What is Swastik Raas: देश में बड़े ही हर्षोउल्लास से नवरात्र मनाए जा रहे हैं. इस दौरान पूरे 9 दिन भक्त मां की आराधना में डूबे हुए रहते हैं. वो मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग तरीके के आयोजन करते हैं. कुछ लोग 9 दिनों तक उपवास रखता है, तो कुछ डांस करते हैं. वहीं कुछ देवी मां के भजन और गीत गाते हैं. गुजरात के जामनगर में लोग कुछ ऐसा ही करते दिखे. उन लोगों ने मां दुर्गा को खुश करने के लिए स्वास्तिक रास (Swastik Raas) किया. इस दौरान ऐसा अद्भुत नजारा दिखा, जिसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. आइए जानते हैं कि ये स्वास्तिक रास क्या होता है.
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स्वास्तिक रास का अद्भुत नजारा
गुजरात के जामनगर में जिस तरह से स्वास्तिक रास का आयोजन किया, उसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे स्वास्तिक रास किया जाता है. वीडियो में दिखता है कि कुछ लोग जमीन पर लेटे हुए हैं. उनके चारों ओर स्वास्तिक बना हुआ है, इस दौरान कुछ ऐसा होता है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे.
यहां देखें: Swastik Raas का वीडियो
#WATCH | People performed 'Swastik raas' in Gujarat's Jamnagar as part of Navratri celebrations. (05.10) pic.twitter.com/eIE5J5TVpH
— ANI (@ANI) October 6, 2024
उस स्वास्तिक में आग जलते हुए दिखती है. जमीन पर लेटे हुए लोग डांडिया की तरह छड़ियों को बजाते हुए दिखते हैं. इस स्वास्तिक के चारों ओर लोगों का एक गोल घेरा दिखाई देता है. ढोल नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ देवी के गीत सुनाई पड़ते हैं.
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क्या है स्वास्तिक रास (What is Swastik Raas?)
- स्वास्तिक रास एक डांस है, जिसमें गरबा की तरह ही पारंपरिक परिधानों और डांडिया लेकर डांडिया स्टीक लेकर किया जाता है.
- गुजरात के कई इलाकों में काफी पोपुलर ये डांस गरबा (गरबा रास, डांडिया रास) जैसा ही होता है, फर्क बस इतना होता है कि जलते हुए स्वास्तिक के चारों ये डांस किया जाता है.
- बता दें कि गरबा गुजरात का एक लोक नृत्य, जिसमें गोल घेरा बनाकर दाईं ओर और फिर बाईं ओर नर्तक नृत्य करते हैं.
- जलते हुए स्वस्तिक के चारों ओर किया ये डांस देखने में बहुत ही आर्कषक लगता है. ये डांस पारंपरिक, लोकगीतों और फिल्मों पर किया जा सकता है.
- स्वास्तिक रास करना शुभता और कल्याणकारी माना जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इसे करने से मां दुर्गा की कृपा भक्तों पर बरसती है.
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क्या है स्वास्तिक?
स्वास्तिक हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली प्रतीक है, जिसका गहरा महत्व है. स्वास्तिक को कल्याण करने वाला माना जाता है. स्वास्तिक को शुभ काम की शुरुआत में बनाया जाता है. पूजा-पाठ में स्वास्तिक का प्रयोग किया जाता है. स्वास्तिक की आकृति में दो सीधी रेखाएं एक-दूसरे को काटती हैं और फिर मुड़ जाती हैं. इसकी भुजाएं, समकोण पर मुड़ी हुईं, जो सृजन, संरक्षण और विनाश के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं.
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