उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष हमला करता रहता है. सीएम योगी को कोई बुल्डोजर बाबा कहता है तो कोई जाति-धर्म देखकर कानूनी कार्रवाई करने का आरोप लगाता है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अक्सर ट्वीट कर योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते रहते हैं. प्रदेश में जहां विपक्षी दल कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर हमले करते रहे हैं, ऐसे में राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) का ताजा आंकड़ा राज्य सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. आम तौर पर देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ के शासन के दौरान राज्य में सांप्रदायिक हिंसा में कमी आई है.अपराधियों-माफियाओं पर कानूनी शिकंजा कसा है. इस बात की पुष्टि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो भी कर रहा है.
यूपी में आई सांप्रदायिक हिंसा में कमी
एनसीआरबी के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से सिर्फ एक मामला उत्तर प्रदेश में दर्ज किया गया. वहीं, महाराष्ट्र में 100, झारखंड में 77, बिहार में 51 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए. आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि 2019 और 2020 में सांप्रदायिक हिंसा का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया.
बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी
एनसीआरबी के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि यूपी में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में काफी कमी आई है. आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 18,943 मामले दर्ज किए गए और 2021 में यह घटकर 16,838 रह गए. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 2019 में 59853 से घटकर 2021 में 56083 हो गए. 2019 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 6.2 फीसदी की कमी आई है. बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में 11.11 फीसदी की कमी आई है.
राज्य में साइबर क्राइम में भी कमी आई है. 2019 में, साइबर अपराध के 11416 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में घटकर 8829 हो गए, जिसमें 22.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा कि राज्य में पुलिस अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है और यही कारण है कि अपराध दर में गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़े भी गिरावट का सबूत दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी और अपराध व अपराधियों के खिलाफ किसी भी कीमत पर नरमी नहीं बरती जाएगी.
इस बीच, एनसीआरबी के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए, यूपी भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “अब यूपी में कानून का राज है, योगी आदित्यनाथ जी की सख्त प्रशासनिक छवि के कारण, यूपी के लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़े अभी आए हैं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही यूपी में बेहतर कानून व्यवस्था पर जनता की मुहर लग गई है.'
सपा का आरोप-हिरासत में हुई मौतों में राज्य नंबर वन
हालांकि, समाजवादी पार्टी ने यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हिरासत में हुई मौतों में राज्य नंबर वन है. एनसीआरबी के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए, एसपी प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा, “सवाल यह है कि जब दंगाइयों और सांप्रदायिक दंगाई सरकार में शामिल हो गए हैं, तो स्वाभाविक रूप से दंगे कम हो जाएंगे. पूरी भारतीय जनता पार्टी एनसीआरबी दंगों की रिपोर्ट पर बहस के लिए तैयार है, लेकिन क्या भारतीय जनता पार्टी के लोग एनसीआरबी के आंकड़ों पर भी बहस करेंगे, जिसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश हिरासत में मौत के मामले में पहले नंबर पर होने के साथ-साथ पहले नंबर पर है. ओबीसी, दलित और पिछड़े और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार.”
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“एनसीआरबी के आंकड़े चिल्लाते हैं कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अत्याचार में भी नंबर 1 है, क्या वे इस पर बहस करने के लिए तैयार हैं?” उसने जोड़ा.
HIGHLIGHTS
- यूपी में बेहतर कानून व्यवस्था पर NCRB की मुहर लग गई है
- यूपी में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में कमी आई
- देश भर में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज, यूपी में सिर्फ एक मामला