क्या आप किसी ऐसे फूल का नाम सुना है या देखा है जो साल- दो साल नहीं बल्कि 12 साल में एक बार खिलता हो. केरल की पहाड़ियों में नीलकुरिंजी नामक दुर्लभ फूल है, जो बारह साल में एक बार खिलता है तो पर्यटकों का ताता लग जाता है. इन दिनों केरल के इडुक्की जिले में कालीपारा हिल्स में एक दुर्लभ घटना देखने को मिल रही है, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को पहाड़ों की ओर आकर्षित कर रही है. हर 12 साल में एक बार होने वाली घटना में, नीलकुरिंजी फूलों के दुर्लभ नीले और बैंगनी रंग के साथ खिल रही है जिसे स्ट्रोबिलेंथेस कुंथियाना भी कहा जाता है.
नीले और बैगनी रंग के नीलकुरिंजी
नीलकुरिंजी फूल जिसे कुरिंजी फूल भी कहा जाता है, केरल के इडुक्की में 12 साल बाद खिले हैं. नीलकुरिंजी एक दुर्लभ बैंगनी-नीले रंग का फूल है. मलयालम में "नीला" का अर्थ है "नीला" और कुरिंजी का अर्थ फूलों से है.
तमिलनाडु और केरल के पश्चिमी घाटों में
जब फूल हर बारह साल में खिलता है, तो सादी दिखने वाली कालीपारा पहाड़ियों में जान आ जाती है. इसके बाद यह उन लोगों के दिलों में बढ़ता रहता है जो इसकी कृपा और आश्चर्यजनक सुंदरता की प्रशंसा करते हैं. स्ट्रोबिलैन्थेस कुंथियाना, जिसे मलयालम और तमिल में नीलकुरिंजी और कुरिंजी के नाम से भी जाना जाता है. तमिलनाडु और केरल के पश्चिमी घाटों में, शोला के जंगलों में एक नीलकुरिंजी झाड़ी उगती है. ये नीलकुरिंजी ब्लूम्स नीलगिरी हिल्स के नाम का स्रोत हैं, जिन्हें ब्लू माउंटेन भी कहा जाता है.
पर्यटकों से प्लास्टिक लाने से परहेज की अपील
इस वर्ष मुन्नार-कुमाली स्टेट हाईवे पर संथानपारा ग्राम पंचायत के कल्लीपारा से डेढ़ किलोमीटर दूर कालीपारा हिल्स में नीलकुरिंजी के फूल खिले हैं. यह आग्रह किया जाता है कि आगंतुक प्लास्टिक लाने से परहेज करें क्योंकि कालीपारा हिल्स तक पहुंचने की अनुमति केवल शाम 4.30 बजे तक है.
पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पंचायत ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का फैसला किया है. पौधों और फूलों को नुकसान से बचाने के लिए 24 घंटे निगरानी के अलावा चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए हैं. जिला अधिकारियों ने कहा कि फूल तोड़ने या नष्ट करने पर जुर्माना लगाया जाएगा.
केरल पर्यटन के अनुसार मुन्नार में कोविलूर, कदावरी, राजमाला और एराविकुलम नेशनल पार्क से इस शानदार नजारे को देखा जा सकता है. एराविकुलम संयोग से लुप्तप्राय नीलगिरि तहर का घर है, जो ग्रह पर प्रजातियों की शेष आबादी के बहुमत की मेजबानी करता है.
नीलकुरिंजी की 40 से अधिक विभिन्न किस्में
आंकड़ों के अनुसार, भारत में नीलकुरिंजी की 40 से अधिक विभिन्न किस्में हैं, और ये फूल पश्चिमी घाट के शोला वन के लिए स्थानीय हैं. और पश्चिमी घाट में लगभग 30 स्थान हैं जहां ये खिलते हैं. जिस स्थान पर इस साल फूल खिले थे, वहां 12 साल पहले फूल खिले थे.
HIGHLIGHTS
- नीलकुरिंजी फूल को कुरिंजी फूल भी कहा जाता है
- केरल के इडुक्की में 12 साल बाद खिले हैं ये फूल
- नीलकुरिंजी एक दुर्लभ बैंगनी-नीले रंग का फूल है
Source : Pradeep Singh