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Nepal Plane Crash: बुनियादी ढांचे की कमी, पुराने प्लेन, अपर्याप्त प्रशिक्षण और खराब मौसम हादसों की बड़ी वजह

नेपाल में बड़ी संख्या में छोटे और दूरस्थ हवाई अड्डों के साथ एक चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति हमेशा विद्यमान रहती है. विमान संचालकों के मुताबिक नेपाल में सटीक मौसम पूर्वानुमान के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है.

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Nihar Saxena
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Yeti Airplane Wreckage

रविवार को दुर्घटनाग्रस्त विमान का बिखरा हुआ मलबा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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रविवार को मध्य नेपाल (Nepal) के पोखरा (Pokhara) शहर में महज दो हफ्ते पहले खुले इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर येति एयरलाइंस (Yeti Airlines) का 9एन एएनसी एटीआर-72 विमान लैंडिंग के दौरान क्रैश (Plane Crash) हो गया. इस हादसे में चार क्रू मेंबर के अलावा सभी 68 यात्रियों के मारे जाने की आशंका है, जिनमें पांच भारतीय (Indian) भी शामिल रहे. सोमवार सुबह तक 69 शव बरामद किए जा चुके हैं. येति एयरलाइंस के इस विमान ने काठमांडू (Kathmandu) के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रविवार सुबह 10:33 बजे उड़ान भरी और लैंडिंग से कुछ मिनट पहले पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. बीते तीन दशकों में नेपाल का यह सबसे घातक विमान हादसा रहा. अपर्याप्त प्रशिक्षण और रखरखाव के कारण नेपाल ने पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी विमान दुर्घटनाएं देखी हैं. बताया जा रहा है कि येति एयरलाइंस का यह विमान भी डेढ़ दशक पुराना था. हालांकि यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नेपाल में बड़ी संख्या में छोटे और दूरस्थ हवाई अड्डों के साथ एक चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति हमेशा विद्यमान रहती है. विमान संचालकों के मुताबिक नेपाल में सटीक मौसम पूर्वानुमान के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है. चुनौतीपूर्ण पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में जहां पहले भी घातक विमान दुर्घटनाएं हुई हैं, वहां आधुनिक उपकरणों का अभाव रहा. पहाड़ों में भी मौसम तेजी से बदल सकता है, जिससे उड़ान के दौरान खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है. नेपाल में पिछली बड़ी हवाई दुर्घटना बीते साल 29 मई को पहाड़ी मस्तंग जिले में तारा एयरलाइंस के विमान के रूप में हुई थी, जब एक भारतीय परिवार के चार सदस्यों सहित सभी 22 लोग मारे गए थे

आखिर नेपाल में इतने हवाई हादसे क्यों...
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल में हवाई दुर्घटनाएं ज्यादातर देश के ऊबड़-खाबड़ भरे पहाड़ी इलाकों, बुनियादी ढांचे समेत नए विमानों में निवेश की कमी और लचर नियम-कायदों के कारण होती हैं. इसके अलावा हवाई पट्टियां पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं, जो मौसम में अचानक आने वाले बदलावों के लिए जाने जाते हैं. यूरोपीय संघ ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए 2013 में नेपाल स्थित सभी एयरलाइनों को अपने हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने से प्रतिबंधित कर दिया था. इस कड़ी में काठमांडू पोस्ट की हालिया रिपोर्ट कहती है कि नेपाल सरकार की कार्रवाई करने में विफलता ने सुनिश्चित किया कि यूरोपीय संघ की विमानन ब्लैकलिस्ट यथावत बनी रहे. पिछले 30 वर्षों में नेपाल में 27 घातक विमान दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें से 20 से अधिक हादसे तो महज पिछले एक दशक में हुए हैं. नेपाल में सबसे घातक दुर्घटनाएं काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुई हैं, जो समुद्र तल से 1,338 मीटर ऊपर है. यहां का इलाका कठिन है क्योंकि यह पहाड़ों से घिरी एक पतली अंडाकार आकार की घाटी में स्थित है, जो विमानों को संचालन के लिहाज से बेहद कम जगह देती है. रिपोर्ट बताती है  अधिकांश पायलट इस बात से सहमत हैं कि हिमालय में ऊंची और संकरी लैंडिंग पट्टियां पर विमानों को नेविगेट करना खासा मुश्किल है. हाल ही में दुर्घटनाग्रस्त ट्विन ओटर जैसे टर्बोप्रॉप इंजन वाले छोटे विमान यहां उतर सकते हैं, लेकिन बड़े जेटलाइनर नहीं. रिपोर्ट के मुताबिक ये छोटे विमान नेपाल में खराब मौसम की स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील हैं.

