NCP New President: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में इन दिनों संकट के बादल छाए हुए हैं. वजह है पार्टी के कद्दावर नेता और अध्यक्ष रहे शरद पवार का इस्तीफा. मंगलवार को शरद पवार के इस्तीफे ने ना सिर्फ एनसीपी बल्कि महाराष्ट्र की सियासत में भी हलचलें तेज कर दीं. शरद पवार के अपनी किताब के विमोचन के तुरंत बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के ऐलान ने हर किसी को हिला कर रख दिया. इसके बाद से ही अटकलें भी तेज हो गईं कि अब क्या होगा. आखिर कौन एनसीपी की कमान संभालेगा. यही नहीं शरद पवार समर्थकों ने जमकर प्रदर्शन भी शुरू हो गया. हर कोई दोबारा शरद पवार से इस पद पर काबिज होने की अपील करता दिखाई दिया. इस बीच पार्टी में चर्चाओं और मंथन का दौर भी जारी है. एनसीपी दफ्तर में आज अहम बैठक भी होने जा रही है.
NCP अध्यक्ष कोई भी हो फायदा शरद पवार का ही
माना जा रहा है कि इस बैठक में अजित और सुप्रिया में से किसी एक के एनसीपी अध्यक्ष बनने पर मुहर लग सकती है. हालांकि रांकपा का अध्यक्ष कोई भी बने फायदे में शरद पवार ही रहेंगे. आइए तीन कारणों से समझते हैं आखिर किसी के भी एनसीपी अध्यक्ष बनने से आखिर शरद पवार को क्या फायदा होगा?
ये 3 कारण बताते हैं हर हाल में पवार के पास पावर
1. एनसीपी में गुटबाजी पर लगाम
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में मचे घमासान के बीच अध्यक्ष पद पर कोई भी काबिज हो, लेकिन फायदे में शरद पवार ही रहेंगे. क्योंकि उन्होंने ये दांव पार्टी में बढ़ रही गुटबाजी के चलते चला है. शरद पवार के हटने से अजित पवार को कमान मिलती है तो भी पार्टी में हो रहे मनभेद और मतभेद मिटने के चांस ज्यादा हैं. दरअसल पिछले लंबे समय से ये बात सामने आ रही थी कि अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से मतभेद के चलते असहज महसूस कर रहे थे. पिछले दिनों ये भी चर्चाएं जोरों पर थी कि वो पार्टी छोड़कर बीजेपी में 40 से ज्यादा विधायकों के साथ शामिल होने जा रहे हैं. हालांकि उन्होंने बाद में इन खबरों का खंडन कर दिया. इस खंडन के पीछे भी शरद पवार का ही हाथ बताया जा रहा था.
यह भी पढ़ें - Maharashtra: शरद की आत्मकथा में उद्धव की चूक पर जानें क्या बोले संजय राउत
2. फैमिली से ही सहानुभूति
शरद पवार के अध्यक्ष पद से हटने के बाद अजित और सुप्रिया का ही नाम सबसे ज्यादा आगे चल रहा है. इसको लेकर एक अहम बैठक भी हो रही है. माना जा रहा है इन दोनों में से ही एक को कमान सौंपी जाएगी. अब इनमें से अगर कोई अध्यक्ष बनता भी है तो बात घर के घर में ही रहेगी. यानी शरद पवार इसमें भी फायदे में ही रहेंगे. सुप्रिया उनकी बेटी है और अगर अजित के हाथ में कमान आती है तो ये भी शरद पवार के गेम प्लान का ही हिस्सा होगा. क्योंकि वो इस फॉर्मूले को समझाने के बाद ही अजित को पार्टी में रोकने में सफल रहे.
3. BJP से मिलन की राह आसान
महाविकास अघाड़ी के गठन में शरद पवार की भूमिका काफी अहम रही थी. पवार की कोशिशों के चलते उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस से हाथ मिलाया था. हालांकि एनसीपी चीफ रहते शरद पवार कभी भी बीजेपी से हाथ नहीं मिला पाए. हां उन्होंने समय-समय पर अजित के जरिए अपना दांव जरूर चला. लेकिन एमवीए का दबाव उनके लिए काफी ज्यादा रहा. ऐसे में अब अगर पार्टी अध्यक्ष अजित-सुप्रिया में से कोई बनता है तो वे बीजेपी के नजदीक जा सकते हैं या गठबंधन भी कर सकते हैं. ऐसे में शरद पवार पर पड़ रहा दबाव भी खत्म हो जाएगा. यानि अध्यक्ष के बदलने के बाद भी पवार के लिए हर तरह से फायदे का सौदा ही है.
इसके अलावा भी कुछ फायदे हैं जो शरद पवार को मिल रहे हैं. जैसे कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच उनकी छवि पहले से और ज्यादा अच्छी होगी. अध्यक्ष जो भी होगा लोग शरद पवार के निर्णय को सम्मान ज्यादा देंगे. इतना ही नहीं आगामी लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार एक निष्पक्ष नेता के तौर पर भी सामने आ सकते हैं. उनकी पार्टी को महाराष्ट्र में बड़ी जीत भी मिलने के आसार हैं. अगर ऐसा होता है तो ये भी शरद पवार के लिए हर तरह से फायदे का सौदा ही होगा.
HIGHLIGHTS
- NCP अध्यक्ष को लेकर जारी है मंथन
- अध्यक्ष कोई भी बने पावर तो पवार के पास ही होगी
- शरद पवार के फायदे के तीन बड़े कारण