करना तय नहीं था, लेकिन ऐसा कुछ हुआ जिसने अमेरिका को नागासाकी पर बम गिराने को मजबूर कर दिया.
ये भी पढ़ें: Meri Mati Mera Desh: जानिए क्या है 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान का उद्देश्य, आज से हो रहा है शुरू
क्यों नागासाकी पर गिराना पड़ा बम
8 अगस्त, 1945 की रात बीत चुकी थी, अमरीका के बमवर्षक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉक्स पर एक बम लदा हुआ था. यह बम किसी भीमकाय तरबूज़ की तरह दिखाई देता था. जिसका वजन 4050 किलोग्राम था. बम का नाम विंस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में 'फ़ैट मैन' रखा गया. इस बम के निशाने पर औद्योगिक नगर कोकुरा था इस नगर में ही जापान की सबसे बड़ी और सबसे अधिक गोला-बारूद बनाने वाली फैक्टरियां मौजूद थी. 9 अगस्त की सुबह 9.50 बजे नीचे कोकुरा नगर दिखाई दे रहा था. इस वक्त B-29 विमान 31,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था. फैट मैन को इसी ऊंचाई से गिराया जाना तय हुआ था. लेकिन कोकुरा के ऊपर बादल छाए हुए थे. इसके बाद बी-29 को फिर से घुमा दिया गया. जब शहर पर बम गिराने की बारी आई तो फिर से शहर पर धुंए का कब्जा होने लगा. क्योंकि जमीन पर विमान-भेदी तोपें आग उगल रही थीं.
विमान में कम होने लगा था ईंधन
बी-29 का ईंधन तेजी से कम हो रहा था. अब तक विमान में सिर्फ इतना ईंधन रह गया था कि वह वापस जा सके. इस अभियान को अंजाम देने की जिम्मेदारी ग्रुप कैप्टन लियोनार्ड चेशर के पास थी. इस घटना के बाद उन्होंने बताया था कि, "हमने सुबह नौ बजे उड़ान शुरू की. जब हम मुख्य निशाने पर पहुंचे तो वहां पर बादल थे. तभी हमें इसे छोड़ने की सूचना मिली और हम दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़ गए. ये दूसरा लक्ष्य नागासाकी था. उसके बाद चालक दल ने बम गिराने वाले स्वचालित उपकरण को चालू कर दिया और कुछ ही क्षण बाद भीमकाय बम तेजी से धरती पर गिरने लगा. मात्र 52 सेकेण्ड गिरने के बाद बम पृथ्वी तल से 500 फुट की ऊंचाई पर फट गया.
सुबह 11.02 बजे नागासाकी पर फटा बम
जब ये बम फटा उस वक्त 11 बजकर 2 मिनट हो रहे थे. बम के फटते ही आग का एक भीमकाय गोला मशरुम की शक्ल में उठा. गोले का आकार लगातार बढ़ रहा था जिसने तेजी से पूरे शहर को निगलना शुरू कर दिया. नागासाकी के समुद्र तट पर मौजूद नौकाओं और बन्दरगाह पर खड़ी तमाम नौकाओं में आग लग गई. वहां मौजूद लोगों को ये सोचने तक का मौका नहीं मिला कि आखिर हुआ क्या और सभी मौत के आगोश में चले गए. शहर के बाहर कुछ ब्रितानी युद्धबंदी खदानों में काम कर रहे थे उनमें से एक ने बताया, पूरा शहर निर्जन हो चुका था, हर तरफ सन्नाटा था और लोगों की लाशें ही लाशें नजर आ रही थी. इस दौरान लोगों के चेहरे, हाथ पैर गल रहे थे, हमने इससे पहले परमाणु बम के बारे में कभी नहीं सुना था. नागासाकी शहर पहाड़ों से घिरा हुआ था. जिसके चलते केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर के इलाके में ही तबाही मची. इस हमले में नागासाकी में 74 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. जबकि हिरोशिमा में हुए हमले में एक लाख 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.
ये भी पढ़ें: Manipur Violence: स्थानीय पुलिस और असम राइफल्स के बीच टकराव, लगाए गंभीर आरोप, FIR दर्ज
HIGHLIGHTS
- 9 अगरस्त 1945 को नागासाकी पर गिरा था परमाणु बम
- इस मजबूरी में नागासाकी को बनाना पड़ा था निशाना
- किसी दूसरे शहर पर बम गिराना चाहता था अमेरिका
Source : News Nation Bureau