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ऐसे में आखिर किया क्या जा सकता है?
30 मई 2022 को लापता तारा एयर जेट विमान को एक पहाड़ी पर मलबे के रूप में पाया गया था. विमान में सवार सभी 22 यात्रियों की मौत हो गई थी. यह पोखरा-जोमसोम मार्ग पर पिछले तीन दशकों में नेपाल में कई घातक विमान दुर्घटनाओं में से एक है. इस घटना के बाद ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाले अखबार द गार्डियन ने विशेषज्ञों से बात कर जानना चाहा कि आखिर क्या गलत हुआ और नेपाल में उड़ान को सुरक्षित बनाने के लिए और क्या किया जा सकता है? पता चला कि पुराने विमानों में मौसम बताने वाले आधुनिक रडार नहीं होते हैं. नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अध्यक्ष अशोक पोखरेल ने द गार्डियन को बताया कि यह नियम जरूरी करना चाहिए ताकि विमान के कैप्टन के पास वास्तविक समय की मौसम की जानकारी हो. रिपोर्ट के मुताबिक तारा जेट ने 1979 में अपनी पहली उड़ान भरी थी और इसमें जीपीएस तकनीक नहीं थी, जिसका पायलट कम दृश्यता में इस्तेमाल कर विमान को बचा सकता था. एक अनुभवी पायलट कैप्टन बेद उप्रेती ने गार्डियन को बताया कि पायलट 43 साल पुराने विमान ही उड़ाते नहीं रह सकते. नेपाल में फिक्स्ड-विंग दुर्घटनाओं में खासकर स्टोल विमानों में अधिसंख्य की पीछे शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग का कारण सामने आया है. ये विमान जोमसोम या लुकला जैसे दूरस्थ स्थानों के लिए उड़ान भरते हैं, जो माउंट एवरेस्ट पर जाने वालों के लिए लोकप्रिय शुरुआती प्रवेश द्वार हैं.  उन्होंने कहा कि तकनीक के अभाव में स्टोल विमान को नेपाल जैसी जगह पर उड़ना खतरनाक हो सकता है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि तेजी से सामने आई दुर्घटनाओं ने सवाल उठाया है कि क्या नेपाल में कम ऊंचाई वाले स्थानों पर होने वाली दुर्घटनाओं में शामिल पायलटों के पास उड़ान से पहले या इस दौरान गलतियों से बचने के लिए आवश्यक जानकारी और तकनीक है. नेपाली सरकार की एक वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ. अर्चना श्रेष्ठ के मुताबिक घरेलू उड़ानों के लिहाज से 10,000 फीट से कम दूरी पर भी आवश्यक परिचालन मौसम सेवा प्रदान करने में असमर्थ थे. नेपाल के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अंतरराष्ट्रीय विमानों के मद्देनजर मौसम संबंधी पूर्वानुमान पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण निवेश किया गया है. दूसरी ओर इस फेर में घरेलू विमान सेवाएं पिछड़ गई हैं. ऐसे में पायलट अक्सर हवाईअड्डे के मौसम केंद्रों पर भरोसा करते हैं.

नेपाल में हुईं कुछ बड़ी विमान दुर्घटनाएं
नेपाल की पहले विमान हादसों में से एक
1 अगस्त 1962 को तत्कालीन रॉयल नेपाल एयरलाइंस द्वारा संचालित एक डगलस डीसी-3 गौचर हवाई अड्डे (त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) से पालम हवाई अड्डे (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) के लिए उड़ान भरते समय नेपाल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. 9एन-एएपी पंजीकृत विमान का मलबा नेपाल में तुलाचन धूरी के पास मिला था. ऑनलाइन खबर के मुताबिक यह नेपाल की पहली विमान दुर्घटनाओं में से एक थी. हादसे में सभी दस यात्री और चालक दल के चार सदस्य मारे गए थे. आधिकारिक जांच के अनुसार मौसम के कारण उड़ान भरते समय विमान रास्ते से भटक गया और एक ऊंचाई तक पहुंचने का प्रयास किया. वहां 11,200 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ से टकरा गया.

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थाई एयरवेज विमान दुर्घटना
31 जुलाई 1992 को थाईलैंड के डॉन मुअनग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से थाई एयरवेज इंटरनेशनल फ़्लाइट 311 ने त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी थी. एचएस-टीआईडी पंजीकृत एयरबस ए310-304 त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास आते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई. विमान के कैप्टन और हवाई यातायात नियंत्रक के बीच भाषाई सामंजस्य नहीं होने से तकनीकी चुनौतियों के बारे में समय रहते विमान के कैप्टन को जागरूक नहीं किया जा सका. हादसे की पीछे फर्स्ट ऑफीसर की अनुभवहीनता, खराब अंग्रेजी भाषा का ज्ञान और इलाके में उड़ान संबंधी जानकारियों का नहीं पहुंचना बड़े कारण के रूप में उभरे. इस विमान हादसे से नेपाली विमानन क्षेत्र ने कई सबक सीखे थे।

रॉयल नेपाल एयरलाइंस क्रैश
एक रॉयल नेपाल एयरलाइंस डी हैविलैंड कनाडा डीएचसी-6 ट्विन ओटर 27 जुलाई 2000 को बजांग हवाई अड्डे से धनगढ़ी हवाई अड्डे के रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. यह भी नेपाल के इतिहास में ऐसी विमान दुर्घटनाओं में से एक थी, जिसमें सभी यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई थी. हादसे के बाद नेपाली अधिकारियों ने जांच शुरू की. पता चला कि विमान दादेलधुरा के जोगबुडा की शिवालिक पहाड़ियों में 4,300 फुट की जरायखली पहाड़ी पर पेड़ों से टकरा गया, जिससे उसमें आग लग गई. इस दुर्घटना में चालक दल के तीन सदस्यों और 22 यात्रियों की मौत हो गई, जिनमें से तीन छोटे बच्चे थे.

येति क्रैश
येति एयरलाइंस एयरलाइनर 103 एक घरेलू नेपाली उड़ान थी, जो 8 अक्टूबर 2008 को पूर्वी नेपाल के लुकला में तेनजिंग-हिलेरी हवाई अड्डे पर उतरने के अंतिम क्षणों में हादसे का शिकार हो गई. 9एन-एएफई डी हैविलैंड कनाडा डीएचसी-6 ट्विन ओटर सीरीज़ 300 विमान ने काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी. रिपोर्टों के अनुसार मरने वालों में से 14 लोग छुट्टी मनाने जा रहे थे. इस विमान पर 12 जर्मन और दो ऑस्ट्रेलियाई यात्री भी सवार थे. विमान हादसे में सिर्फ कैप्टन सुरेंद्र कुंवर ही बचे थे. दुर्घटना के तुरंत बाद उन्हें मलबे से निकाला गया और आपातकालीन उपचार के लिए काठमांडू ले जाया गया. लुकला में कोई उपकरण लैंडिंग सिस्टम नहीं है ऐसे में खतरनाक गंभीर मौसम और घने कोहरे के कारण पायलट ने दृश्य संपर्क खो दिया. विमान बहुत नीचे और बाईं ओर बहुत दूर आ गया, जिससे उसके लैंडिंग गियर एयरपोर्ट की बाड़ में फंस गए और यह रनवे से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

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बीते एक दशक के प्रमुख विमान हादसे

  • 12 मार्च  2018 को बांग्लादेश जा रहा यूएस-बांग्ला एयरलाइंस का विमान बॉम्बार्डियर डैश 8 क्यू400 काठमांडू में त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसमें 51 लोग मारे गए और 20 अन्य घायल हो गए.
  • 27 फरवरी 2016 को तुर्की एयरलाइंस का एक कार्गो विमान, बोइंग 747-400एफ  नेपाल के जोगबुधा गांव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में चालक दल के सभी चार सदस्यों की मौत हो गई.
  • 24 फरवरी 2014 को 22 यात्रियों और चालक दल के तीन सदस्यों को ले जा रहा सीता एयर डोर्नियर डीओ228 विमान नेपाल के काठमांडू में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सभी लोग मारे गए.
  • 28 सितंबर 2012 को अग्नि एयर डोर्नियर डीओ 228 विमान, जिसमें 21 यात्री और चालक दल के तीन सदस्य थे नेपाल के मयाग्दी जिले में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
  •  14 मई 2012 को 19 यात्रियों और चालक दल के तीन सदस्यों को ले जा रहा एक येति एयरलाइंस का डीएचसी-6 ट्विन ओटर विमान नेपाल के जोमसोम क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसमें भी सभी लोगों की मौत हो गई थी.

HIGHLIGHTS

  • पुराने विमान और अपर्याप्त प्रशिक्षण समेत पहाड़ी इलाके विमान हादसों की बड़ी वजह
  • मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि घरेलू उड़ानों में आधुनिक रडार तक की सुविधा भी नहीं है
  • रविवार को पोखरा के नए एयरपोर्ट के पास हादसे का शिकार विमान भी 15 साल पुराना 
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